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अजीबोगरीबः पारा शिक्षकों एवं एमए टॉपर से कम होगा कोल्हान विवि में गेस्ट फैकल्टी का मानदेय

KU. कोल्हान विश्वविद्यालय में सभी अंगीभूत महाविद्यालयों के लिए गेस्ट फैकल्टी के पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया गया है। गेस्ट फैकल्टी की अर्हताएं वहीं होगी जो स्थाई अस्सिसटेंट प्रोफेसर के लिए यूजीसी रेगुलेशन में तय है। पर वेतन हैरान कर देगा।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 21 Mar 2021 05:41 PM (IST)Updated: Sun, 21 Mar 2021 05:41 PM (IST)
अजीबोगरीबः पारा शिक्षकों एवं एमए टॉपर से कम होगा कोल्हान विवि में गेस्ट फैकल्टी का मानदेय
300 रुपया प्रति कक्षा तथा अधिकतम 9000 रुपए प्रतिमाह मानदेय मिलेगा।

जमशेदपुर, जासं। कोल्हान विश्वविद्यालय में सभी अंगीभूत महाविद्यालयों के लिए गेस्ट फैकल्टी के पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया गया है। गेस्ट फैकल्टी की अर्हताएं वहीं होगी, जो स्थाई अस्सिसटेंट प्रोफेसर के लिए यूजीसी रेगुलेशन में है। लेकिन विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित इस गेस्ट फैकल्टी को मानदेय के रुप में स्नातकोत्तर हेतु 350 रुपया प्रति कक्षा तथा स्नातक हेतु 300 रुपया प्रति कक्षा तथा अधिकतम 9000 रुपए प्रतिमाह के मानदेय मिलेगा।

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विदित हो कि महाविद्यालयों के जिस विभाग में घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापक नहीं है वैसे विषयों में गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति विश्वविद्यालय करने जा रहा है। इस संदर्भ में झारखंड सहायक प्राध्यापक अनुबंध संघ के प्रदेश संरक्षक डा. एसके झा ने कहा कि यूजीसी रेगुलेशन के अनुसार जब विश्वविद्यालय गेस्ट फैकल्टी को नियुक्त करता है तो उसे प्रतिकक्षा 1500 तथा अधिकतम प्रतिमाह 50000 रुपया देने का प्रावधान है, लेकिन नेट/पीएचडी/जेआरएफ वाले उच्च शिक्षित युवाओं के लिए फिर से एक नई शोषणकारी व्यवस्था की शुरुआत की जा रही है। इतना ही नहीं उच्च न्यायालय ने वर्ष 2018 में वाद संख्या WP(s) 675/2018 तथा 1500/2018 में पारित न्याय निर्णय के कंडिका -15 का सरेआम अवमानना है। इसमें स्पष्ट रुप से कहा गया है कि विश्वविद्यालय में संविदा शिक्षक/एडहाॅक शिक्षक/ गेस्ट शिक्षक तथा तात्कालिक शिक्षक की नियुक्ति बंद कर स्थाई शिक्षकों की नियुक्ति किया जाय।

अदालत ने लगा रखी है रोक

विदित हो कि उच्च न्यायालय ने वाद संख्या 548/2021 में कोल्हान विश्वविद्यालय के साथ-साथ राज्य के चार विश्वविद्यालयों में घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों के नए विज्ञापन पर भी आगामी आदेश तक रोक लगा दी है। राज्य में उच्च शिक्षा के गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए और शिक्षकों की समस्या को दूर करने का यह एक विकल्प तो जरूर है, मगर 9000 रुपया मासिक मानदेय शायद राज्य के पारा शिक्षकों को भी नहीं मिलता है। इतना तक कि एमए टापर को भी टीचिंग अस्सिटेंट के लिए 15000 रुपया प्रतिमाह दी जाती है। फिर यूजीसी रेगुलेशन के अनुसार नियुक्त करने जा रही गेस्ट फैकल्टी जो इतनी उच्च शिक्षा प्राप्त किया हो, उसके शोषण का नायब तरीका यहां देखने को मिल रहा है।


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