हेलमेट नहीं पहनी तो 30 KM तक ही जाएगी बाइक, खुद हो जाएगी बंद; जानिए
इस हेलमेट को पहने बिना पहले तो बाइक चलेगी ही नहीं। यदि बहुत जरूरी हुआ तो इमरजेंसी स्विच ऑन करके बाइक चला तो लेंगे लेकिन वह 30 किलोमीटर से आगे नहीं जाएगी। जानिए
जमशेदपुर, जासं। टाटा स्टील के संस्थापक जमशेदजी नसरवानजी टाटा की 181वीं जयंती पर बिष्टुपुर स्थित एसएनटीआइ (शावक नानावती टेक्निकल इंस्टीट्यूट) में तकनीकी प्रदर्शनी लगी है, जिसमें युवा इंजीनियरों ने उद्योग के साथ-साथ आम जिंदगी को आसान बनाने के मॉडल भी प्रदर्शित किए हैं। आइए जानिए क्या है खास।
हेलमेट नहीं पहनी तो 30 KM तक ही जाएगी बाइक
टाटा स्टील में 2019 बैच के जीइटी (जूनियर इंजीनियर ट्रेनी) सुप्रियो दत्ता व एमटीटी (मैनेजमेंट टेक्निकल ट्रेनी) राम प्रवेश ने हेलमेट बनाई है, जिसे पहने बिना पहले तो बाइक चलेगी ही नहीं। यदि बहुत जरूरी हुआ तो इमरजेंसी स्विच ऑन करके बाइक चला तो लेंगे, लेकिन वह 30 किलोमीटर से आगे नहीं जाएगी। इस मॉडल का नाम 'फोरहेड पल्स सेंसिंग हेलमेट फॉर बाइक' दिया गया है। हेलमेट और बाइक का कनेक्शन ब्लूटूथ सिस्टम से रहेगा, जो इमरजेंसी में 30 किलोमीटर के बाद इंजन बंद कर देगा। इसकी अनुमानित लागत 3000 रुपये है।
नेत्रहीन बहरे भी हुए तो काम आएगी सेंसर स्टिक
दुनिया में कुछ नेत्रहीन ऐसे हैं, जो बहरे भी होते हैं। अब तक ऐसे लोग किसी के सहारा लेकर ही घर से निकल पाते हैं। यदि उन्हें सेंसर स्टिक मिल जाए, तो बिना किसी को साथ लिए भी बाहर सड़क पर चल सकते हैं। इस स्टिक का ईजाद जीइटी-2019 बैच की एन. मोहिनी व सुरभि कुमारी ने किया है, जिसमें अल्ट्रासोनिक सेंसर के साथ वाइब्रेटर भी लगा है। इस स्टिक में एक स्विच भी लगा है, जिसे आपात स्थिति में दबाने पर घर वालों के फोन पर ङ्क्षरगटोन बजने लगेगा। यह भी पता चल जाएगा कि अमुक व्यक्ति कहां है। यही नहीं स्टिक यदि हाथ से छूटकर गिर गई, तो खुद वह व्यक्ति एक डिवाइस के जरिए स्टिक ढूंढ लेगा। यह स्टिक 2000 रुपये में बन जाएगी।
आवाज से चलेगी स्मार्ट व्हील चेयर
अब तक बुजुर्ग, अपाहिज या दिव्यांग व्हील चेयर पर किसी के सहारे चलते हैं। कुछ खुद भी चला लेते हैं। मोटराइज्ड व्हील चेयर भी बाजार में उपलब्ध है, लेकिन स्मार्ट व्हील चेयर आवाज से संचालित होती है। इसे बनाने वाले इलाहाबाद स्थित यूनाइटेड इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी से बीटेक (इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्यूनिकेशन) करने वाले छात्र गौरव श्रीवास्तव व आदित्य सिंह बताते हैं कि इस चेयर का कनेक्शन बीमार व्यक्ति के डॉक्टर से भी रहेगा, जो इंटरनेट से जुड़ा होगा। डॉक्टर अपने मरीज की शारीरिक स्थिति (पल्स रेट, बीपी, इसीजी) भी जान सकेगा। यह कुर्सी 10,000 रुपये में बन सकती है।
अभिभावक तय कर सकते, बच्चा कितनी तेज गति से चलाएगा बाइक
अमूमन घर के बच्चे माता-पिता की जानकारी के बिना बाइक लेकर निकल जाते हैं। पता चलने पर अभिभावक की सांस तब तक टंगी रहती है, जब तक वह सुरक्षित लौटकर नहीं आ जाता। अब ऐसी तरकीब आ गई है, जिससे अभिभावक अपने मोबाइल फोन से बाइक की स्पीड लिमिट तय कर सकेंगे। इसके लिए बाइक में एक सेंसर लगाया जाएगा, जो सर्वो मीटर और फ्यूएल कंट्रोल सिस्टम को कमांड करता है। इसे बरगढ़ (ओडिशा) स्थित पीकेएसीइ के सुदर्शन दास व के. ओशो राज ने बनाया है। इन्होंने एक हेलमेट भी बनाया है, जो अल्कोहल पीने के बाद बाइक को स्टार्ट नहीं होने देता है। इसकी लागत 5000 रुपये तक आती है।
अंधेरे में तेज रोशनी नहीं करेगी परेशान
