ट्रेनों की लेटलतीफी की मार,राष्ट्रीय चैपियनशिप में हिस्सा नहीं ले सकी झारखंड टीम
ट्रेनों की लेटलतीफी की कीमत झारखंड के खिलाडि़यों को चुकानी पड़ी है। राष्ट्रीय जूनियर खो - खो चैंपियनशिप में झारखंड की टीम हिस्सा नहीं ले पाई।
जमशेदपुर, जेएनएन। ट्रेनों की लेटलतीफी की कीमत झारखंड के खिलाडि़यों को चुकानी पड़ी है। राष्ट्रीय जूनियर खो - खो चैंपियनशिप में झारखंड़ की टीम हिस्सा नहीं ले पाई। इस वजह से खिलाड़ियों में मायूसी है। 2 दिसंबर से भोपाल में नेशनल खो - खो चैंपियनशिप जारी है। जिसमें झारखंड ( बालक व बालिका वर्ग ) टीम को हिस्सा लेना था।
टीम के रेफरी सुरेश नारायण चौधरी ने बताया कि 30 नवंबर को बालक एवं बालिका वर्ग से टीम के कुल 30 खिलाड़ियों को ट्रेन संख्या 18030 ( शालीमार लोक मान्य तिलक एक्सप्रेस ट्रेन ) से टाटानगर स्टेशन से रात के 8:05 बजे रायगढ़ के लिए जाना था। सभी खिलाड़ी ट्रेन खुलने के निर्धारित समय से पहले स्टेशन पहुंच गए थे। परंतु यहां मालूम चला कि ट्रेन अपने निर्धारित समय से तीन घंटे से भी ज्यादा विलंब है। ऐसे में ये सभी खिलाड़ी रात के 11 बजे मायूस होकर अपने - अपने घर को लौट गए।
इस वजह से रद करनी पड़ी यात्रा
चौधरी ने कहा कि शालीमार ट्रेन लेट होने से हम रायगढ़ विलंब से पहुंचते। चूंकि रायगढ़ से हम सबों का ट्रेन संख्या 12409 ( हजरत निजामुद्धीन गोंड़वाना एक्सप्रेस ) में सीट आरक्षित था जो तड़के 3:30 बजे रायगढ़ से खुलती है। ऐसे में शालीमार ट्रेन के विलंब से रायगढ़ पहुंचने से हम सबों का 3 :30 बजे की भोपाल को जाने वाली 12409 ट्रेन का पकड़ पाना नामुमकिन था। अंतत: हम सबों को यात्रा रद करनी पड़ी।
मेहनत पर पानी फिर गया
झारखंड खो - खो टीम के सचिव अखिलेश्वर प्रसाद ने कहा कि जूनियर नेशनल खो - खो चैंपियनशिप के लिए खिलाड़ियों ने अच्छी तैयारी की थी। परंतु ट्रेन लेट होने के कारण सारी तैयारी धरी रह गयी। उत्तराखंड के रूद्रपुर में 15 से 19 दिसंबर के बीच सब जूनियर खो - खो चैंपियनशिप मैच खेला जाएगा। जिसके लिए बालक एवं बालिका वर्ग से खिलाड़ियों का चयन किया गया है। अब हमारा ध्यान रूद्रपुर में खेले जाने वाले मैच पर केंद्रित है।
सुबह 6 बजे की बजाय शाम 6 बजे क्यूल पहुंचेगी टाटा-छपरा एक्सप्रेस
ट्रेनों की लेटलतीफी की कड़ी में गुरुवार को टाटा-छपरा एक्सप्रेस के सुबह 6 बजे की बजाय शाम 6 बजे के करीब क्यूल स्टेशन पहुंचने की उम्मीद है। यह ट्रेन टाटानगर से रात 9. 35 की बजाय सुबह 3. 40 में खुली और लेट होती चली गई।