Jharkhand Assembly Election 2019 : ईचागढ़ के मतदाताओं ने हर चुनाव में बदला जनप्रतिनिधि Jamshedpur News
ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र में 1967 से अबतक कोई भी विधायक जीत की हैट्रिक नहीं लगा सका है। मतदाताओं का मूड समझने में हर बार जनप्रतिनिधि नाकाम रहे हैं ।
जमशेदपुर, दिलीप कुमार। Jharkhand Assembly Election 2019 ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं का मिजाज कुछ जुदा ही रहा है। अधिकतर चुनाव में मतदाताओं ने परिवर्तन का जनादेश दिया। यही कारण रहा कि अब तक के चुनावी इतिहास में कोई भी प्रत्याशी यहां हैट्रिक नहीं लगा सका है। झारखंड अलग राज्य गठन के बाद हुए तीन विधानसभा चुनाव में हर बार नए प्रत्याशी के सिर पर जीत का सेहरा बंधा। विधानसभा चुनाव में ईचागढ़ की जनता ने तीन अलग-अलग राजनीतिक दल के उम्मीदवारों को अपना विधायक चुना है।
वर्ष 1967 में अस्तित्व में आए ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र में अब तक दो ही विधायक ऐसे रहे जिन्होंने लगातार दो बाद चुनाव जीता है। वर्ष 1977 व 1980 में हुए विधानसभा चुनाव में फारवर्ड ब्लॉक के उम्मीदवार घनश्याम महतो (अब स्वर्गीय) ने और वर्ष 1995 व 2000 में हुए विधानसभा चुनाव में एक बार निदर्लीय और एक बार भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में अरविंद कुमार सिंह उर्फ मलखान सिंह ने लगातार चुनाव जीते हैं।
राज्य गठन के समय ईचागढ़ के विधायक अरविंद कुमार सिंह थे। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता था। वहीं, अलग राज्य गठन के बाद वर्ष 2005 में पहली बार हुए विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के उम्मीदवार सुधीर महतो (अब स्वर्गीय) को विधायक चुनकर विधानसभा भेजा। सुधीर महतो चुनाव जीतकर नेता प्रतिपक्ष और बाद में उपमुख्यमंत्री बने। इसके बाद वर्ष 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में ईचागढ़ के मतदाताओं ने अपना जनप्रतिनिधि बदलते हुए झारखंड विकास मोर्चा के उम्मीदवार अरविंद कुमार सिंह को विधायक चुना। पांच वर्षो के बाद वर्ष 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने फिर अपनी पसंद बदली। इस चुनाव में मतदाताओं ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार साधुचरण महतो को विधानसभा भेजा।
कहीं विकास की चाह में तो नहीं बदल रहे जनप्रतिनिधि
ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र के मतदाता कहीं समग्र विकास की चाह में तो अपना जनप्रतिनिधि नहीं बदल रहे हैं। ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र में अब भी कई मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पेयजल समेत कई सुविधाएं जनता को सहज उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में विकास की आस में कहीं मतदाता हर बार अपना जनप्रतिनिधि बदल कर सुविधाएं हासिल करने का प्रयास तो नहीं कर रहे हैं।