जलवायु परिवर्तन पर नजर रखने को देश का पहला फेनोकैम सेंसर दलमा में
जलवायु में हो रहे परिवर्तन व उससे होने वाले दुष्प्रभाव का अध्ययन करने के लिए देश का पहला फेनोकैम सेंसर सिस्टम दलमा में लगाया जा रहा है।
मनोज सिंह, जमशेदपुर : जलवायु में हो रहे परिवर्तन व उससे होने वाले दुष्प्रभाव का अध्ययन करने के लिए देश का पहला फेनोकैम सेंसर सिस्टम दलमा में लगाया जा रहा है। इसके माध्यम से जलवायु परिवर्तन पर विज्ञानियों की टीम तीन साल तक अध्ययन करेगी। टीम यह अध्ययन करेगी कि जो आंखों से दिखाई दे रहा है और जिसे हमलोग महसूस कर रहे हैं, उसमें क्या बदलाव हो रहा है।
अध्ययन में अधिक दिनों तक बारिश का होना, बारिश होने के समय के में आगे-पीछे होना, बिना मौसम बरसात होना आदि शामिल होगा। इसी तरह अधिक गर्मी होना, ज्यादा दिनों तक गर्मी का रहना। सर्दी के मौसम का आगे या पीछे होना आदि होगा। इस अध्ययन में मौसम परिवर्तन से पेड़-पौधों व जीव जंतुओं पर होने वाले प्रभाव को देखा भी जाएगा।
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तीन साल तक इसरो के विज्ञानी करेंगे अध्ययन
जलवायु में हो रहे परिवर्तन का अध्ययन करने के लिए (इसरो) इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन के विज्ञानी तीन साल तक गहन अध्ययन करेंगे। इस दौरान टीम हर आधे-आधे घंटे पर फेनोकैम सेंसर की रिपोर्ट का अध्ययन करेंगे। अध्ययन करने के बाद ही विज्ञानी जलवायु परिवर्तन से होने वाले दुष्प्रभाव से बचाने का उपाय करेंगे। तीन साल अध्ययन करने के बाद भी दलमा में लगाए गए फेनोकैम सेंसर अपना काम करेगा।
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अध्ययन टीम में शामिल प्रमुख लोग
जलवायु परिवर्तन का अध्ययन करने वाली टीम में इसरो, अहमदाबाद के डा. सीपी सिंह, बीआइटी मेसरा के वाइस चांसलर साइंटिस्ट डा. इंद्रनील मन्ना, साइंटिस्ट डा. जगन्नाथन चॉकलिगम, पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ झारखंड, डा. राजीव रंजन, सीसीएफ वाइल्ड लाइफ विश्वनाथ शाह, दलमा के डीएफओ डा. अभिषेक कुमार, दलमा के प्रभारी डीएफओ मौन प्रकाश के अलावा बीआइटी मेसरा के अन्य साइंटिस्ट शामिल हैं।
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एक-एक पत्ते पर रहेगी बारीकी नजर : डा. चॉकलिगम
दलमा में होने वाले अध्ययन को इसरो अहमदाबाद की टीम मॉनिटिरिग कर रही है। इस टीम का सहयोग बीआइटी मेसरा व दलमा वाइल्ड लाइफ के अधिकारी करेंगे। इस संबंध में टीम के सदस्य व बीआइटी मेसरा के वरिष्ठ विज्ञानी डा. जगन्नाथन चॉकलिगम ने बताया कि फेनोकैम सेंसर से एक-एक पत्ते की गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी। डा. चॉकलिगम ने बताया कि देश में इस तरह का पहली बार अध्ययन हो रहा है। डा. चॉकलिगम कहते हैं कि पहले मार्च तक ठंड रहती थी, लेकिन अब गर्मी होने लगती है। पहले दिसंबर में ठंड रहती थी, लेकिन आज वैसी स्थित नहीं है। डा. चॉकलिगम ने बताया कि एक-एक बिदु पर अध्ययन किया जाएगा।