आमतौर पर अंधेरे में तेज रोशनी पड़ते ही कार सवार एकबारगी परेशान हो जाता है। आंखों के आगे कुछ देर तक अंधेरा छा जाता है। जीइटी-19 बैच की प्रशंसा व रूपम ने ऐसी फिल्म बनाई है, जो कार के अगले शीशे पर लगा देने से यह समस्या खत्म कर देती है। इस फिल्म पर तेज रोशनी जैसे-जैसे नजदीक आएगी, लाइट ना केवल ऑटोमेटिक कम या डिम होगा, बल्कि लाइट शीशे के छोटे से हिस्से पर ही दिखेगा। अब तक ऐसी फिल्म आती थी, जो स्क्रीन के बाकी हिस्से को भी अंधेरा कर देती थी। इसकी लागत करीब 7000 रुपये है।
नेत्रहीन जान जाएगा सामने खड़ा व्यक्ति कौन
अब तक नेत्रहीन अपने परिचित व्यक्ति को भी आवाज से ही पहचान पाते हैं, लेकिन अब वे बिना कोई आवाज के व्यक्ति का नाम जान सकेगा। इसके लिए उसे अपनी कोट, जैकेट या शर्ट में एक विशेष कैमरा लगाना होगा, जो सामने खड़े व्यक्ति का नाम बोलेगा। लेकिन इसके लिए कैमरे की डिवाइस में फोटो और नाम अपलोड होना चाहिए। इसे जीइटी-19 बैच के अमृतपाल सिंह व रोहित सिंह ने करीब पांच हजार की लागत से बनाया है।
13000 में बन जाएगी मिनी इलेक्ट्रिक स्कूटर
एनटीटीएफ जमशेदपुर की पूजा मित्रा ने 13000 रुपये में एक स्कूटर बनाई है, जो सोलर पावर से चलेगी। वैसे इसमें इलेक्ट्रिक चार्ज सिस्टम भी लगा है, जो एक बार चार्ज होने पर चार किलोमीटर तक चलेगी।
ब्लाइंड टर्निंग में भी नहीं होगा एक्सीडेंट
एनटीटीएफ जमशेदपुर के छात्रों ने ऐसा सिग्नल विकसित किया है, जो ब्लाइंड टर्निंग में भी एक्सीडेंट नहीं होने देगा। सड़क पर किसी तरह की बाधा उत्पन्न होने पर सिग्नल अलार्म बजाएगा। यदि सड़क पर हाथी आ गया या कोई बड़ा चट्टान या पेड़ टूटकर गिर गया, तो भी यह ट्रैफिक सिग्नल आने वाले वाहन को अल्ट्रासोनिक सेंसर की वजह से सचेत कर देगा। इसकी लागत महज 1000 रुपये होगी। इन छात्रों ने इसी सिद्धांत से ऐसा सेंसर बनाया है, जिसे ट्रैफिक सिग्नल पोस्ट पर लगा दिया जाए तो वह जीपीएस के माध्यम से सड़क पर गुजरने वाले वाहनों की स्पीड कम कर देगा। इन मॉडलों में एनटीटीएफ की जिस टीम ने बनाया है, उसमें शुभम केशरी, अंजलि सिंह, जलेश्वर महतो, अब्दुल्ला खान, अंजलि सिंह, अमित झा व रवि शर्मा शामिल हैं।
कोई प्रवेश शुल्क नहीं
यह प्रदर्शनी 3-5 मार्च तक सुबह नौ से शाम छह बजे तक आम लोगों के लिए खुली रहेगी। बिना किसी प्रवेश शुल्क के शहरवासी इसमें भविष्य के भारत की झलक देख सकते हैं। प्रदर्शनी का उद्घाटन दो मार्च को टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक टीवी नरेंद्रन ने किया। इस मौके पर टाटा स्टील के वाइस प्रेसिडेंट (कारपोरेट सर्विसेज) चाणक्य चौधरी, वीपी-एचआरएम सुरेश दत्त त्रिपाठी, वीपी-सेफ्टी संजीव पॉल, जुस्को (टाटा स्टील यूटिलिटी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेज लिमिटेड) के एमडी आशीष माथुर, टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष आर. रवि प्रसाद, डिप्टी प्रेसिडेंट अरविंद पांडेय, उपाध्यक्ष शाहनवाज आलम, हरिशंकर सिंह, भगवान सिंह, सचिव नितेश राज समेत कंपनी के तमाम अधिकारी मौजूद रहे।
लगे हैं 66 स्टॉल
स्टॉल का अवलोकन कर जानकारी लेते टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक टीवी नरेंद्रन।
इन्होंने स्टॉलों का भी निरीक्षण किया। प्रदर्शनी में 66 स्टॉल लगे हैं। इनमें कई स्टॉल सुरक्षा संबंधी भी थे, जिसका उदघाटन समारोह में प्रेजेंटेशन भी दिया गया। इसमें बताया गया कि आरएफआइडी, जीपीएस, बायोमेट्रिक्स पंचिंग आदि से कंपनी में ठेका कर्मियों पर किस तरह नजर रखी जाती है।