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पूर्वी सिंहभूम के किसान आवेदन करेंगे तो फसल नुकसान का आकलन कर दिया जाएगा मुआवजा

संवाद सूत्र बहरागोड़ा पूर्वी सिंहभूम जिले के बहरागोड़ा प्रखंड में अचानक हुई बारिश के कारण ि

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 05:48 PM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 05:48 PM (IST)
पूर्वी सिंहभूम के किसान आवेदन करेंगे तो फसल नुकसान का आकलन कर दिया जाएगा मुआवजा
पूर्वी सिंहभूम के किसान आवेदन करेंगे तो फसल नुकसान का आकलन कर दिया जाएगा मुआवजा

संवाद सूत्र, बहरागोड़ा : पूर्वी सिंहभूम जिले के बहरागोड़ा प्रखंड में अचानक हुई बारिश के कारण किसानों की चिंता बढ़ गई है। बहरागोड़ा प्रखंड को धान का कटोरा के रूप में जाना जाता है। यहा के किसान पूरी तरह से कृषि पर निर्भर हैं। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी यहां धान की उपज अच्छी हुई थी, लेकिन दो दिनों तक लगातार बारिश के चलते किसान खेत से धान की कटाई नहीं कर पाए। कुछ किसानों ने धान की कटाई कर खेत में ही फसल रख दिया था। इससे धान की फसल बर्बाद हो गई है।

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प्रखंड के जरुलिया गाव के संजय प्रहराज ने इस बार दस बीघा में धान की खेती की है। फसल अच्छी हुई थी, मगर बारिश के चलते 75 फीसद धान बर्बाद हो गया है। अब माथा पीट रहे हैं। उन्होंने बताया कि लगभग 60 हजार रुपये खर्च हुए थे। अब पैसे कहां से आएंगे, यह समझ में नहीं आ रहा है। इसी तरह किसान भागवत साहू ने बताया कि केसीसी लोन लेकर उन्होंने इस बार दस बीघा में धान की खेती की थी। पर खर्च के रुपये निकलना भी अब मुश्किल हो गया है। झमाझम बारिश से खेत में धान के पौधे गिर गए हैं। इसे काटना भी अब मुश्किल हो गया है। बताया कि खेती पर उन्होंने पचास हजार से ऊपर खर्च कर रखा था। तालिया गाव के किसान सुकुमार करण ने कहा कि बेमौसम बारिश के कारण धान कटनी नहीं कर पाए। अधिकाश धान का पौधा सड़ने लगा है। केसीसी लोन लेकर पाच बीघा खेती के लिए 35 हजार रुपये खर्च किए थे। उधर, शासन गाव के किसान जगन्नाथ नायक ने कहा छह बीघा में धान की खेती किए थे। इस बार धान की फसल भी अच्छी हुई थी। मगर अचानक बारिश के चलते सब बर्बाद हो गया है। किसानों ने जिला कृषि पदाधिकारी से नुकसान की जांच कर किसानों को मुआवजा दिलाने की मांग की है। उधर, प्रखंड के प्रभारी कृषि पदाधिकारी शिवानंद घटवारी ने कहा इस बार प्रखंड में चौदह हजार सात सौ एकड़ धान की खेती हुई। खेत में धान अच्छी हुई पर बेमौसम बारिश के कारण नुकसान की संभावना है। किसान यदि आवेदन देते हैं तो फसल नुकसान का आकलन कर उन्हें मुआवजा दिलाने पर विचार किया जाएगा।


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