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कोल्हान में खून का संकट बढ़ा, ब्लड बैंकों में मांगे जा रहे डोनर

गर्मी में एक तो लोग रक्तदान शिविर कम लगाते हैं। दूसरी ओर छुट्टी व खेल प्रतियोगिताएं खूब होती है। इससे युवा रक्तदान कम करते हैं। इससे करीब दो माह तक बैंक में खून की कमी रहती है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 18 Apr 2019 11:14 AM (IST)Updated: Thu, 18 Apr 2019 11:14 AM (IST)
कोल्हान में खून का संकट बढ़ा, ब्लड बैंकों में मांगे जा रहे डोनर
कोल्हान में खून का संकट बढ़ा, ब्लड बैंकों में मांगे जा रहे डोनर

जमशेदपुर, जेएनएन। मानगो शंकोसाई निवासी सुरेंद्र शर्मा की बेटी 13 वर्षीया शीला कुमारी कोल्हान के सबसे बड़े महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में फिलहाल भर्ती है। उसके शरीर में खून की अत्यधिक कमी है। हीमोग्लोबिन सिर्फ तीन ग्राम है, जबकि कम से कम 11 से 12 ग्राम होना चाहिए। एबी पॉजिटिव खून लेने के लिए मरीज के परिजन बीते दो दिन से एमजीएम व जमशेदपुर ब्लड बैंक का चक्कर लगा रहे है लेकिन कहीं नहीं मिला। उनसे कहा गया कि एबी पॉजिटिव ग्रुप का खून नहीं है। इसी ग्रुप का डोनर लेकर आइए, तभी मिल सकेगा खून। 

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इस गंभीर समस्या की पड़ताल जब दैनिक जागरण की टीम ने किया तो पाया कि वाकई खून की किल्लत गहराने लगी है। शहर के तीनों ब्लड बैंक (बिष्टुपुर स्थित जमशेदपुर ब्लड बैंक, एमजीएम स्थित ब्लड बैंक व ब्रह्मानंद स्थित ब्लड बैंक) में ए व एबी पॉजिटिव ग्रुप सिर्फ इमरजेंसी कोटा के लिए कुछ यूनिट रखा गया है। इस ग्रुप के खून जमशेदपुर ब्लड बैंक में 30 यूनिट, एमजीएम के ब्लड बैंक में 11 व ब्रह्मनंद के ब्लड बैंक में 04 यूनिट बचा है। जबकि सामान्य दिनों में 170 से अधिक यूनिट खून रहता था। एमजीएम अस्पताल के ब्लड बैंक में ए (-), ओ (-), एबी (-) रक्त खत्म हो गया है। वहीं बी (-) भी सिर्फ चार यूनिट ही बचा है। जबकि  बी (+) व ओ (+) ग्रुप के खून काम चलने भर है। 

क्यों पड़ जाती खून की कमी

गर्मी में एक तो लोग रक्तदान शिविर कम लगाते हैं। दूसरी ओर छुट्टी व खेल प्रतियोगिताएं खूब होती है। इससे युवा रक्तदान कम करते हैं। इससे करीब दो माह तक बैंक में खून की कमी रहती है। अनुमान लगाया जा रहा है कि जिस रफ्तार से गर्मी बढ़ रही है उससे ब्लड बैंक में खून की किल्लत और भी बढ़ेगी। 

खून की कमी से निपटने के लिए ब्लड बैंकों की तैयारी

गर्मी को देखते हुए सभी ब्लड बैंकों ने खून की कमी को दूर करने की तैयारी में जुटा है। वह स्वयंसेवी संस्थाओं से अपील कर रहा है कि ब्लड बैंक परिसर में आएं और रक्तदान करें। जमशेदपुर ब्लड बैंक में रोजाना 80 से 100 यूनिट रक्त रोजाना दान कर रहे हैं। आने वाले दिनों में यह संख्या घटकर 40 से 50 तक हो जाने की आशंका है। वहीं एमजीएम में यह संख्या 10 से 15 यूनिट ही है। जबकि ब्रह्मनंद के ब्लड बैंक में 8 से 10 यूनिट है। यह परेशानी मई से जुलाई तक रह सकती है।

