झारखंड के जमशेदपुर के निजी लैब का हाल, यहां कोरोना जांच के लिए है तीन दिन की वेटिंग, पांच दिन बाद आ रही रिपोर्ट Jamshedpur News
शहर में एकमात्र निजी लैब जहां होती है कोविड जांच। तीन दिन की है वेटिंग रिपोर्ट आने में भी लग रहा है तीन से पांच दिन का समय। शहरवासी परेशान।
जमशेदपुर (जासं)। कोरोना वायरस धीरे-धीरे जमशेदपुर में अपने पैर पसार चुका है। ऐसे में यदि कोई शहरवासी को शंका है कि वह किसी पॉजिटिव मरीज के संपर्क में आया है और पैसे देकर अपनी जांच कराना चाहता है तो इसके लिए भी उन्हें तीन दिन की वेटिंग झेलनी होगी। दरअसल, शहर में एकमात्र निजी लैब है, जहां कोविड जांच होती है। लेकिन यहां सैंपल देने के लिए तीन की वेटिंग चल रही है। सरकारी जांच की बात छोड़िए पैसे देकर जांच कराने को तैयार लोगों को भी सैंपल देने के लिए तीन लंबा इंतजार करना पड़ रहा हैै।
इधर, जमशेदपुर शहर में टाटा मेन हॉस्पिटल को जिले का कोविड स्क्रीनिंग सेंटर बनाया गया है जहां जिला प्रशासन द्वारा भेजे गए मरीज व टाटा स्टील के अपने कर्मचारियों का ही कोविड टेस्ट होता है। ऐसे में शहरवासियों को एमजीएम में होने वाले सरकारी जांच पर भरोसा करना होगा। जहां जांच के बाद रिपोर्ट के लिए लंबा इंतजार करना होगा। ऐसे में शहरवासी निजी लैब की ओर रूख कर रहे हैं। यही वजह है कि दबाव अधिक होने के कारण स मय भी अधिक लग रहा है। बिष्टुपुर सिग्नल के पास शहर का एकमात्र निजी टेस्ट लैब, पैथ काइंड है जहां रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलिमरेस चेन रिएक्शन (आइटी-पीसीआर) टेस्ट किए जा रहे हैं। इंडियन कांउसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) से मान्यता प्राप्त यह संस्थान भी कोरोना वायरस के कारण स्थानीय प्रशासन के अधीन कार्यरत है।
ऐसे में पेड या इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन में रहने वाले लोगों का पहले टेस्ट के लिए सैंपल लिए जाते हैं। इसके कारण वे लोग जो यह सोचते हैं कि वे किसी पॉजिटिव मरीज के संपर्क में आए हैं और अपनी शंका दूर करने के लिए अपना टेस्ट कराना चाहते हैं। उन्हें 2400 रुपये देने के बावजूद लंबा इंतजार करना पड़ता है। इसके अलावे कोरोना वायरस के कारण अब कई कंपनियां भी अपने वैसे कर्मचारियों से कोविड जांच रिपोर्ट मांग रही है जो दूसरे राज्यों से यात्रा कर शहर लौटे हैं। इसके कारण भी लैब पर दबाव बढ़ गया है।
आधार कार्ड के साथ भरना होता है शपथ पत्र
शहर के इस एकमात्र निजी लैब में भी टेस्ट कराना आसान नहीं है। यदि किसी शहरी को अपना टेस्ट कराना हैं? तो उन्हें आधार कार्ड की फोटो कॉपी के साथ एक शपथ पत्र भरना पड़ेगा कि वे क्यों अपना टेस्ट करा रहे हैं? उनकी ट्रैवल हिस्ट्री हैं? या खुद पर शंका हैं? कि वे कोरोना पॉजिटिव हैं? या किसी तरह की सर्जरी से पहले किसी नर्सिंग होम के डॉक्टर ने उन्हें कोरोना टेस्ट कराने की सलाह दी है।
सैंपल भेजा जाता है गुडगांव
इस लैब में लिए जाने वाले सभी सैंपल सड़क मार्ग से रांची होते हुए हवाई मार्ग से गुडग़ांव स्थित संस्थान के मेन ब्रांच में भेजा जाता है जहां आइटी-पीसीआर टेस्ट जांच होती है। इसके कारण रिपोर्ट आने में तीन से पांच दिन का समय लगता है। संबधित शहरी की रिपोर्ट पॉजिटिव है या निगेटिव। इसकी रिपोर्ट आइएमसीआर सहित जिले के सिविल सर्जन को भी भेजी जाती है।
हमारे एक साथी की कोरोना से मौत के बाद मैंने अपनी जांच के लिए लैब से संपर्क किया था लेकिन उन्होंने दिन की वेटिंग बताई। शहर में यह एकमात्र लैब है, सरकार को शहर की जनसंख्या को देखते हुए लैब की संख्या बढ़ानी चाहिए। - भरत वसानी, महासचिव, सिंहभूम चैंबर
मेरा छोटा भाई दूसरे राज्य से शहर पहुंचा तो उसे होम क्वारंटाइन किया गया था। मैंने अपने भाई के लिए लैब से संपर्क किया तो मुझे तीन दिन बाद समय मिला। लेकिन रिपोर्ट आने में पांच दिन लग गए। वो निगेटिव है या पॉजिटिव, इसे लेकर मन में काफी तनाव रहता है। - महेश कुमार, बिष्टुपुर