Move to Jagran APP

विलुप्‍तप्राय सबर जनजाति की कैसे बचेगी जान, अस्पतालों में न बेड मिल रहे और न ही कंबल

झारखंड की लुप्त होती आदिम जनजाति को बचाने के लिए राज्य सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। लेकिन कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम में उनके साथ क्या बर्ताव हो रहा है यह उदाहरण आपके सामने है। इमरजेंसी विभाग में भर्ती लक्खी सबर को बेड नहीं मिला।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 18 Dec 2020 12:51 PM (IST)Updated: Fri, 18 Dec 2020 12:51 PM (IST)
विलुप्‍तप्राय सबर जनजाति की कैसे बचेगी जान, अस्पतालों में न बेड मिल रहे और न ही कंबल
एमजीएम अस्‍पताल में फर्श पर इलाजरत लक्‍खी सबर। जागरण

जमशेदपुर, जासं।  झारखंड की लुप्त होती आदिम जनजाति को बचाने के लिए राज्य सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। लेकिन, कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम में उनके साथ क्या बर्ताव हो रहा है, यह उदाहरण आपके सामने है। इमरजेंसी विभाग में भर्ती लक्खी सबर को बेड नहीं मिला। यहां तक कि उसे कंबल भी नसीब नहीं हुआ। जिसके कारण वह फर्श पर लेटी रही। 

loksabha election banner

ठंड अधिक होने की वजह से वह कांप रही थी। इसकी जानकारी भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष विमल बैठा को हुई तो वे एमजीएम अस्पताल पहुंचे और देखा कि इमरजेंसी विभाग में महिला फर्श पर ही लेटी हुई है। इसके बाद उन्होंने एक स्वीपर को बुलाकर लाया और सबर महिला को बेड पर भर्ती कराया। साथ ही चिकित्सकों से बेहतर इलाज करने का आग्रह भी किया। विमल बैठा ने दुख जताते हुए कहा कि अफसोस की बात है कि आदिम जातजाति के साथ इस तरह का बर्ताव हो रहा है। ऐसे में उनको कैसे बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री के क्षेत्र की स्थिति जब यह है तो बाकी जिलों का हाल क्या होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

एमजीएम में डॉक्टर से लेकर स्वीपर तक की भारी कमी

एमजीएम अस्पताल में डॉक्टर से लेकर स्वीपर तक की भारी कमी है। 570 बेड वाले अस्पताल में सिर्फ एक ड्रेसर तैनात हैं। कंप्यूटर ऑपरेटरों की संख्या घटाकर सिर्फ दो कर दी गई है। इसी तरह, टेक्नीशियन, स्वीपर, सफाई कर्मियों की संख्या भी घटा दी गई है, जिसके कारण मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

10 बेड के इमरजेंसी में भर्ती हैं 50 से अधिक मरीज

एमजीएम अस्पताल में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। शुरुआती दिनों में मरीजों की संख्या कम थी। इसे देखते हुए 10 बेड का इमरजेंसी विभाग बनाया गया लेकिन, अब मरीजों की संख्या दस गुणा अधिक बढ़ गई है। ऐसे में किसी तरह 30 बेड लगाकर मरीजों को भर्ती किया जा रहा है, लेकिन वह भी कम पड़ रहा है। मरीजों की संख्या के हिसाब से इमरजेंसी विभाग में कम से कम 50 बेड होने चाहिए। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि इमरजेंसी विभाग को बढ़ाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.