Priyanka Chopra : जमशेदपुर की प्रियंका चोपड़ा सरोगेसी से बनी मां, आखिर क्या होता है सेरोगेसी
Priyanka Chopra जमशेदपुर में जन्मी प्रियंका चोपड़ा हाल ही में सेरोगेसी से मां बनी है। सेरोगेसी से मां या बाप बनने का चलन बढ़ता जा रहा है। बॉलीवुड के बादशाह शाहरूख खान भी सेरोगेसी से पिता बन चुके हैं। जानिए क्या होता है सेरोगेसी...
जमशेदपुर : शहर में जन्मीं बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा की मां बनने की खबर सभी को चौंका दिया है लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि प्रियंका चोपड़ा का जन्म जमशेदपुर के टाटा मुख्य अस्पताल (टीएमएच) में हुई है लेकिन अब वह भी मां बन गई है। इसे लेकर लोगों के मन में काफी उत्सुकता है। वे इससे संबंधित सभी तरह की जानकारी हासिल करना चाहते हैं। तो आइए इस संदर्भ में कुछ जानकारी आपसे साझा कर रहे हैं।
दरअसल, प्रियंका चोपड़ा सरोगेसी से मां बनी है। हालांकि, यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पूर्व भी कई स्टार सरोगेसी की मदद से मां-बाप बन चुके हैं। अब आपके मन में यह सवाल चलता होगा कि आखिर सरोगेसी है क्या? तो आइए इसका पूरा प्रोसेस, नियम और खर्चा के बारे में हम आपको विस्तार से बताते हैं।
शिल्पा शेट्टी से लेकर प्रीति जिंटा तक सरोगेसी से बनी है मां
आधुनिकता की दौर में सरोगेसी की मांग तेजी से बढ़ी है। खासकर बॉलीवुड स्टारों में अधिक देखा जा रहा है। अभी तक शिल्पा शेट्टी, प्रीति जिंटा, करण जौहार, गौरी खान, तुषार कपूर, एकता कपूर जैसे सितारे सरोरेसी की मदद से ही अपने घरों को गुलजार कर चुके हैं। हालांकि, इसके नियम-कानून कुछ अलग है, जिसे अपनाना पड़ता है।
सरोगेसी की प्रोसेस क्या है
आइए, अब आपके मन में चल रहे सवाल को दूर करते हैं। दरअसल, सरोगेसी को आम भाषा में किराए की कोख कहा जाता है। यानी अपना बच्चा पैदा करने के लिए जब कोई माता-पिता किसी दूसरी महिला की कोख को किराए पर लेते हैं। किसी महिला के गर्भाशय में दूसरे कपल के बच्चे के पलने और पैदा होने की पूरी पक्रिया को सरोगेसी कहा गया है। इसके लिए सिंगल पेरेंट भी सरोगेसी का सहारा ले सकते हैं और कपल भी।
तकनीकी तौर पर समझिए
तकनीकी तौर पर बात करें तो होने वाले पिता के स्पर्म और माता के एग्स का मेल या डोनर के स्पर्म और एग्स का मेल टेस्ट ट्यूब के जरिए कराने के बाद इसे सरोगेट मदर (दूसरी किसी महिला) के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। उस गर्भाशय में बच्चा विकसित होता है और डिलीवरी के बाद बच्चे को असली माता-पिता को सौंप दिया जाता है।
सरोगेसी को लेकर हर देश में अलग-अलग कानून
सरोगेसी को लेकर हर देश में अलग-अलग कानून बनाए गए हैं। किसी वजह से कपल बच्चे को जन्म नहीं देना चाह रहा या मां अपने गर्भाशय से बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती तो कपल सरोगेसी की मदद लेते हैं। सरोगेट मदर को इस पूरी प्रक्रिया यानी नौ माह तक बच्चे को अपने पेट में रखने और डिलीवरी के लिए मेहनताना मिलता है और बाकायदा इसके लिए एग्रीमेंट साइन भी होते हैं।