Jharkhand Unlock 5.0: बस संचालकों को राहत की सबसे ज्यादा उम्मीद, कोचिंग संचालक भी नजर गडाए हैं झारखंड सरकार पर
झारखंड में अनलाक पांच की उल्टी गिनती शुरू है। इसबार बस संचालकों के साथ ही कोचिंग संचालकों को हेमंत सोरेन सरकार से कुछ ज्यादा ही उम्मीद है। उनका मानना है कि शर्तों के साथ ही उन्हें राहत जरूर मिलेगी ताकि उनका कारोबार पटरी पर लौट सके।
जमशेदपुर, जासं। झारखंड में अनलाक पांच की उल्टी गिनती शुरू है। इसबार बस संचालकों के साथ ही कोचिंग संचालकों को हेमंत सोरेन सरकार से कुछ ज्यादा ही उम्मीद है। उनका मानना है कि शर्तों के साथ ही उन्हें राहत जरूर मिलेगी ताकि उनका कारोबार पटरी पर लौट सके।
पिछले दिनों कोल्हान के चाइबासा में बस संचालकों ने बस चलाने की अनुमति देने की मांग को लेकर प्रदर्शन भी किया था। कोरोना के संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार ने पिछले एक माह से अधिक समय से राज्य में लॉकडाउन लगाने की घोषणा कर रखी है। समय-समय पर लाॅकडाउन में रियायत भी दी गइ है। इस दौरान अधिकतर व्यावसायिक प्रतिष्ठान खुल चुके हैं। इसके बावजूद एहतियात के तौर पर सरकार ने परिवहन व्यवस्था को बंद रखा है। लेकिन बस मालिकों के द्वारा इसे शुरू करने की सरकार से मांग की जा रही है। बसों का परिचालन शुरू करने की मांग को लेकर सोमवार को सिंहभूम बस आनर एसोसिएशन के पदाधिकारी समेत चालक और खलासी ने एकजुट होकर सरकार से परिवहन व्यवस्था शुरू करने की मांग की थी।एसोसिएशन के उपाध्यक्ष मो. बारीक का कहना है कि पिछले डेढ़ वर्षों से बस संचालकों की हालत कोरोना संक्रमण की वजह से पूरी तरह खराब हो चुकी है। पहले लॉकडाउन के बाद कुछ रियायतों के साथ सरकार ने बस चलाने की अनुमति दी थी। लेकिन दूसरे लॉकडाउन के बाद सरकार ने अभी तक परिवहन व्यवस्था को बंद रखा है। इसकी वजह से सैकड़ों बस संचालक, चालक, खलासी समेत उनसे जुड़े लोगों के सामने विकट परिस्थिति उत्पन्न हो गई है। कई लोग भुखमरी की स्थिति में पहुंच गए हैं । इसको देखते हुए सरकार को अगला कदम परिवहन व्यवस्था पर उठाना चाहिए। क्योंकि राज्य में दूसरे लॉकडाउन के बाद अधिकतर व्यावसायिक प्रतिष्ठान खुल चुके हैं। लोग बाजारों में आना-जाना कर रहे हैं । लेकिन परिवहन व्यवस्था को बंद रखा गया है।
कोरोना संक्रमण की कमी का दिया हवाला
बस संचालकों ने कहा कि वर्तमान समय में कोरोना संक्रमण का दर भी सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुका है। इसलिए सरकार को परिवहन से जुड़े लोगों की समस्या को देखते हुए उचित कदम उठाते हुए जल्द से जल्द परिवहन व्यवस्था को शुरू करना चाहिए। जिससे कि सैकड़ों लोगों का परिवार चल सके। उन्होंने कहा कि सरकार अगर इस पर सकारात्मक निर्णय नहीं लेती है तो हम लोग मजबूर होकर आंदोलन की ओर रुख करेंगे। क्योंकि भुखमरी से अच्छा है हम आंदोलन कर सरकार तक अपनी बात को पहुंचाएं। यह सिर्फ सिंहभूम की समस्या नहीं बल्कि पूरे राज्य के बस संचालक और उनसे जुड़े लोगों की समस्या है। डेढ़ वर्षों से बैंकों में बस संचालक किस्त नहीं जमा कर पा रहे हैं। जिसकी वजह से बैंक लगातार संचालकों पर दबाव बना रहा है। ऐसी स्थिति में हम सभी काफी परेशान हैं। इसको देखते हुए सरकार जल्द से जल्द उचित निर्णय लेकर हम सभी को राहत प्रदान करें।