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ISL 2020: भारतीय कोच स्टीमाक की चिंता, विदेशी स्ट्राइकरों के सहारे कैसे होगा फुटबॉल का विकास

जब 2014 में इंडियन सुपर लीग का आगाज हुआ था तो बड़ी उम्मीद यह थी कि यह भारतीय फुटबॉल टीम के सुधार के लिए एक मार्ग होगा। हालांकि इस दिशा में थोड़ी सुधार हुई है लेकिन जितना होना चाहिए उतना नहीं हुआ। भारतीय टीम ने फीफा रैंकिंग में जगह...

By Vikram GiriEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 11:28 AM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 11:28 AM (IST)
ISL 2020: भारतीय कोच स्टीमाक की चिंता, विदेशी स्ट्राइकरों के सहारे कैसे होगा फुटबॉल का विकास
विदेशी स्ट्राइकरों के सहारे कैसे होगा फुटबॉल का विकास। जागरण

जमशेदपुर (जागरण संवाददाता) । जब 2014 में इंडियन सुपर लीग का आगाज हुआ था, तो बड़ी उम्मीद यह थी कि यह भारतीय फुटबॉल टीम के सुधार के लिए एक मार्ग होगा। हालांकि इस दिशा में थोड़ी सुधार हुई है, लेकिन जितना होना चाहिए उतना नहीं हुआ। भारतीय टीम ने फीफा रैंकिंग में जगह जरूर बनाई है। 2019 में भारत उन टीमों में से एक था जो एएफसी एशियन कप में संयुक्त अरब अमीरात में एशिया की सर्वश्रेष्ठ टीमों में से एक थी। सितंबर 2019 में भारत ने एशियाई चैंपियनशिप में कतर को ड्रॉ पर रोका था।

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भारतीय फुटबॉल टीम के हेड कोच इगोर स्टीमाक को इसी बात की चिंता है कि आइएसएल से जिस गति से भारत में फुटबॉल का विकास होना चाहिए वह नहीं हो पा रहा है। एक आइएसएल मैच में पांच विदेशी खिलाड़ी खेल सकते हैं। ऐसे में मुख्य पोजीशन में भारतीय खिलाड़ी की कमी खलती है।

भारतीय स्ट्राइकरों की कमी

आइएसएल में अब तक खेले गए तीन मैचों में सभी छह टीमों ने सेंट्रल स्ट्राइकर के रूप में विदेशी खिलाड़ी को प्राथमिकता दी। भारतीय कोच स्टीमाक के लिए यही चिंता का विषय है। आइएसएल टीमों की अपनी मजबूरी भी है। स्टीमाक की बात करें तो वह भारतीय टीम में सेंट्रल डिफेंडर के रूप में सुनील छेत्री व मानवीर सिंह को मौका देते हैं। आइएसएल में पिछले सीजन में लीग में शीर्ष 20 गोल करने वाले खिलाड़ियों में केवल तीन भारतीय थे। पिछले सीजन में सर्वाधिक गोल करने वालों की सूची में सिर्फ तीन भारतीय ही शामिल थे।  सुनील छेत्री ने कुल नौ

गोल किए थे, वहीं  लालजुआला चेंगटे ने सात व जैकीचंद सिंह ने पांच गोल किए थे। जैसा कि वह पिछले कुछ वर्षों में आदर्श था, छेत्री फिर से नौ गोल के साथ सर्वोच्च भारतीय गोल करने वाला खिलाड़ी था। लल्लिंज़ुआला छंगटे, जिन्होंने सात बार गोल किया, और पांच गोल के साथ जैकीचंद सिंह, सूची के शीर्ष के पास एकमात्र अन्य भारतीय थे। ईस्ट बंगाल ही ऐसी टीम हैं, जिन्होंने भारतीय स्ट्राइकरों पर भरोसा जताया है। टीम ने छह विदेशी खिलाड़ियों को साइन किया है, जिसमें एक भी स्ट्राइकर नहीं है।

टीम के कोच रोबी फाउलर ने जेजे लालफेकलुआ व बलवंत सिंह को स्ट्राइकर के तौर पर आजमाएंगे। रोबी फाउलर के लिए चिंता की बात यह है कि उन दोनों खिलाड़ियों का ट्रैक रिकार्ड निराश करने वाला है। घुटने में चोट के कारण जेजे पिछले सीजन में नहीं खेल पाए थे, वहीं एटीके में रहते हुए बलवंत सिंह ने सिर्फ दो गोल ही किए थे। रोबी कृष्णा व डेविड विलियम्स को एटीके टीम में शामिल होने के कारण उन्हें खास तरजीह नहीं दी गई।

इस सीजन में एटीके मोहन बागान के लिए मानवीर सिंह चुनौती पेश कर रहे हैं। वह अपने प्रदर्शन की बदौलत टीम में विलियम या कृष्णा की जगह बना सकते हैं। वैकल्पिक खिलाड़ी के तौर पर मैदान पर उतरे मानवीर ने

शानदार प्रदर्शन किया था, लेकिन कृष्णा व विलियम्स की जोड़ी से टीम प्रबंधन छेड़छाड़ करना नहीं चाहेगा।

भारतीय स्ट्राइकरों के लिहाज से ऐसी स्थिति प्रत्येक आइएसएल टीमों में है। फारुख चौधरी व एएफसी एशियन कप खेलने वाले आशिक कुरुनिवन जैसे स्ट्राइकर भी अपनी-अपनी टीमों में अंतिम एकादश में जगह नहीं बना पा रहे हैं।

जहां तक फिटनेस व पेशेवर खिलाड़ी की बात करें तो आइएसएल ने खिलाड़ियों की मानसिकता में बदलाव किया है। लेकिन जैसा कि भारतीय कोच स्टीमाक की चिंता है, आइएसएल की सभी टीमों  को अपने भारतीय स्ट्राइकरों को सुनील छेत्री की तरह अधिक से अधिक मौका देना चाहिए।


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