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Teachers Appointment in Jharkhand: : झारखंड में सरकारी शिक्षक बनना है तो राज्य से मैट्रिक व इंटर पास होना जरूरी, भाजपा को आपत्ति

Teachers Appointment in Jharkhand शिक्षकों की नियुक्ति के लिए तैयार नियमावली को विभागीय स्तर पर मंजूरी मिलने के बाद विरोध और आलोचना तेज हो गई है। सूबे की मुख्य विपक्षी दल भाजपा के प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने शिक्षक नियुक्ति नियमावली के उस प्रावधान को जोड़ने पर कड़ा ऐतराज़ जताया है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 23 Nov 2021 12:59 PM (IST)Updated: Tue, 23 Nov 2021 09:04 PM (IST)
Teachers Appointment in Jharkhand:  : झारखंड में सरकारी शिक्षक बनना है तो राज्य से मैट्रिक व इंटर पास होना जरूरी, भाजपा को आपत्ति
राज्य सरकार ने झारखंड से मैट्रिक, इंटर पास होने को अनिवार्य किया है।

जमशेदपुर, जासं। झारखंड राज्य के हाईस्कूल और प्लस टू विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए तैयार नियमावली को विभागीय स्तर पर मंजूरी मिलने के बाद विरोध और आलोचना तेज हो गई है। सूबे की मुख्य विपक्षी दल भाजपा के प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने शिक्षक नियुक्ति नियमावली के उस प्रावधान को जोड़ने पर कड़ा ऐतराज़ जताया है जिसमें राज्य सरकार ने झारखंड से मैट्रिक, इंटर पास होने को अनिवार्य किया है।

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भारतीय जनता पार्टी इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अगुआई वाली यूपीए गठबंधन सरकार को घेरने की तैयारी में है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने शिक्षक नियुक्ति नियमावली में झारखंड से मैट्रिक, इंटर होना अनिवार्य करने के मसले पर सरकार को दोटूक जवाब देते हुए कहा कि सरकार को नियोजन नीतियों में तुष्टीकरण से परहेज़ करना चाहिए। लार्जर पब्लिक इंटरेस्ट को ध्यान में रखना चाहिए। कुणाल ने कहा कि नियोजन नीतियों में सरलता रहनी चाहिए ना कि अड़ियलपन।

शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो काे दिया सुझाव

कुणाल षाड़ंगी ने झारखंड सरकार और शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो को लगे हाथों सुझाव भी दे डाला कि अनावश्यक मुकद्दमेबाजी बढ़ाने वाली उबाऊ नियम बनाने से अब झारखंड सरकार को परहेज़ करना चाहिए। सरकार के ख़िलाफ़ उच्च न्यायालय में केस की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है, इसका ख़राब असर सरकार की सेहत पर पड़ना लाजिमी है। राज्य के बाहर के स्कूलों से पढ़ाई पूरी करने वाले युवा जो झारखंडी हैं, उनके बारे में भेद करने का सरकार का निर्णय भी कानूनी तौर पर वैध नहीं। कुणाल ने भोजपुरी, मगही, अंगिका, मैथिली सरीखी भाषाओं को जेएसएससी और जेटेट से हटाये जाने के नियम को भी असंवैधानिक और अपरिपक्व बताया। कहा कि राज्य की बड़ी आबादी के लिए उक्त भाषाएं ही उनकी मातृभाषा है। हर वर्ग के भाषा, संस्कृति का सम्मान करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। झारखंड सरकार को संवैधानिक मूल्यों पर कुठाराघात करने से परहेज़ करना चाहिए। षाड़ंगी ने सरकार के विधि विभाग से इन नियमावलियों को लेकर सरकार के मंत्रियों तक उचित परामर्श और मंतव्य देने का आग्रह किया है, ताकि भविष्य में ऐसे विभेदकारी नियमावली तैयार करने से झारखंड सरकार परहेज करे।


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