Jharkhand: दोस्ती में दरार, पढें जमशेदपुर के स्वास्थ्य महकमे की अंदरूनी खबर
स्वास्थ्य विभाग में अगर दोस्ती की बात होती है तो दो डॉक्टर का नाम सबसे पहले आता है। इनकी दोस्ती जय-वीरू की तरह मशहूर है। हर कोई इनकी दोस्ती पर नाज करता है। किसी की मजाल नहीं कि इनकी दोस्ती पर कभी कोई सवाल भी उठाए।
जमशेदपुर, अमित तिवारी। स्वास्थ्य विभाग में अगर दोस्ती की बात होती है तो दो डॉक्टर का नाम सबसे पहले आता है। इनकी दोस्ती जय-वीरू की तरह मशहूर है। हर कोई इनकी दोस्ती पर नाज करता है। किसी की मजाल नहीं कि इनकी दोस्ती पर कभी कोई सवाल भी उठाए।
दो साल पूर्व इनकी दोस्ती पर आंच आई तो उसका करारा जवाब मिला। दरअसल, पूर्व सिविल सर्जन ने इनकी दोस्ती को तोड़ने के लिए हर तिकड़म अपनाया लेकिन पक्की दोस्ती के आगे वह सफल नहीं हो पाए। लेकिन अब ऐसा क्या हो गया कि दोनों के बीच दरार पड़ने लगी है। इसकी चर्चा डॉक्टर से लेकर कर्मचारियों के बीच में हो रही है। कोई कुर्सी का लालच तो कोई आपसी तालमेल की कमी बता रहा है। कुछ ही माह से दोनों के संबंध में खटास बढ़ी है। फिलहाल दोनों महत्वपूर्ण पदों पर हैं और दोनों की पहचान काम से होती है। कोरोना काल में भी ये दोनों अधिकारी ने ये साबित कर दिखाया है।
इस महिला मरीज से बच के
महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक महिला भर्ती है, जो गंभीर बीमारी से ग्रस्त है और वह पूरे अस्पताल में घूम रही है। हालांकि, उसे देख कर कोई नहीं कह सकता कि वह बीमार है। अब वह महिला कोविड वार्ड में भी जा रही है। इससे पूरे अस्पताल में हड़कंप मचा हुआ है। कारण कि महिला खुद भी एक संक्रमित रोग से ग्रस्त है। यहां तक कहा जा रहा है कि वह महिला बाहर भी जाती है और दिन में आकर भर्ती हो जाती है। ऐसे में संक्रमण फैलने का खतरा दोगुना बढ़ गया है। अब इसकी भनक अस्पताल प्रबंधन को लगी है तो उसपर सख्ती बढ़ा दी गई है। सुरक्षाकर्मियों को भी उसपर नजर रखने को कहा गया है। वहीं, अगर आप भी एमजीएम अस्पताल में इलाज कराने जाते हैं तो किसी अनजान मरीज के संपर्क में नहीं आए। अन्यथा आप भी संक्रमित हो सकते हैं।
कब मिलेगा ड्रेसर
बिना ड्रेसर पूर्वी सिंहभूम जिले के अधिकांश सरकारी अस्पताल चल रहा है। 570 बेड के एमजीएम अस्पताल में भी ड्रेसर नहीं है। जबकि यहां रोजाना एक दर्जन से अधिक सड़क दुर्घटना में घायल होकर लोग पहुंचते हैं। ऐसे में उनका ड्रेसिंग स्वीपर या फिर सफाई कर्मी कर रहे हैं। यहां इलाज की गारंटी नहीं होती। जिसके कारण आय दिनों हो-हंगामा होता है। अस्पताल में सिर्फ एक ड्रेसर की तैनाती थी जिनकी मौत कुछ दिन पूर्व हो चुकी है। ऐसे में अब यहां एक भी ड्रेसर नहीं है। किसी तरह राम भरोसे अस्पताल चल रहा है। यही हाल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) की भी है। वहां भी अधिकांश पद रिक्त पड़ा हुआ है। व्यवस्था कब सुधरेगी पता नहीं लेकिन स्थिति लगातार बदतर होती जा रही है। हाल ही में जिले में तैनात लगभग 300 स्वास्थ्य कर्मियों को हटा दिया गया है। इससे स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है।
अलर्ट जारी पर तैयारी नहीं
कोरोना के साथ अब शहर में डेंगू, चिकेकनगुनिया व जापानी इंसेफ्लाइटिस का भी खतरा बढ़ गया है। इसे लेकर जिला सर्विलांस विभाग की ओर से सभी निजी व सरकारी अस्पतालों को अलर्ट किया गया है और तैयारी करने का निर्देश दिया गया है लेकिन अभी तक इस क्षेत्र में कोई भी अस्पताल आगे नहीं बढ़ा है। इसे लेकर विभाग ने चिंता जाहिर की है। वैसे भी जमशेदपुर शहर में डेंगू, चिकेनगुनिया व जापानी इंसेफ्लाइटिस का सबसे अधिक प्रकोप रहा है। ऐसे में थोड़ी सी भी लापरवाही मंहगी पड़ सकती है। हर साल इस बीमारी के लिए अलग से वार्ड बनाया जाता है। इसकी रोकथाम के लिए अलग टीम बनती है लेकिन इस बार अभी तक कोई तैयारी नहीं दिख रही है। ऐसे में अगर बीमारी बढ़ी तो उसे रोक पाना मुश्किल होगा। वर्ष 2019 में पीलिया भी कहर बरपाया था। धतकीडीह क्षेत्र में सैकड़ों लोग इस बीमारी के चपेट में आए थे। उसकी रोकथाम के लिए दिल्ली से टीम आई थी।