Jharkhand Education News : इनसे मिलें, पूर्वी सिंहभूम के इन तीन शिक्षकों का पाठ्यक्रम पढ़ रहे झारखंड के सरकारी स्कूलों के बच्चे
Jharkhand government school syllabus. ये शिक्षक खास हैं। झारखंड के सरकारी प्राइमरी एवं मिडिल स्कूल के बच्चों को पढ़ाने के लिए इंग्लिश और गणित का पाठ्यक्रम तैयार करने की जिम्मेदारी पूर्वी सिंहभूम के तीन शिक्षकों को मिली है।
जमशेदपुर, वेंकटेश्वर राव। झारखंड के सरकारी प्राइमरी एवं मिडिल स्कूल के बच्चों को पढ़ाने के लिए इंग्लिश और गणित का पाठ्यक्रम तैयार करने की जिम्मेदारी पूर्वी सिंहभूम के तीन शिक्षकों को मिली है। इनके द्वारा तैयार पाठ्यक्रम स्कूली बच्चे पढ़ रहे हैं।
ये शिक्षक संशोधित सिलेबस के अनुसार पाठ्यक्रम तैयार कर यू-ट्यूब पर डाल रहे हैं। इन वीडियो को झारखंड शैक्षिक अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषद (जेसीईआरटी) द्वारा डिजि साथ कार्यक्रम के तहत शिक्षकों को भेजा जा रहा है। शिक्षक इसे बच्चों के वाट्सएप ग्रुप में भेज रहे हैं। इस कार्य में राज्य के कुल 41 शिक्षकों को पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए लगाया गया है। पूर्वी सिंहभूम से शामिल तीन शिक्षकों में पटमदा के चौड़ा उत्क्रमित उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापक डा. समीर कुमार इंग्लिश विषय, हिंदुस्तान मित्र मंडल मिडिल स्कूल गोलमुरी के शिक्षक मनोज कुमार सिंह तथा चाकुलिया के पुड़ासिया प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक सुकेश मुखर्जी गणित विषय के पाठ्यक्रम तैयार करते हैं। पाठ्यक्रम का वीडियो संशोधित सिलेबस के हिसाब से तैयार कर यू-ट्यूब पर अपलोड कर परिषद को जानकारी दी जा रही है। उसके बाद डिजि साथ कार्यक्रम के तहत कक्षा एक से कक्षा आठ तक के बच्चों को ये पाठ्यक्रम उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
ई-कंटेंट रिपोजटरी तैयार कर रहे शिक्षक
पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए चयनित शिक्षक डा. समीर कुमार, मनोज कुमार सिंह और सुकेश मुखर्जी ने बताया कि सभी शिक्षक ई-कंटेट रिपोजटरी भी पाठ्यक्रम के साथ तैयार कर रहे हैं। यह एक तरह के पाठ्यक्रमों का बैंक है, जो बाद में काम आएगा। वर्तमान में 30 प्रतिशत कटौती का पाठ्यक्रम बच्चों को उपलब्ध कराया जा रहा है, लेकिन रिपोजटरी में सभी तरह के विषयों को शामिल किया जा रहा है।
15 मिनट का वीडियो हो रहा तैयार
जेसीईआरटी द्वारा तैयार कराए जा रहे पाठ्यक्रमों का वीडियो अधिक से अधिक 15 मिनट का हो रहा है। इन वीडियों को डिजि स्कूल तथा लर्नेटिक्स एप में अपलोड किया जा रहा है। परिषद का मानना है कि 15 मिनट से ज्यादा का वीडियों कोई भी बच्चा देखता है। अधिक समय का वीडियो होने पर बच्चे उब जाते हैं। इस कारण दस से 15 मिनट का वीडियो ही विषयवार बनाया जा रहा है।