Inspiring Story : तीन साल पहले नहीं था अक्षर ज्ञान, आज हुई मैट्रिक पास
Inspiring Story दुष्यंत कुमार की एक कविता है कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं होता एक तबीयत तो पत्थर से उछालो यारो...। संगीता 19 साल की उम्र में मैट्रिक पास कर अपनी जीवटता का परिचय दिया। तीन साल पहले तक इस युवती को अक्षर ज्ञान तक नहीं था...
वेंकटेश्वर राव, जमशेदपुर : नाम संगीता महतो, उम्र 19 साल। मरीन ड्राइव कदमा के बागे बस्ती में है इस युवती का घर। घर की बड़ी बेटी की जिम्मेदारी का निर्वाहन करने के कारण वह खुद नहीं पढ़ पा रही थी। उसके भाई-बहन सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। तीन साल पहले तक उसे अक्षर ज्ञान तक नहीं था। इसी बीच इस बालिका की मुलाकात टाटा वर्कर्स यूनियन कदमा उच्च विद्यालय की विज्ञान की शिक्षिका शिप्रा मिश्रा से हुई। इस बालिका ने उनसे घर में काम करने की बात कही, उसे पैसे की आवश्यकता थी।
संगीता के जुनून को मिला शिप्रा का साथ
शिक्षिका ने बताया कि वे उससे घर का काम नहीं करा सकती। बार-बार अनुरोध पर कहा कि उनके दो छोटे बच्चे हैं बस उसकी देखभाल करनी है। इसमें वह राजी हो गई। आवश्यकतानुसार शिक्षिका ने उन्हें आर्थिक सहयोग किया। शिक्षिका के घर में अखबार आने पर वह रोजाना अखबार की फोटो देखा करती थी मगर वह पढ़ नहीं पाती थी। शिक्षिका ने इस युवती के मनोभाव को पकड़ा तथा पूछा कि आगे पढ़ना चाहती हो तो उसने हां कह दिया। उसके बाद से शिक्षिका शिप्रा ने उसे तैयार किया। पठन-पाठन की सामग्री उपलब्ध कराई तथा खुद भी पढ़ाया।
एपीजीए अब्दुल कलाम हाई स्कूल से वर्ष 2019 में कक्षा नवम में प्राइवेट से रजिस्ट्रेशन कराया। कोविड के कारण इस छात्रा को फायदा भी हुआ। हाल ही में जारी मैट्रिक पूरक परीक्षा में परिणाम में वह 84 प्रतिशत अंक के साथ उत्तीर्ण हुई। इस छात्रा के उत्तीर्ण होने से इस शिक्षिका के आंख से खुशी के आंसू निकल पड़े। शिक्षिका शिप्रा ने बताया छात्रा को मैट्रिक पास कराने के महत्वपूर्ण कार्य में एक और शिक्षिका इशिता का भी योगदान सराहनीय रहा।
इंटर की पढ़ाई के बाद नर्सिंग कोर्स प्राथमिकता : संगीता
मैट्रिक की परीक्षा में 84 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाली संगीता महतो का कहना है वह इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद नर्सिंग का कोर्स करना चाहती है। नर्सिंग कोर्स करने के पीछे मरीजों की सेवा करना उनका लक्ष्य है। छात्रा ने कहा कि उसने कोरोना को नजदीक से देखा है। कैसे लोग भागते है उन्हें इसका आभास है। ऐसे में सेवा करने वाली नर्से मरीजों की सेवा तत्पर रही।
इस कारण वह नर्सिंग का कोर्स करना चाहती है। इस सफलता के बारे में छात्रा ने कहा कि वह रात को 11 बजे से डेढ़ बजे तक पढ़ती थी। जहां समझ में नहीं आता शिप्रा दीदी सहयोग करती थी। छात्रा ने शिप्रा दीदी का आभार जताते हुए कहा कि उन्हीं की प्रेरणा व प्रोत्साहन से मुझ पर मैट्रिक पास का मुहर लगा।