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Jamshedpur Private School: तीन हजार बच्चों को पढ़ाने के एवज में निजी स्कूलों को मिलने हैं पांच करोड़ रुपए, चार साल से इंतजार

Jamshedpur Private School. जमशेदपुर शहर के निजी स्कूलों को कमजोर एवं अभिवंचित वर्ग के बच्चों को पढ़ाने के एवज में पांच करोड़ रुपए मिलने हैं। चार साल से इस मद में निजी स्कूलों को फीस नहीं मिली है। इन सत्रों में लगभग 3000 बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 05 Feb 2021 01:40 PM (IST)Updated: Fri, 05 Feb 2021 01:40 PM (IST)
Jamshedpur Private School: तीन हजार बच्चों को पढ़ाने के एवज में निजी स्कूलों को मिलने हैं पांच करोड़ रुपए, चार साल से इंतजार
बच्चों को पढ़ाने के एवज में प्रति छात्र 425 रुपए मिलते हैं।

जमशेदपुर, जासं। कमजोर एवं अभिवंचित वर्ग के बच्चों को पढ़ाने के एवज में जमशेदपुर शहर के निजी स्कूलों को पांच करोड़ रुपए मिलने हैं। सत्र 2017-18, 18-19, 19-20, 21 यानि चार साल से इस मद में निजी स्कूलों को फीस नहीं मिली है। इन सत्रों में लगभग 3000 बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं।

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सरकार की आेर से इन बच्चों को पढ़ाने के एवज में प्रति छात्र 425 रुपए मिलते हैं। बताया जा रहा है कि इस संबंध में विभागीय पत्राचार कई बार हो चुका है, मगर निजी स्कूलों को यह राशि अब तक अप्राप्त है। वित्तीय वर्ष वार निजी स्कूलों ने डिमांड भी शिक्षा विभाग को समर्पित कर चुके हैं। वावजूद वे चार सालों से इस राशि का इंतजार कर रहे हैं। इन बच्चों की चार साल की फीस शिक्षा विभाग से स्कूलों को नहीं दी गई है। जमशेदपुर अनएडेड स्कूल एसोसिएशन की ओर से कई बार इस राशि को वर्ष वार करने को पत्र लिखा जा चुका है, इसके बावजूद यह राशि हर साल नहीं दी जाती है।

सुस्त है विभाग का रवैया

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग तथा झारखंड शिक्षा परियोजना द्वारा कमजोर एवं अभिवंचित वर्ग के छात्रों को मिलने वाली राशि को लेकर हमेशा सुस्त रवैया रहा है। कई बार राशि न मिलने के कारण निजी स्कूलों द्वारा बच्चों को कक्षाओं के संचालन तक से दूर रखा गया। बाद में विभाग द्वारा अनुनय विनय के बाद इन छात्रों को दोबारा कक्षा में बैठने की अनुमति दी जाती है। निजी स्कूलों का हर साल ऑडिट होता है। इस कारण इस ऑडिट में भी स्कूलों को परेशानी होती है। राशि जब मिलती है इसके बाद ऑडिट पुन: अपडेट होता है। अपनी इस परेशानी से स्कूलों द्वारा विभाग को कई बार अवगत कराया गया है। फिर भी हर साल इस राशि को देने का मैकेनिज्म विकसित नहीं हो पाया है।


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