Jharkhand: डाक्टर साहब दिल्ली, तो बलमुचू कहां गए; पढिए सियासी दुनिया की अंदरूनी खबर
Siyasi Adda. जनता तो बस इतना जानना चाहती है कि ये दोनों नेता आजकल कहां हैं। डाक्टर अजय तो दो दिन पहले दिल्ली के एक टीवी चैनल में डिबेट करते नजर आए थे। डाक्टर बलमुचू कहां हैं। काफी दिनों से उनकी खबर नहीं मिली है। सुन रहे थे कि...
जमशेदपुर, बीरेंद्र आेझा। जमशेदपुर के पूर्व सांसद व पूर्व एसपी डा. अजय कुमार को शहर में डाक्टर साहब के नाम से ही लोग जानते-पुकारते हैं। इसमें कोई हर्ज भी नहीं है, वे एमबीबीएस डाक्टर हैं भी। संयोग देखिए कि जमशेदपुर के एक और पूर्व कांग्रेस नेता प्रदीप कुमार बलमुचू भी डाक्टर हैं, लेकिन आमतौर पर लोग उनके नाम के आगे डाक्टर लिखने से परहेज करते हैं।
पता नहीं, क्या कारण है। बहरहाल, हमें उस पचड़े में नहीं पड़ना है। यहां की जनता तो बस इतना जानना चाहती है कि ये दोनों नेता आजकल कहां हैं। डाक्टर अजय तो दो दिन पहले दिल्ली के एक टीवी चैनल में डिबेट करते नजर आए थे। डाक्टर बलमुचू कहां हैं। काफी दिनों से उनकी खबर नहीं मिली है। सुन रहे थे कि कांग्रेस में एंट्री लेने वाले हैं। चर्चा हुई थी कि डाक्टर अजय के पहले वही लाइन में थे, लेकिन उन्हें बाइपास कर दिया गया।
सियासत अपनी जगह, सलाह अलग
झारखंड के स्वास्थ्य व आपदा प्रबंधन मंत्री बन्ना गुप्ता जमीन से जुड़े नेता हैं, इसमें किसी को शक नहीं होना चाहिए। टेंपो वालों के लिए ये कई बार जमीन पर बैठ चुके हैं। पुलिस की लाठी से भी नहीं डरे, जमीन नहीं छोड़ा। ये हर चीज को जड़ से समाप्त करना चाहते हैं। एमजीएम अस्पताल को सुधारने का संकल्प लिया, तो वहां स्थायी रूप से एक चैंबर खोलकर अपने आदमी को बैठा दिया, ताकि वहां इनकी जानकारी के बिना पत्ता भी नहीं हिले। इसी तरह जब कोरोना से निपटने की बारी आई तो अस्पताल-अस्पताल घूमकर जायजा लेना शुरू किया। इस बीच विधायक सरयू राय ने मुख्यमंत्री के मार्फत उन्हें सलाह दी कि स्वास्थ्य मंत्री व स्वास्थ्य सचिव को अस्पताल जाकर नहीं, दफ्तर में बैठकर इलाज के साधन मुहैया कराने पर काम करना चाहिए। संयोग देखिए कि इसी बीच कोरोना ने सचिव को अलग कर दिया, लेकिन मंत्री नहीं माने।
टीएमएच से खफा क्यों हुए कुणाल
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी बहरागोड़ा के पूर्व विधायक भी हैं। भविष्य में उन्हें जमशेदपुर का सांसद बनने की उम्मीद भी है। शायद इसी उद्देश्य से वे अस्पताल के रास्ते शहर की राजनीति में चमकते रहना चाहते हैं। हाल के दिनों में टीएमएच से ताबड़तोड़ मरीजों का बिल माफ कराकर सुर्खियां भी बटोर रहे थे, लेकिन अचानक क्या हुआ कि वे टीएमएच से खफा हो गए। कुछ दिनों उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस करके टीएमएच के साथ पूरे शहर, जिला व राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को चौपट बता दिया। खूब खरी-खोटी सुनाई। किसी को समझ में नहीं आ रहा था कि अचानक ऐसा क्या हो गया, जो कुणाल राज्य सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था के बहाने टीएमएच से भी खफा हो गए। पता चला कि किसी मरीज को बेड दिलाने के लिए टीएमएच में काफी प्रयास किया, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने हाथ खड़े कर दिए। भला ऐसा कैसे हो सकता है।
सरहुल में आई चौंकाने वाली खबर
पर्व-त्योहार का सीजन तो चल ही रहा है। इसमें कोई खास बात नहीं है। वर्ष प्रतिपदा के साथ चैत्र नवरात्र भी चल रहा है। कुछ दिनों बाद रामनवमी भी आएगी। रमजान भी शुरू हो गया है। चौंकाने वाली खबर तो 15 अप्रैल को सरहुल के दिन आई। सीतारामडेरा में मुंडा व हो समाज की ओर से वहां सरहुल मनाया गया। कोरोना की तमाम पाबंदी के बावजूद वहां काफी लोग जुटे। इसी बीच खबर आई कि यहां पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय भी पहुंचे। आयोजकों ने दोनों ने पूजा कराया और मांदर भी बजवाया। दोनों फोटो और खबर वायरल हो गई। सब यही सोचने लगे कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है। वाट्सएप पर जारी खबर में दोनों नेताओं का नाम आयोजकों ने आसपास लिखा, लेकिन फोटो देखने पर पता चला कि शारीरिक रूप से दोनों साथ-साथ नहीं थे। तब जाकर तसल्ली हुई।