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सरकार बताएगी इंकैब की जमीन किसकी, कंपनी के कर्मचारी जा रहे हक Jamshedpur News

Incab Industries Limited. इंकैब की 177 एकड़ का मालिकाना हक किसका होगा। इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड का या फिर टाटा स्टील का। झारखंड सरकार ही इस मामले को स्पष्ट कर सकती है। इंकैब की 177 एकड़ की जमीन का असली मालिक कौन है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 07 Nov 2020 03:06 PM (IST)Updated: Sat, 07 Nov 2020 03:06 PM (IST)
सरकार बताएगी इंकैब की जमीन किसकी, कंपनी के कर्मचारी जा रहे हक Jamshedpur News
जमशेपुर के गोलमुरी में बंद पड़ी इंकैब कंपनी। फाइल फोटो

जमशेदपुर, जासं।  इंकैब की 177 एकड़ का मालिकाना हक किसका होगा। इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड का या फिर टाटा स्टील का। झारखंड सरकार ही इस मामले को स्पष्ट कर सकती है।  इंकैब की 177 एकड़ की जमीन का असली मालिक कौन है, इस पर काफी दिनों से पेंच फंसा हुआ है। 

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इंकैब कंपनी का मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी), नेशनल कंपनी लॉ अपीलिएट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) सहित झारखंड हाईकोर्ट में भी विचाराधीन है। इंकैब के कर्मचारी कंपनी की उक्त जमीन पर अपना हक जता रहे हैं जबकि टाटा स्टील उक्त जमीन को सबलीज का बताते हुए उस पर अपना अधिकार जता रही है। एनसीएलटी की कोलकाता बेंच उक्त जमीन पर टाटा स्टील के पक्ष में फैसला दे चुकी है। इस आदेश को ही कर्मचारियों ने अपीलिएट ऑथिरिटी में चुनौती दी है।

 कर्मचारियों के अधिवक्‍ता दे रहे ये तर्क

 कर्मचारियों के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव का तर्क है कि टाटा स्टील को लगभग 15 हजार एकड़ जमीन गर्वनमेंट ग्रांट एक्ट के तहत मिली है। कंपनी ने उक्त जमीन को उद्योग लगाने के प्रयोजन से इंकैब इंडस्ट्रीज को दी थी। ऐसे में जब कंपनी बंद हो गई है तो उसकी जमीन का मालिकाना हक उसके शेयर होल्डरों को मिलना चाहिए। जबकि टाटा स्टील प्रबंधन ने अपने हलफनामे में एनसीएलटी को बता चुकी है कि कंपनी को उन्होंने लीज पर दिया था। जब कंपनी बंद हुई तो सबलीज के नियमों के तहत उक्त जमीन पर टाटा स्टील का अधिकार है। इन्हीं सब विवादों के कारण मामला फंसा हुआ है। ऐसे में अब कर्मचारियों की ओर से अधिवक्ता झारखंड सरकार को पूरे मामले में पार्टी बनाने की मांग कर चुके हैं ताकि वे ही जमीन का असली मालिक कौन है, बता सके। इससे पहले भी टाटा स्टील की अनुषंगी इकाई, टायो रोल्स के जमीन पर भी मामला विचाराधीन है। इस पर पहले ही झारखंड सरकार को पक्षकार बनाया जा चुका है।


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