ये कहते उपाधीक्षक

गर्मी में खून की किल्लत हो जाती है। इसके लिए सभी स्वयंसेवी संगठनों से रक्तदान करने की अपील की जा रही है। शहर खून देने में आगे रहा है इसलिए उम्मीद करता हूं कि लोगों का सहयोग जरूर मिलेगा।

- डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी, उपाधीक्षक, एमजीएम

ये कहते ब्लड बैंक संचालक

ए और एबी ब्लड ग्रुप के डोनर शहर में कम है। इसलिए बैंकों में इस ब्लड ग्रुप की कमी पड़ गई है। लोगों को आगे आकर रक्तदान करना चाहिए, ताकि दूसरे मरीजों की जान बचाई जा सके।

- शक्ति डी सिंह, संचालक, ब्लड बैंक, ब्रह्मनंद

ये भी जाने

- गर्मी में सूखने लगे जमशेदपुर के तीनों ब्लड बैंक, एमजीएम में नहीं है ए व ओ नेगेटिव खून

- एमजीएम के अलावे निजी हॉस्पिटल के मरीजों को भी मुफ्त में खून कराया जाता उपलब्ध। जबकि जमशेदपुर ब्लड बैंक में प्रोसेसिंग चार्ज के नाम पर 700 रुपये लिए जाते है।  

जमशेदपुर ब्लड बैंक 

- ब्लड बैंक में अलग-अलग ग्रुप के फिलहाल करीब 400 यूनिट रक्त मौजूद। रोजाना करीब 300 यूनिट खून की होती खपत।

- नवंबर माह में सर्वाधिक 40 से अधिक होता रक्तदान शिविर। घटी रक्तदान शिविरों की संख्या, वर्तमान में 80 से 100 यूनिट रक्त ही रोजाना आ रहा। होल ब्लड के लिए मरीजों से लिए जाते 700 रुपये।  

आपात स्थिति से निपटने को तैयार नहीं चाईबासा का ब्लड बैंक

चाईबासा ब्लड बैंक में ब्लड की मात्रा सीमित है। प्रत्येक माह जितना ब्लड आता है उसी हिसाब से इस्तेमाल भी होता है। अगर जिला में आपात स्थिति हो जाये तो इसके लिए चाईबासा ब्लड बैंक तैयार नहीं है। ब्लड बैंक के लैब टेक्निशीयन मनोज कुमार ने कहा कि चाईबासा ब्लड बैंक में प्रत्येक माह 350 से 400 यूनिट तक शिविर और दानकर्ता के माध्यम से ब्लड आता है। जबकि उसी मात्रा में प्रत्येक माह लोगों को ब्लड दिया भी जाता है। रक्तदान शिविर से लगभग प्रत्येक माह 40 प्रतिशत तक ब्लड संग्रह होता है, जबकि जिन्हें भी जरूरत होती है उनके परिजन की ओर से रक्तदान करने से 60 प्रतिशत ब्लड की जरूरत पूरी होती है। जिले में 43 ऐसे मरीज हैं जिनके शरीर में रक्त बनता ही नहीं है। उसमें से 30 मरीज ऐसे हैं जिनको प्रत्येक माह दो बार रक्त की जरूरत होती है। उसे बैंक से ही ब्लड दिया जाता है। जबकि 13 मरीजों को माह में एक बार ब्लड की जरूरत होती है।  

ये भी जाने

- प्रत्येक माह 350-400 यूनिट ब्लड होता है बैंक में संग्रह

- 40 फीसद ब्लड शिविर के माध्यम से पहुंचता है बैंक


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