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टाटा, अंबानी, अडाणी ही नहीं, ये स्टार्टअप कंपनियां भी लड़ रही कोरोना के खिलाफ जंग

टाटा संस टाटा ट्रस्ट्स विप्रो इंफोसिस रिलायंस हीरो साइकिल अडाणी फाउंडेशन जेएसडब्ल्यू ग्रुप और अन्य जैसे बड़ी कॉरपोरेट कंपनियां ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया लेकिन देश की कई ऐसी स्टार्ट अप कंपनियां हैं जो इस जंग में पीछे नहीं रही।

By Jitendra SinghEdited By: Published: Sun, 30 May 2021 06:00 AM (IST)Updated: Sun, 30 May 2021 07:37 PM (IST)
टाटा, अंबानी, अडाणी ही नहीं, ये स्टार्टअप कंपनियां भी लड़ रही कोरोना के खिलाफ जंग
टाटा, रिलायंस, अंबानी, अडाणी ही नहीं, ये स्टार्ट कंपनियां भी लड़ रही कोरोना के खिलाफ जंग

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : इसी साल अप्रैल महीने में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने पूरे देश को अपने शिकंजे में कस लिया। स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई। कहीं ऑक्सीजन की कमी तो कहीं अस्पतालों की कमी के कारण मरीजों की मौत हो रही थी।

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स्थिति ऐसी हो गई कि लोग मदद के लिए बेताब लोगों ने संसाधनों को साझा करने में एक-दूसरे की मदद की। कई निजी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों और उनके परिवार के सदस्यों की सुरक्षा के लिए कदम बढ़ाया तो टाटा, अंबानी, अडानी की कंपनियों ने खुले दिल से सहयोग किया। लेकिन इन सबके बीच कुछ ऐसी भी स्टार्ट अप कंपनियां हैं, जिन्होंने बिना पब्लिसिटी के इस जंग में कंधे से कंधे मिलाकर लड़ते दिखे।

बड़ी कंपनियों ने दिखाया बड़ा दिल

टाटा संस, टाटा ट्रस्ट, विप्रो, इंफोसिस, रिलायंस, हीरो साइकिल, अडाणी फाउंडेशन, जेएसडब्ल्यू ग्रुप और अन्य जैसे बड़े नामों ने बड़ी राशि का योगदान दिया। टाटा संस और टाटा ट्रस्ट ने मिलकर 1500 करोड़ रुपये का दान दिया। विप्रो ने 1125 करोड़ रुपये का दान दिया है, जबकि कई अन्य कंपनियों ने बड़ी राशि देकर सहयोग किया। कई कंपनियों ने 100 करोड़ से ज्यादा दान में दिए। टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने एक बयान में कहा, "टाटा ट्रस्ट के 500 करोड़ रुपये के योगदान का इस्तेमाल पीपीई किट, श्वसन प्रणाली,टेस्टिंग किट, मॉड्यूलर ट्रीटमेंट फैसिलीट की स्थापना के अलावा फ्रंट लाइन वर्कर्स को प्रशिक्षित करने में कर रही है।

छोटी स्टार्टअप कंपनियां भी पीछे नहीं

कुछ कॉरपोरेट कंपनियां पैसों से लेकर संसाधनों तक सहयोग किया, वहीं कुछ ऐसे स्टार्ट अप कंपनियां हैं, जिन्होंने फ्री ऑफ कॉस्ट (मुफ्त में) सेवाएं दी। उदाहरण के तौर पर दिल्ली/एनसीआर स्थित मूवर्स और पैकर्स एग्रीगेटर शिफ्ट फ्रेट ने ऑक्सीजन कंसंटेटर्स जैसी चिकित्सा आपूर्ति की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए सरकारों के साथ मिलकर काम किया। कंपनी का दावा है कि उसने कई ऐसे डिलीवरी मुफ्त में किए, जिसकी कीमत 50 हजार तक थी। यही नहीं, कंपनी ने अपने ऑन ड्यूटी स्टाफ के लिए मास्क, पीपीई किट, ग्लव्स, शू कवर व सैनिटाइजर भी उपलब्ध कराएं।

शिफ्ट फ्रेट ने दूर दराज इलाकों में पहुंचाया सिलेंडर व कंसंट्रेटर

शिफ्ट फ्रेट के सह-संस्थापक अविनाश राघव कहते हैं, हम बिना किसी देरी के और मुफ्त में देश के दूर दराज इलाकों में सिलेंडर और कंसंट्रेटर जैसे जीवन रक्षक उपकरणों को पहुंचाया। ऐसा हमारा व्यापक नेटवर्क के कारण संभव हो सका। हम मौजूदा संकटों में लोगों की किसी भी तरह की सेवा करके अपने आप को सौभाग्यशाली महसूस कर रहे हैं।

टीकाकरण अभियान, बीमा पॉलिसी और ऑक्सीजन की आपूर्ति

COVID-19 वायरस के खिलाफ सबसे शक्तिशाली हथियारों में से एक टीकाकरण है। कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों का टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर्स के साथ करार किया है। भारत स्थित नो-कोड ऐप डेवलपमेंट कंपनी अप्पी पाई अपने कर्मचारियों के लिए टीकाकरण अभियान को अपनाने वाली ऐसी पहली फर्मों में से एक थी। स्टार्टअप के संस्थापक अभिनव गिरधर ने कहा, “जब भारत अभी भी कोविड की पहली लहर पर काबू पा रहा था, कई अन्य देश पहले से ही दूसरी लहर से गुजर रहे थे। इससे हमें एहसास हुआ कि बुरा वक्त अभी खत्म नहीं हुआ है, और इसलिए हम किसी भी कीमत पर अपने कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहते हैं।" कंपनी बीमा के तहत सभी स्टाफ के लिए COVID वैक्सीन मुफ्त उपलब्ध करा रही है। इसी तरह, अर्न्स्ट एंड यंग जैसी अन्य कंपनियां भी अपने स्टाफ को मुफ्त में टीका लगवा रही है।

नोवेलवॉक्स ने कर्मचारियों के चिकित्सा बीमा को किया अपडेट

नोवेलवॉक्स, एक कांटैक्ट सेंटर सोल्यूशन कंपनी है। उसने अपने कर्मचारियों की चिकित्सा बीमा पॉलिसियों को अपग्रेड किया है। फर्म ने एक व्यापक COVID नीति तैयार की है, जिसके तहत कर्मचारी COVID के खिलाफ लड़ने के लिए खर्च की गई राशि का दावा कर सकते हैं। साथ ही, कंपनी को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स खरीदने की जल्दी थी, जिसे उनके कर्मचारी जरूरत पड़ने पर और बिना किसी शुल्क के लाभ उठा सकते हैं। नोवेलवॉक्स के संस्थापक अमित कुमार गांधी कहते हैं, "कंपनियां अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कर्मचारियों से बहुत उम्मीद करती हैं, लेकिन यह वह समय है जब कंपनियों को कदम बढ़ाने और अपने कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता है, और ठीक यही हमने किया। ऐसे कठिन समय में अपने कर्मचारियों की देखभाल करना कंपनियों की सामाजिक जिम्मेदारी है, चाहे वे किसी भी पैमाने पर हों। ” 


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