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सऊदी स्टाइल में मनाई जाती है शहर की ईद

जागरण संवाददाता जमशेदपुर ईद खुशी का त्यौहार है। लेकिन जमशेदपुर की ईद काफी मशहूर है। यहा की ईद पर सऊद

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Jun 2018 08:58 PM (IST)Updated: Fri, 08 Jun 2018 08:58 PM (IST)
सऊदी स्टाइल में मनाई जाती है शहर की ईद
सऊदी स्टाइल में मनाई जाती है शहर की ईद

जागरण संवाददाता जमशेदपुर ईद खुशी का त्यौहार है। लेकिन जमशेदपुर की ईद काफी मशहूर है। यहा की ईद पर सऊदी अरब और दुबई की छाप दिखाई देती है। जिस तरह सऊदी अरब और दुबई में लोग ईद के दिन जमकर लुत्फ उठाते हैं। उसी तरह शहर के लोग भी ईद की नमाज के बाद इसका भरपूर आनंद उठाने में जुट जाते हैं। महिलाएं और बच्चे निक्को पार्क में जाते हैं। पहनावे में भी दुबई और मुंबई की संस्कृति की झलक दिखती है। यहा के युवा ईद के रोज मुंबई के पहनावे को अपनाते हैं। मुंबई में कुर्ता पायजामा का जो ट्रेंड होता है। उसी तर्ज पर यहा के लोगों के कपड़े सिले जाते हैं। जबकि महिलाएं दुबई में चलने वाले फैशन पर ज्यादा ध्यान देती हैं। यहा मोहल्लों में लगने वाले मेले ईद की खुशी को 4 गुना कर देते हैं। मानगो में ओल्ड पुरुलिया रोड ईदगाह मैदान और मुर्दा मैदान में लगने वाले मेलों में खूब भीड़ होती है। इसी तरह जुगसलाई में भी मेला लगता है। यह मेले ईद के दिन दोपहर बाद से शुरू होते हैं। मेलों में झूले, बच्चों की कारें,घोडे  खिलौने, खाने पीने की चीजें आदि आकर्षण का मुख्य केंद्र होती हैं। इन महिलाओं में महिलाएं और बच्चे इन मेलों का जमकर लुत्फ उठाते हैं। ईद के दिन शहर के पिकनिक स्पॉट मुस्लिम परिवारों से गुलजार रहते हैं। ईद की शाम को लोग अपनी फैमिली के साथ घूमने निकलते हैं। कोई पार्क पहुंचता है। लोक चाडिल डैम डिमना और दलमा की भी सैर पर निकलते हैं। शहर में ईद का सबसे बड़ा मेला गाधी मैदान में लगता था। लेकिन अराजकतत्वों के चलते 2015 में दो गुटों में संघर्ष के बाद प्रशासन ने मेला बंद करा दिया।

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इसके अलावा ईद की जो रवायत हैं। वह तो चलती ही हैं। सुबह नहाना धोना नए कपड़े पहनना इत्र लगाना और फिर ईदगाह और मस्जिदों में नमाज के लिए जाना होता है। नमाज के बाद लोग एक दूसरे के घरों में जाकर सेवइया खाते हैं। शहर में सेवइया बनाने का कम रिवाज है। जो लोग यूपी से हैं उन्हीं के घर सेवइया बनती हैं। ज्यादातर लोग लच्छा बनाते हैं। लच्छा बनाने में आसान होता है और खाने में स्वादिष्ट भी। इसके अलावा इधर मुंबई का शीर खुर्मा बनाने का रिवाज चला है । शीर खुर्मा में कस्टर्ड मिलाया जाता है और यह खाने में सेवइयों और लच्छे से भी ज्यादा लजीज होता है। एक दूसरे के यहा सेवइया लच्छे और शीर खुर्मा खाने के अलावा लोग दावतें भी करते हैं। ईद की खुशी में लोग अपनों को नहीं भूलते। दावतों में अपने हिंदू दोस्तों को भी बुलाते हैं और ईद की खुशिया उनके साथ बाटते हैं। इस तरह ईद की खुशी समाज में एकता का पैगाम भी लाती है। शाम को महिलाएं एक दूसरे के यहा सेवइया और दावत खाने के लिए निकलती हैं। यह सिलसिला देर रात तक चलता है।

प्रस्तुति मुजतबा हैदर रिजवी


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