Move to Jagran APP

बोगी में बैठे बच्चे तो बिना पटरी के चल पड़ी स्कूल

कोरोना के बाद आज बड़े-बड़े स्कूल बच्चों की कमी का रोना रो रहे हैं जबकि पूर्वी सिंहभूम जिला के सुदूर ग्रामीण इलाके का एक स्कूल अपनी उपलब्धि से चहक रहा है। हर साल यहां 35-40 बच्चे ही दाखिला लेते थे इस बार 75 बच्चों ने दाखिला लिया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Oct 2021 05:45 PM (IST)Updated: Wed, 20 Oct 2021 05:45 PM (IST)
बोगी में बैठे बच्चे तो बिना पटरी के चल पड़ी स्कूल
बोगी में बैठे बच्चे तो बिना पटरी के चल पड़ी स्कूल

वीरेंद्र ओझा, जमशेदपुर : कोरोना के बाद आज बड़े-बड़े स्कूल बच्चों की कमी का रोना रो रहे हैं, जबकि पूर्वी सिंहभूम जिला के सुदूर ग्रामीण इलाके का एक स्कूल अपनी उपलब्धि से चहक रहा है। हर साल यहां 35-40 बच्चे ही दाखिला लेते थे, इस बार 75 बच्चों ने दाखिला लिया है। यह सब संभव हुआ है एक शिक्षक की बदौलत, जिन्होंने शत प्रतिशत बच्चों को मैट्रिक पास कराने का जुनून पाल रखा है।

loksabha election banner

जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर पोटका प्रखंड के टांगराइन स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय में कोरोना के दौरान जब बच्चे स्कूल नहीं आ रहे थे, तब भी प्रभारी प्रधानाध्यापक अरविद तिवारी उन बच्चों की चिता कर रहे थे। गांव-गांव घूमकर बच्चों को उनके घर तक जाकर पढ़ा रहे थे। गणित व अंग्रेजी का ज्ञान दे रहे थे। कोरोना के बाद जब स्कूल खुला तो बच्चों ने अपने स्कूल को अलग रूप में देखा। ऐसा लगा कि रेलवे प्लेटफार्म पर बिना पटरी के एक ट्रेन खड़ी है। बोगी की शक्ल में बनी कक्षा में बच्चे प्रवेश करते ही चहकने लगते हैं। अपने स्कूल के अनूठे रूप को देखकर इतराते बच्चे सेल्फी भी लेते हैं, जिसे दिखाकर अपने सगे-संबंधियों, परिचितों-दोस्तों से स्कूल की खूबियां सुनाते नहीं अघाते हैं।

तिवारी बताते हैं कि यह स्कूल तो 1952 में स्थापित हुआ था, लेकिन मैंने यहां जनवरी 2017 से कला शिक्षक के पद पर योगदान दिया। उस वक्त यहां करीब 136 बच्चे पढ़ते थे। आज यहां 269 बच्चे हैं। झारखंड-ओडिशा की सीमा पर स्थित इस स्कूल में कोरोना के बाद कई ऐसे बच्चे भी आए, जो निजी स्कूल में पढ़ते थे। दो बच्चे ऐसे भी आए हैं, जो ओडिशा के एक स्कूल में छात्रावास में रहकर पढ़ते थे। कुछ बच्चे पांच किलोमीटर दूर सिगली गांव से भी आ रहे हैं, जबकि उनके गांव से डेढ़ किलोमीटर दूरी पर भी एक स्कूल है।

--------

तीरंदाजी प्रशिक्षण देने वाला इकलौता सरकारी स्कूूल

टांगराइन का यह सरकारी स्कूल शायद पूरे राज्य का इकलौता सरकारी स्कूल है, जहां नियमित रूप से तीरंदाजी का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अलावा मिशन आर्मी, दो पन्ना रोज, किचन गार्डन, कहानी मेला, जन्मदिन पर पौधारोपण, मशरूम उत्पादन केंद्र, हैंडीक्राफ्ट, दुग्ध उत्पादन, आभूषण बनाने आदि का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.