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सिस्टम सुधारिए, ऐसी व्यवस्था में नहीं चलता मेडिकल कॉलेज Jamshedpur News

एमजीएम की अव्यवस्था का आलम देख चकरा गई एमसीआई की टीम डॉक्टरों को रजिस्टर मेंंटेंन करने की दी हिदायत।

By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Fri, 20 Dec 2019 09:28 PM (IST)Updated: Sat, 21 Dec 2019 09:33 AM (IST)
सिस्टम सुधारिए, ऐसी व्यवस्था में नहीं चलता मेडिकल कॉलेज Jamshedpur News
सिस्टम सुधारिए, ऐसी व्यवस्था में नहीं चलता मेडिकल कॉलेज Jamshedpur News

जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल की अव्यवस्था में शुक्रवार को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) की टीम भी उलझ गई। मरीजों का डाटा ढूंढते-ढूंढते टीम को पसीना छूट गया। 

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अंत में टीम को कहना पड़ा, कृपया सिस्टम सुधारिए, ऐसी व्यवस्था में नहीं चल सकता मेडिकल कॉलेज। यहां कोई भी डाटा ऑनलाइन नहीं है। रजिस्टर भी सही ढंग से मेंटेन नहीं हो रहा है। दरअसल, यह स्थिति तब उत्पन्न हुई जब एमसीआई की टीम रेडियोलॉजी विभाग पहुंची। सिटी स्कैन रूम में टीम पहुंची तो वहां डॉ. बेसरा मौजूद थे। उनसे पूछा गया कि कितने आउटडोर व कितने इनडोर मरीजों का सिटी स्कैन हुआ। इसका जवाब वह नहीं दे सकें। कारण कि रजिस्ट्रर सही ढंग से मेनटेंन नहीं था।

इसके बाद उपाधीक्षक डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी ने कमान संभाली और औसत संख्या गिनाई। लेकिन, उनके जवाब से भी एमसीआई की टीम संतुष्ट नहीं हुई और कहा कि रजिस्ट्रर में इनडोर, आउटडोर के अलावे यह भी दर्ज होने चाहिए कि किस वार्ड में मरीज भर्ती है और उनका किस डॉक्टर के देखरेख में इलाज चल रहा है। इसपर एमजीएम के डॉक्टरों ने कहा कि अगली बार से यह शिकायत आपको नहीं मिलेगी।

इससे पूर्व टीम ने सर्जरी, हड्डी रोग विभाग, ईएनटी व नेत्र रोग विभाग का भी निरीक्षण किया। यहां सभी विभागों में मरीजों की संख्या कम पाई गई। सर्जरी विभाग के स्पेशल वार्ड में कुल 16 बेड है लेकिन यहां छह मरीज ही भर्ती था। वहीं वार्ड में भी अधिकांश बेड खाली मिला। जिसे देखकर टीम ने पूछा कि ठंड में तो सर्जरी विभाग में अधिक मरीज होने चाहिए, इतना कम क्यों है? क्या यहीं स्थिति हमेशा रहती है।

वहीं ऑपरेशन थियेटर (ओटी) में भी सिर्फ चार मरीजों का ही माइनर सर्जरी हुआ था। इसके बाद टीम दस बेड वाले नेत्र रोग विभाग में पहुंची तो वहां पर भी सिर्फ छह मरीज ही भर्ती थे। ईएनटी में तो उससे भी कम सिर्फ चार मरीज ही भर्ती थे। टीम ने मरीजों की संख्या देखकर चिंता जाहिर की। एमजीएम अस्पताल में दो सदस्यीय टीम पहुंची थी। टीम के एक सदस्य के साथ अधीक्षक डॉ. संजय कुमार व दूसरे सदस्य के साथ उपाधीक्षक डॉ. नकुल प्रसाद मौजूद थे। वहीं कॉलेज में तीसरे सदस्य डॉ. सुषमा कुशन कटारिया के साथ प्रिंसिपल डॉ. एसी अखौरी मौजूद थे। 

