जेएचआरसी ने उठाई मांग, जनता के सुझाव के बाद ही जमशेदपुर बने नगर निगम या इंडस्ट्रियल टाउन
पहले टाटा कंपनी और सरकार को इंडस्ट्रियल टाउन के प्रारूप को जनता के बीच रखना चाहिए। जनता के सुझाव के बाद ही अगली कार्यवाही की जानी चाहिए । मामला जबरन थोपने पर पुनः जोरदार आंदोलन के विकल्प पर विचार किया जा सकता है।
जमशेदपुर, जासं। इंडस्ट्रियल टाउन हो या नगर निगम, पहले टाटा स्टील और सरकार यह बताए कि स्थानीय जनता को क्या हासिल होने वाला है। क्या उनके मौलिक एवं नागरिक अधिकार पूर्ववत रहेंगे। क्या उन्हें तीसरे वोट का अधिकार मिलेगा। उक्त बातें झारखंड ह्यूमन राइट्स कॉन्फ्रेंस (जेएचआरसी) के केंद्रीय अध्यक्ष मनोज मिश्रा ने कहीं।
सीतारामडेरा स्थित छायानगर में जेएचआरसी की ओर से आयोजित बैठक में उन्होंने कहा कि जेएचआरसी के द्वारा जमशेदपुर को नगर निगम बनाने की लंबी लड़ाई लड़ी गयी है, जिसके बाद अर्जुन मुंडा की सरकार में नगर विकास मंत्री रहे रघुवर दास ने शहर को नगर निगम बनाने संबंधी अधिसूचना जारी करते हुए आम जनता से सुझाव मांगे थे। जिसके बाद टाटा स्टील ने इसका जोरदार विरोध किया था। बाद में कंपनी ने अधिसूचना को सर्वोच्च न्यायलय मे चुनौती दी। मामला तब से आज तक न्यायलय में लंबित है। इस मामले में अलग से किसी ने जनहित याचिका दायर नहीं की है। बल्कि किसी नागरिक द्वारा दखलदार बन कर याचिका कर्ता के रूप मे सुर्खियां बटोरने का प्रयास किया जा रहा है।
संस्था ने चलाया था हस्ताक्षर अभियान
मनोज मिश्रा ने बताया कि कंपनी द्वारा नगर निगम के जोरदार विरोध के बावजूद जेएचआरसी ने सर्वप्रथम जनता के बीच जाकर नगर निगम के गठन के पक्ष में हस्ताक्षर अभियान चलाया और जनता से भारी समर्थन प्राप्त किया था। जेएचआरसी के संलेख पर ही सरकार ने इसके गठन पर अंतिम मुहर लगाने की तैयारी कर चुकी थी, जिसे टाटा स्टील ने सर्वोच्च न्यायलय में चुनौती दी। जिसके बाद मामला लटक गया। उन्होंने कहा कि जिस टाटा कंपनी ने पूर्व से चली आ रही लीज शर्तों के अनुपालन में भी कोताही बरती है। उन्होंने तय शर्तों के अनुसार नागरिक सुविधाएं तक बहाल नहीं की है, उसी कंपनी से इंडस्ट्रियल टाउन बनने पर आम जनता को समस्त मौलिक एवं नागरिक अधिकार प्रदान किये जायेंगे। यह यक्ष प्रश्न है।
आंदोलन की चेतावनी
उन्होंने कहा कि पहले टाटा कंपनी और सरकार को इंडस्ट्रियल टाउन के प्रारूप को जनता के बीच रखना चाहिए। जनता के सुझाव के बाद ही अगली कार्यवाही की जानी चाहिए । मामला जबरन थोपने पर पुनः जोरदार आंदोलन के विकल्प पर विचार किया जा सकता है। बैठक में मनोज मिश्रा, गुरमुख सिंह, डीएन शर्मा, जगन्नाथ मोहंती, सलावत महतो, आरसी प्रधान, जसवंत सिंह, दुर्गेश शर्मा, ऋषि कुमार, राजू कुमार सहित अन्य मौजूद थे।