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Innovative Idea: कोविड काल में पढ़ाई का जरिया बनी अरविंद सर की मोबाइल लाइब्रेरी, आप भी जानिए

Innovative Ideaबीहड में स्कूल होते हुए भी इस स्कूल कंप्यूटर लैब है। इसे समाजसेवी बेली बोधनवाला तथा तारापोर स्कूल एग्रिको व जेएच तारापोर स्कूल धतकीडीह के सहयोग से बनाया गया है। स्कूल की ओर से बकायदा कंप्यूटर शिक्षक भी मुहैया कराया गया है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 05 Sep 2021 05:59 PM (IST)Updated: Sun, 05 Sep 2021 05:59 PM (IST)
Innovative Idea: कोविड काल में पढ़ाई का जरिया बनी अरविंद सर की मोबाइल लाइब्रेरी, आप भी जानिए
टांगराईन स्कूल दिखने में बहुत ही आकर्षक लगता है।

वेंकटेश्वर राव, जमशेदपुर। पूर्वी सिंहभूम जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर पोटका प्रखंड स्थित टांगराईन मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक अरविंद तिवारी ने कोविड काल के दौरान बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए मोबाइल लाइब्रेरी का सहारा लिया। वे गांव जाकर कक्षा एक से आठ तक के बच्चों के अभिभावकों से मिलते थे और उसके बाद स्कूली बच्चों से। इस दौरान बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम और कहानी किताबें अपनी बैग से निकालकर देते थे। बच्चों का पठन-पाठन का कार्य वे इस तरीके से जारी रखे हुए है। गांव में पांच-दस बच्चे एक साथ दिख गए तो वहीं बैठकर पढ़ा भी देते हैं।

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जिन बच्चों के पास मोबाइल थी, उन्हें अगर ऑनलाइन क्लास में कुछ समस्या होती थी तो वे बच्चों के बीच रहकर ही इस समस्या का समाधान करते थे। वे रोज सुबह एक बैग टांगकर स्कूली बच्चों से मिलने निकल जाते थे। उन्हें पता था कि गांव के 70 प्रतिशत से अधिक बच्चों के पास मोबाइल नहीं है। इस कारण वे घूम-घूम कर बच्चों को शिक्षा देने का कार्य कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में यह स्कूल होते हुए भी इस प्रधानाध्यापक ने अपने स्कूल को एक शहरी क्षेत्र का स्कूल बना दिया है। स्कूल के नाम अपना वेबसाइट बनाने वाला यह झारखंड का पहला स्कूल है। वे खेल-खेल में बच्चों को शिक्षा देने में रूचि रखते हैं तथा नित नए प्रयोग करते रहते हैं। उनके द्वारा स्कूल के विकास के लिए बेहतर प्रयास एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए इस बार जिला स्तर पर शिक्षक पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है।

सर अक्सर आते हैं और हमें पढ़ाते हैं

टांगराईन मध्य विद्यालय के सिद्धेशोल गांव के कक्षा चार के अजय, विक्रम और कक्षा एक के कलिका बताते हैं कि हम गांव में घूमते रहते हैं। अरविंद सर आते हैं पढ़ाई का हाल-चाल पूछते हैं। हमें खेत में ही बैठकर पढ़ाते हैं। घर में पढ़ने के लिए कहानी किताब भी देते हैं। छात्रों ने बताया वे उनके माता-पिता से भी संपर्क करते हैं तथा परेशानियों को भी पूछते हैं। सिर्फ यहीं नहीं सर तो हमारे साथ खेलते भी हैं।

स्कूल में बनाया कंप्यूटर लैब

बीहड में स्कूल होते हुए भी इस स्कूल कंप्यूटर लैब है। इसे समाजसेवी बेली बोधनवाला तथा तारापोर स्कूल एग्रिको व जेएच तारापोर स्कूल धतकीडीह के सहयोग से बनाया गया है। स्कूल की ओर से बकायदा कंप्यूटर शिक्षक भी मुहैया कराया गया है। टांगराईन स्कूल दिखने में बहुत ही आकर्षक लगता है। दीवारें चित्रांकन से भरी हुई है। यह शिक्षक अपने खर्चे से बच्चों को बीच-बीच में शहर लाकर फिल्में भी दिखाते हैं।


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