अंग्रेजी नववर्ष के साथ है कचहरी बाबा मंदिर का संबंध, आपको रोमांचित कर देगा इसका इतिहास
Kachhari Baba temple Jamshedpur. कचहरी बाबा मंदिर में जो शिवलिंग स्थापित है वे जुबिली पार्क स्थित तालाब से निकले थे। मंदिर के पुराने सदस्य बताते हैं कि मंदिर की खोदाई-सफाई के दौरान काले रंग का यह शिवलिंग जब क्रेन से निकला तो सभी हैरान रह गए।
जमशेदपुर, जासं। आमतौर पर अंग्रेजी नववर्ष कैलेंडर से हिंदू रीतिरिवाज का संबंध नहीं होता है, लेकिन साकची के पुराना कोर्ट परिसर में स्थापित श्रीश्री चंद्रमौलेश्वर महादेव कचहरी बाबा मंदिर का संबंध है। इस मंदिर के शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा 31 दिसंबर 1989 को हुई थी, लिहाजा तभी से मंदिर में स्थापना दिवस समारोह वर्षांत से शुरू होकर नववर्ष के पहले दिन समाप्त होता है।
इस बार भी मंदिर में 31 दिसंबर को सुबह 10 बजे से श्री रामचरित मानस का अखंड पाठ शुरू हुआ और पहली जनवरी को दोपहर एक बजे पाठ की पूर्णाहुति हुई। समाहरणालय परिसर में स्थापित इस मंदिर में जो भी अनुमंडल अधिकारी पदस्थापित होते हैं, पहले दिन वही पूजा-अर्चना करते हैं। इस बार भी अनुमंडल अधिकारी (एसडीओ), धालभूम अनुमंडल नीतीश कुमार सिंह ने गुरुवार को सुबह 10.30 बजे मंदिर में पूजा-अर्चना की। इनके अलावा क्षेत्र के विधायक-सांसद भी मंदिर में आते हैं।
इसबार कोरोना की वजह से सादगी से पूजा
मंदिर के व्यवस्थापक कन्हैया कुमार बताते हैं कि इस बार कोरोना की वजह से सादगी से पूजा-अर्चना हो रही है। किसी को भी बिना मास्क के अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है। गेट पर हाथ धोकर भक्त-श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश कर रहे हैं। मंदिर की घंटी भी श्रद्धालुओं को बजाने नहीं दिया जा रहा है, घंटी सिर्फ पुरोहित बजाते हैं। इस बार कलश यात्रा भी नहीं निकली। पूर्णाहुति पर भंडारा भी नहीं किया जा रहा है।
जुबिली पार्क के तालाब से निकले थे शिवजी
कचहरी बाबा मंदिर में जो शिवलिंग स्थापित है, वे जुबिली पार्क स्थित तालाब से निकले थे। इसे जयंती सरोवर या जुबिली लेक भी कहा जाता है। मंदिर के पुराने सदस्य बताते हैं कि मंदिर की खोदाई-सफाई के दौरान काले रंग का यह शिवलिंग जब क्रेन से निकला तो सभी हैरान रह गए। क्रेन से ही इसे यहां स्थापित किया गया, फिर मंदिर की स्थापना हुई। मंदिर समिति में शहर के कोने-कोने के लोग जुड़े हुए हैं। समिति के अध्यक्ष अजय सिंह बर्मामाइंस निवासी हैं।