Corona Warriors : कोरोना मरीजों के भोजन के लिए नहीं था फंड, डॉ. रविभूषण अग्रवाल ने किया इंतजाम
Jamshedpur Corona Warriors. इस डॉक्टर ने कोरोना काल में ऐसी मिसाल पेश की जिसकी चर्चा चारों ओर हो रही है। फंड नहीं होने के कारण उन्होंने कोरोना मरीजोंं के लिए न केवल खाने का इंतजाम किया जरूरत पड़ने पर खुद रक्त देकर जान भी बचाई।
जमशेदपुर, अमित तिवारी। कोरोना काल में डॉ. रवि भूषण अग्रवाल ने जिस मानवता की मिसाल पेश की, वह दूसरों के लिए उदाहरण है। उन्होंने कोरोना मरीजोंं के लिए न केवल खाने का इंतजाम किया जरूरत पड़ने पर खुद रक्त देकर जान भी बचाई।
जमशेदपुर में कोरोना संक्रमण उच्च स्तर पर था। जमशेदपुर में कोरोना संदिग्ध लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही थी। बाहर से आने वाले लोगों के लिए महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल को डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल बनाया गया था। वहां संदिग्ध लोगों को रखा जाना लगा। लेकिन, उनको खाना खिलाने के लिए अस्पताल प्रबंधन के पास कोई फंड मौजूद नहीं था। अधीक्षक से लेकर उपाधीक्षक सभी चिंतित थे। रोजाना 100 लोगों को कम से कम खाना खिलाना था। चुनौती बड़ी थी। किसी को कुछ सूझ नहीं रहा था। इसी को लेकर एक बैठक चल रही थी, तभी अचानक से महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल के रवि भूषण अग्रवाल पहुंच गए। उन्होंने सुना कि कोरोना संदिग्ध और वारियर्स के पेट भरने पर भी आफत आ गई है। सरकार की ओर से फिलहाल कोई फंड मिलने की आशा नहीं दिख रही थी।
खुद उठाया पूरा खर्च
इसे देखते हुए डॉ. रवि भूषण अग्रवाल आगे आएं और कोविड वार्ड में भर्ती होने वाले संदिग्ध व वारियर्स को खाना खिलाने को ठान लिया। इसके बाद अगले सात माह तक मरीजों का खाना का पूरा खर्च उठाया। हर माह लगभग एक लाख रुपये का खर्च आता था। नवंबर माह से मरीजों की संख्या में कमी आने लगी तो अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें मना कर दिया। अब, कोविड वार्ड में आधे दर्जन मरीज ही बचे हैं।
जमशेदपुर में 11 मई को मिला था पहला कोरोना मरीज
शहर में 11 मई को पहला कोरोना मरीज मिला था। इसके बाद मरीजों की संख्या लगातार बढ़ने लगी। एमजीएम अस्पताल में बेड की कमी पड़ने लगी। इसे देखते हुए कोविड वार्ड में और 50 बेड बढ़ाकर 150 कर दिया गया। लेकिन, डॉ. रविभूषण अग्रवाल थोड़ा भी संकोच नहीं किया। उन 50 लोगों को भी खाना खिलाने का काम किया।
खाना में चार दिन मांसाहारी व तीन दिन शाकाहारी
कोविड वार्ड में भर्ती होने वाले मरीज व वारियर्स के लिए डायटिशियन अन्नू सिन्हा ने मेनू तैयार किया था। इसमें चार दिन मांसाहारी व तीन दिन शाकाहारी शामिल था। डॉ. रवि भूषण अग्रवाल ने खुद के पैसे से किचन में बर्तन भी खरीद कर दिया था, ताकि मांसाहारी व शाकाहारी भोजन अलग-अलग बर्तन में बन सकें।
खून देकर बचाई थी जान
डॉ. रवि भूषण अग्रवाल फिलहाल एमजीएम के पैथोलॉजी विभाग में तैनात हैं। इससे पूर्व वह इमरजेंसी विभाग में तैनात थे। तभी एक मरीज को खून की जरूरत पड़ी। मरीज असहाय थी। एमजीएम के ब्लड बैंक में खून नहीं था। अगर मरीज को खून नहीं चढ़ता तो उसकी मौत होने का खतरा अधिक था। इसे देखते हुए डॉ. रवि भूषण अग्रवाल ने खुद खून देकर मरीज की जान बचाई थी।