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टाटानगर में 400 रेलवे क्वार्टरों पर अवैध कब्जा, जल्द शुरू होगा अभियान

मेंस कांग्रेस की ओर से एक बार फिर टाटानगर में रेलवे क्वार्टरों का अवैध रूप से कब्जा होने के मामले को उठाया गया। रेलवे के क्वार्टरों में अवैध रूप से कब्जा केवल टाटानगर की ही समस्या नहीं है। इस तरह के कब्जे राउरकेला बंडामुंडा और झारसुगुड़ा में भी हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 29 Aug 2021 06:01 PM (IST)Updated: Sun, 29 Aug 2021 06:01 PM (IST)
बैठक में उपस्थित मंडल के वरीय अधिकारी सहित मेंस कांग्रेस के पदाधिकारी।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। चक्रधरपुर रेल मंडल के टाटानगर में लगभग 400 ऐसे रेलवे क्वार्टर हैं जिनपर अवैध रूप से कब्जा है। दक्षिण - पूर्व रेलवे मेंस कांग्रेस, चक्रधरपुर मंडल की पहल पर अब रेल प्रबंधन इन सभी क्वार्टरों को तोड़ने की तैयारी कर रहा है। भारतीय रेल अपने सभी कर्मचारियों को रहने के लिए क्वार्टर की व्यवस्था करता है। टाटानगर में लगभग 2300 क्वार्टर हैं। लेकिन इनमें से लगभग 400 क्वार्टर ऐसे हैं जिन पर अवैध रूप से बाहरी लोगों का कब्जा है। अतिक्रमणकारी रेलवे के क्वार्टर के अलावा बिजली व पानी की भी पूरी तरह से उपयोग करते हैं। इससे रेल प्रबंधन को हर साल करोड़ों रुपये की चपत तो लग रही है। वहीं, जो कर्मचारी क्वार्टर लाभ के लिए अधिकृत हैं वे भी इससे वंचित हो रहे हैं।

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स्थायी वार्ता तंत्र की बैठक में उठा मामला

चक्रधरपुर मंडल में बीते बुधवार को डीआरएम वीके साहू के साथ मेंस कांग्रेस के नेताओं के साथ स्थायी वार्ता तंत्र की बैठक हुई। इस बैठक में मेंस कांग्रेस की ओर से एक बार फिर टाटानगर में रेलवे क्वार्टरों का अवैध रूप से कब्जा होने के मामले को उठाया गया। हालांकि रेलवे के क्वार्टरों में अवैध रूप कब्जा केवल टाटानगर की ही समस्या नहीं है। रेलवे क्वार्टरों में इस तरह के कब्जे राउरकेला, बंडामुंडा और झारसुगुड़ा में भी है। रेल मंडल के वरीय अधिकारियों ने ऐसे सभी अवैध क्वार्टरों की जांच के लिए रेलवे सुरक्षा बल के सहायक आयुक्त के नेतृत्व में एक टीम बनाई है। जल्द ही ये टीम क्षेत्रवार अवैध रूप से कब्जा वाले क्वार्टरों की जांच करेगी।

2019 में चला था जांच अभियान

आरपीएफ की ओर से वर्ष 2019 में अवैध क्वार्टरों के खिलाफ जांच अभियान चला  था। इसमें एक-एक क्वार्टरों की जांच कर अवैध रूप से हुए अतिक्रमण की रिपोर्ट मंडल कार्यालय को भेजी गई थी लेकिन आज तक इस रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब देखना है कि मेंस कांग्रेस की इस पहल पर मंडल रेल मुख्यालय फिर से यह पहल करती है या फिर मामला फिर से फाइलों में दब कर रह जाता है।


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