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को-आपरेटिव कालेज के रसायन विभाग की हुई सफाई

जमशेदपुर को-आपरेटिव कालेज के रसायन विभाग की सफाई सोमवार को एनसीसी कैडेटों द्वारा किया गया। यह विभाग धूल से भर चुका था। इसे पूरी तरह साफ किया गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Dec 2020 08:08 AM (IST)Updated: Tue, 22 Dec 2020 08:08 AM (IST)
को-आपरेटिव कालेज के रसायन विभाग की हुई सफाई
को-आपरेटिव कालेज के रसायन विभाग की हुई सफाई

जासं, जमशेदपुर : जमशेदपुर को-आपरेटिव कालेज के रसायन विभाग की सफाई सोमवार को एनसीसी कैडेटों द्वारा किया गया। यह विभाग धूल से भर चुका था। इसे पूरी तरह साफ किया गया। इसमें प्राचार्य डा. वीके सिंह, विभागाध्यक्ष डा. नीता सिन्हा, डा. जीके सिंह एवं विभाग के अन्य कर्मचारी सम्मिलत हुए। इस अभियान में छात्र मृदुला, पूजा, शैलेन, सुमन, शंकर , गुरू, रुपमनी, राजदेव, शत्रुघ्न, तनुश्री का योगदान सराहनीय रहा।

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कैंपस : एबीएम के एनसीसी कैडेटों ने स्मारक स्थलों की सफाई

एबीएम कालेज की एनसीसी इकाई की ओर से स्मारक स्थलों की साफ-सफाई की गई। महानिदेशक एनसीसी नई दिल्ली के निर्देश पर यह दायित्व एनसीसी कैडेटों को दिया गया। कालेज के एनसीसी कैडेटों ने शहीद स्मारक स्थल गोलमुरी, सिदो-कान्हु मूर्ति भूइयांडीह, भगवान बिरसा मुंडा स्मारक भूइयांडीह की सफाई की। यह कार्यक्रम एबीएम कालेज के एनसीसी पदाधिकारी कैप्टन डा. बीबी भूइयां के नेतृत्व में चलाया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य हमारे समाज में के लिए त्याग एवं बलिदान देने वाले महापुरुषों के प्रति लोगों के मन जागरूकता पैदा करना तथा उन्हें याद रखना है।

संवैधानिक अधिकार से संताली भाषा का विकास, आज पारसी जितकार माहा

संताली भाषा का विकास संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल किए जाने के बाद ही इसके बाद कई विधाओं में संताली साहित्य का प्रकाशन होने लगा। साहित्य अकादमी पुरस्कार, युवा पुरस्कार, बाल पुरस्कार भी प्रकाशन किया गया। इससे मानों संताल समुदाय के सुधिजन, कविजनों में मानों नई ऊर्जा का संचार हुआ।

यह बातें सिंहभूम कालेज चांडिल के संस्कृत विभाग के एचओडी तथा संताली भाषा में कई पुस्तकों का अनुवाद करने वाले डा. सुनील मुर्मू ने कही। उन्होंने कहा कि भारत सहित विश्व की अन्य भाषा की पुस्तकें भी संताली में अनुवाद होकर पहुंच रही है। संताल समुदाय के लोग 22 दिसंबर को पारसी जितकार माहा अर्थात भाषा विजय दिवस के रूप में मनाते हैं। वस्तुत: यह दिन संताली भावनाओं के सम्मान का दिन है। पाससी माहा दिसवस पर अखिल भारतीय संताली लेखक संघ के प्रधान सचिव सुधीर चंद्र मुर्मू ने कहा कि भाषा के विकास में सभी सरकारों को ध्यान देना चाहिए।


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