एमबीबीएस की 100 सीट के लिए पहुंची तीन सदस्यीय टीम

एमबीबीएस पाठ़़यक्रम के लिए सीटों की संख्‍या बढ़ाकर 100 करने की मांग की गई है। 100 सीटों के हिसाब से यहां की व्‍यवस्‍था का आकलन व निरीक्षण के लिए एमसीआई की तीन सदस्यीय टीम पहुंची थी। टीम का नेतृत्व ग्वालियर मेडिकल कॉलेज के डॉ. भरत जैन कर रहे थे। वहीं उनके साथ मणिपुर मेडिकल कॉलेज के डॉ. एन इंद्र कुमार सिंह व जोधपुर मेडिकल कॉलेज के डॉ. सुषमा कुशन कटारिया शामिल थी। डॉ. सुषमा कुशन कटारिया एमजीएम कॉलेज का निरीक्षण किया। बीते साल एमसीआई की टीम ने तमाम खामियां गिनाते हुए एमजीएम मेडिकल कॉलेज की 50 सीटें घटा दी थी। इसमें चिकित्सकों की संख्या एक बड़ी वजह थी। इसबार भी उसे दूर नहीं किया गया। हालांकि, कुछ चिकित्सकों की संख्या जरूर बढ़ाई गई है। विभाग के पदाधिकारियों का कहना है कि झारखंड में चुनाव आचार संहिता लागू होने की वजह से चिकित्सकों की बहाली रुकी हुई है। रिक्त पदों पर चिकित्सकों की बहाली जल्द दूर कर ली जाएगी।

कोई आया है क्या, सभी डॉक्टर साहब ड्रेस में दिख रहे है

शुक्रवार को अस्पताल की व्यवस्था थोड़ी बदली-बदली सी नजर आ रही थी। अधीक्षक से लेकर सभी विभागाध्यक्ष डॉक्टर तक पूरे ड्रेस कोड में नजर आए। उसे देख इमरजेंसी विभाग में भर्ती रोहित सिंह एक स्वास्थ्यकर्मी से पूछते अस्पताल में कोई आया है क्या, सभी डॉक्टर एप्रन में नजर आ रहे है। वहीं इमरजेंसी विभाग में एक भी मरीज फर्श पर भर्ती नहीं थे। जबकि रोजाना आधे दर्जन से अधिक मरीजों का इलाज फर्श पर चलता है। इसका कारण, बेड की कमी बताया जाता है। इमरजेंसी विभाग में 38 बेड है, सभी बेड पर एक-एक मरीज भर्ती थे। 

शिशु रोग विभाग के छह वार्मर पर भर्ती थे 17 बच्चे

शिशु वार्ड विभाग की स्थिति अभी भी बदतर है। यहां एनआईसीयू (निओनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) में कुल छह वार्मर  पर कुल 17 बच्चे भर्ती थे। एक-एक वार्मर पर दो-दो बच्चे भर्ती थे। एक वार्मर पर तीन बच्चे भर्ती थे, जिसे देख टीम के सदस्यों ने चिंता जाहिर की। कहा-इससे इंफेक्शन एक से दूसरे बच्चों में फैलने की संभावना अधिक है।

प्राइवेट लैब खुलने से सरकारी लैब में कम हो गए मरीज

एमजीएम में पीपीपी मोड पर शुरु हुए पैथोलॉजी सेंटर की अपेक्षा सरकारी लैब में मरीजों की संख्या काफी कम हो गई है। टीम ने इसका कारण पूछा तो उसे बताया गया कि जब से मेडॉल कंपनी द्वारा पैथोलॉजी लैब खोला गया है तब से सरकारी लैब में मरीजों की संख्या कम होते चले जा रही है। शुक्रवार की दोपहर करीब 12 बजे तक कुल तीस मरीज पहुंचे थे। वहीं पैथोलॉजी लैब में सीबी नेट मशीन भी नहीं पाई गई। मरीजों का डाटा भी उपलब्ध नहीं था।


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