अन्नदाताओं की अनदेखी : बीत रहा जून माह, नहीं मिला सरकारी धान बीज-खाद Jamshedpur News
अभी तक सरायकेला-खरसावां जिले के किसानों को धान बीज खाद उपलब्ध नहीं कराया गया है। महंगे दामों में बीज खरीदकर किसानों डाला बिचड़ा।
राजनगर (पीताम्बर सोय)। अन्नदाताओं के प्रति सरकार की बेरुखी जारी है। किसानों के प्रति सरकार की यह अनदेखी आज से नहीं बल्कि आजादी के पहले से रहा है और आजादी के बाद भी बदस्तूर जारी है।
देश की अर्थव्यवस्था की मजबूत रीढ़ माने जाने वाले किसान खुद बेहाल परेशान हैं। बात चाहे किसानों के उपज का उचित मूल्य की हो या उन्हें रियायती दर पर मिलने वाले खाद बीज की हो। किसी सरकार ने आज तक समय पर किसानों को खाद बीज उपलब्ध नहीं कराया है।
अच्छे मानसून की संभावना के बावजूद पड़ सकता है पैदावार पर असर
इससे पैदावार में असर पड़ रहा है। इस बार अभी तक अच्छे मानसून के संकेत के वावजूद किसानों को सरकारी स्तर से सब्सिडी पर मिलने वाला धान बीज उपलब्ध नहीं कराया जा सका। जबकि यूपीए नीत झारखंड की हेमंत सरकार ने चुनाव में किसानों को ससमय खाद-बीज सब्सिडी दर पर दिलाने का वादा किया था। यूपीए की चुनावी घोषणा पत्रों में किसान ही प्रमुख केंद्र बिंदु रहे हैं। इसी उम्मीद पर राज्य की जनता ने एनडीए की भाजपा सरकार को उखाड़ फेंका था।
हेमंत सरकार से थी उम्मीद, हाथ लगी मायूसी
हेमंत सरकार से राज्य के किसानों को काफी उम्मीद थी। मगर किसानों को इस सरकार में भी मायूसी ही हाथ लगी है। अभी तक सरकार की ओर से किसानों के भलाई के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। समय निकलता जा रहा है। लेकिन अभी तक सरायकेला-खरसावां जिले के किसानों को धान बीज खाद उपलब्ध नहीं कराया गया है।
ऊंची दरों पर धान-बीज खरीद कर डाले गए बिचड़े
जून माह बीतने के वावजूद सरकार ओर से जब।सब्सिडी डर पर मिलने वाला धान बीज नहीं आया तो किसान पुराने धान अथवा बाजार से महंगे दर पर बीज खरीद कर छींटे और रोपाई के लिए बिछड़ा डाला। यदि सरकार से धान बीज उपलब्ध होती तो किसानों को रियायती दर बीज मिलता।
इससे किसानों का भी पैसा बचता। कोरोना संकट के कारण वैसे भी किसानों के पास पैसे की कमी है अथवा पैसे ही नहीं है।
किसानों को खेतीबाड़ी के लिए राहत पैकेज दे सरकार
अब धान बीज आने से भी कोई लाभ नहीं होगा। समय पर सरकार ने बीज उपलब्ध नहीं कराया। ऊंचे दरों पर बीच खरीदना पड़ा। सरकारी क्रय केंद्र में बेचा गया धान का पैसा भी अब तक नहीं मिला। कैसे खेतीबाड़ी हो पाएगी। शादी ब्याह से लेकर अन्य खर्च भी है। कोरोना संकट में किसान बेहाल हैं। सरकार को खेतीबाड़ी के लिए तत्काल किसानों के खाता में पैसा भेजना चाहिए।- कमलेश्वर महतो, चांगुवा।
सत्तर रुपए किलो महंगे दर पर धान बीज खरीदना पड़ा। सरकारी धान ही नहीं आया। अब आने से भी कोई फायदा नहीं। कोई सरकार किसानों का भलाई नहीं चाहता है। सिर्फ किसानों के नाम पर राजनीति होती है। कोरोना संकट में किसान बेहाल हैं। कम से कम किसानों को आर्थिक मदद मिलना चाहिए। हमें न सीएम कृषि आशीर्वाद का लाभ मिला न पीएम किसान का। - परमानंद महतो, चवांंरबंधा।
310 रुपए किलो बाहर से पैकेट वाला धान बीज खरीदकर बिछड़ा डाला है। सरकारी धान बीज आने की प्रतीक्षा में रहता तो समय पार हो जाता। अभी तक बीज नहीं मिला किसान कब खेती करंगे। सरकारें सिर्फ किसानों के नाम पर वोट मांगती हैं। बाद में भूल जाती हैं। पीएम-सीएम किसी से आर्थिक लाभ नहीं मिला। कोरोना संकट में किसानों को कम से कम दस हजार रुपए किसानों के खाते में भेजना चाहिए। - बासुदेव प्रधान, बरेही।
जिले में 3,700 क्विंटल धान बीज की मांग की गई है: जिला कृषि पदाधिकारी
जिला कृषि पदाधिकारी विजय कुजूर कहते हैं कि मई माह के प्रथम सप्ताह में ही धान के बीज का आवंटन के लिए विभागीय स्तर पर पत्राचार किया गया ह।. सरायकेला- खरसावां जिले में करीब 3,700 क्विंटल धान बीज की मांग सरकार से की गयी है। जिले मे अभी तक धान का बीज नहीं पहुंचा है। लगातार धान बीज के लिए विभाग से पत्राचार किया जा रहा है।