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प्राकृतिक विकल्पों से ऊर्जा बिखेरेगा जमशेदपुर का यह गांव, अधिक बिजली पैदा होने पर दूसरे गांव को भी बेच सकेंगे ग्रामीण Jamshedpur News

एनआइटी जमशेदपुर ने यूरोपियन यूनियन इंडिया होराइजन प्रोजेक्ट 2020 के तहत किसी एक गांव में माइक्रो ग्रिड बनाकर उस गांव को ऊर्जा के क्षेत्र में स्वतंत्र बनाने का बीड़ा उठाया है।

By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 08:54 PM (IST)Updated: Mon, 10 Aug 2020 04:18 PM (IST)
प्राकृतिक विकल्पों से ऊर्जा बिखेरेगा जमशेदपुर का यह गांव, अधिक बिजली पैदा होने पर दूसरे गांव को भी बेच सकेंगे ग्रामीण Jamshedpur News
प्राकृतिक विकल्पों से ऊर्जा बिखेरेगा जमशेदपुर का यह गांव, अधिक बिजली पैदा होने पर दूसरे गांव को भी बेच सकेंगे ग्रामीण Jamshedpur News

जमशेदपुर (वेंकटेश्वर राव) । एनआइटी जमशेदपुर ने यूरोपियन यूनियन इंडिया होराइजन प्रोजेक्ट 2020 के तहत किसी एक गांव में माइक्रो ग्रिड बनाकर उस गांव को ऊर्जा के क्षेत्र में स्वतंत्र बनाने का बीड़ा उठाया है। इसके लिए गांव के संसाधनों जैसे गोबर, पत्ता, पुआल आदि से ऊर्जा उत्पन्न करने की योजना है। इससे गांवों की ऊर्जा से संबंधित आवश्यकताओं की पूर्ति की जानी है। प्राकृतिक विकल्पों एवं गांव के कचरे से बिजली पैदा कर इसे माइक्रो ग्रिड में रखा जाएगा। यह देश का पहला ग्रिड होगा, जो गांव के संसाधन के माध्यम से ही विद्युत उत्पादन करेगा।

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प्रारंभिक रूप से सर्वे के बाद इस पायलट प्रोजेक्ट को पश्चिमी सिंहभूम जिले के चक्रधरपुर के निकट कैरा गांव का चयनकिया गया है। भारत में इस प्रोजेक्ट को एनआइटी ने उन्नत भारत अभियान के तहत जोड़ा है। प्रोजेक्ट को तैयार करने के लिए अभियान के राष्ट्रीय संयोजक आइआइटी दिल्ली के प्रोफेसर बीके विजय, लंदन के प्रोफेसर हरजीत, जर्मनी के प्रोफेसर डेनियल और झारखंड में अभियान के संयोजक एनआइटी के डॉ. रणजीत प्रसाद के बीच कई दौर की बैठक हो चुकी है। पूरे प्रोजेक्ट को धरातल में उतारने के लिए कम से कम एक साल लगेगा। अगर गांव में इस्तेमाल के बाद बिजली बच जाती है तो ग्रामीण इसे दूसरे गांव को या फिर नजदीक के विद्युत सब स्टेशन को बेच सकते हैं। यह सारा कार्य ग्रामीणों द्वारा बनाए गए को-ऑपरेटिव सोसाइटी के माध्यम से होगा। 

तीन तरह से पैदा होगी प्रदूषण रहित बिजली

इस प्रोजेक्ट के तहत तीन तरह से बिजली पैदा होगी, जो पूरी तरह प्रदूषण रहित होगी। एक गोबर से, दूसरा गांव के अन्य कचरे जैसे पुआल, पत्ता तथा तीसरा तरीका सोलर प्लेट से। इसके लिए एनआइटी जमशेदपुर की ओर से गांव को जागरूक किया जा चुका है। प्रशासन ने भी इसकी अनुमति दे दी है। एक एकड़ सरकारी जमीन को चिन्हित करने का जिम्मा वहां के मुखिया को दिया गया है। प्रारंभिक चरण में इस प्रस्ताव के तहत बनने वाली ग्रिड में150 किलोवाट बिजली को स्टोर किया जाएगा। वहां से गांव के सभी प्रमुख सरकारी भवन के अलावा 50 ग्रामीण इसका उपयोग करेंगे। इस ग्रिड का संचालन को-ऑपरेटिव सोसाइटी के माध्यम से होगा। इस प्रोजेक्ट के तहत बिजली पैदा करने का मूल उद्देश्य प्रदूषण रहित बिजली पैदा करना तथा भविष्य में विद्युत संकट को देखते हुए गांव को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है।

क्या है यूरोपियन यूनियन इंडिया होराइजन प्रोजेक्ट 2020

इस प्रोजेक्ट में यूरोपियन यूनियन के कई देश जुड़े हुए है। यह मूल रूप से ऊर्जा के क्षेत्र में कार्य करने के लिए ही बनाया गया है। इस प्रोजेक्ट में यूरोपियन यूनियन का इसमें 80 प्रतिशत फंड है और भारत सरकार का 20 प्रतिशत। एनआइटी जमशेदपुर अपने इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के लिए भारत सरकार से फंड प्राप्त करेगी तथा लंदन व जर्मनी के विशेषज्ञ जो इस प्रोजेक्ट से जुड़े हुए हैं वे यूरोपियन यूनियन से फंड हासिल करेंगे। 

यह भारत के गांवों को ऊर्जा को क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है। सरकार की भी नजर इस पर लगी हुई है। कैरा गांव देश के लिए उदाहरण बनेगा। प्रोजेक्ट का मूल उद्देश्य  प्रदूषण रहित बिजली का उत्पादन गांव के संसाधनों से करना है। - डॉ. रणजीत प्रसाद, प्रोफेसर एनआइटी सह संयोजक, उन्नत भारत अभियान झारखंड। 


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