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Navratri Durga Puja : नवरात्र में उपवास कैसे रखना चाहिए, इसके क्या फायदे हैं, बता रही हैं प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ सीमा पांडेय

Navratri Durga Puja उपवास का अच्छे तरीके से लाभ वही व्यक्ति उठा सकता है जो उपवास कला को अच्छी तरह से जानता हो। अगर उपवास के बारे में पूरी तरह से जानकारी न हो तो इसका असर शरीर पर उल्टा भी पड़ सकता है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 07 Oct 2021 12:33 PM (IST)Updated: Thu, 07 Oct 2021 06:05 PM (IST)
Navratri Durga Puja : नवरात्र में उपवास कैसे रखना चाहिए, इसके क्या फायदे हैं, बता रही हैं प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ सीमा पांडेय
जमशेदपुर की आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ सीमा पांडेय।

जमशेदपुर, जासं। मां दुर्गा की विशेष आराधना का व्रत शारदीय नवरात्र गुरुवार से प्रारंभ हो रहा है। स्वाभाविक सी बात है कि इसमें व्रती पूजा संपन्न हाेने तक उपवास पर रहते हैं। व्रत संपन्न होने पर ही फल, सूखे मेवे या मिष्ठान्न आदि ही ग्रहण करते हैं।  सवाल यह है कि उपवास कैसे रखना चाहिए, जमशेदपुर की आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ सीमा पांडेय बता रही हैं। उनका कहना है कि कोई भी व्यक्ति जब उपवास रखता है तो उसका उपवास रखने का मकसद अपने पाचन संस्थान को पूरी तरह से आराम देना है।

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वैसे भी हमारे पाचनसंस्थान को सिर्फ उपवास रखने के दौरान ही आराम मिलता है, क्योंकि रोजाना तो हम लोग पूरे दिन कुछ न कुछ खाकर पेट भर लेते हैं, जिसके कारण हमारे पाचनसंस्थान को बिल्कुल भी फुर्सत नहीं मिल पाती तथा वह हर समय इस भोजन को पचाने में लगा रहता है। हमारे भारत में तो पुराने समय से ही उपवास को बहुत ज्यादा महत्व दिया गया है। धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक उपवास को शरीर और मन को शुद्ध करने का एक जरिया माना गया है। पशु-पक्षी आदि सारे जीवधारियों को उपवास करने की जरूरत पड़ती है जो कि स्वाभाविक है। किसी रोग के होने पर कुछ भी खाना जहर की तरह और उपवास करना अमृत की तरह होता है।

उपवास से शरीर में पैदा होती नयी ताकत

जब किसी व्यक्ति को कोई रोग घेर लेता है तो उसकी भूख अपने आप ही लगना बंद हो जाती है, लेकिन मनुष्य जैसा बुद्धिमान प्राणी भी प्रकृति के इस आदेश को अनदेखा करके रोगी होने पर भी कुछ न कुछ खाता ही रहता है। नतीजतन रोगी व्यक्ति और भी ज्यादा रोगी हो जाता है। रोग होने पर रोग के कारण शरीर में जमा जहरीले पदार्थों को बाहर निकालने का एक बहुत ही मजबूत साधन उपवास है। उपवास के दौरान शरीर की सारी जीवनीशक्ति सिर्फ रोग को ही दूर करने में लग जाती है और जब तक रोग को समाप्त न कर दें, तब तक चैन नहीं लेती। उपवास शरीर में कोई नई ताकत पैदा करने वाली क्रिया नहीं है, लेकिन उसको करने से शरीर में मौजूद जहरीले पदार्थ जिनके कारण व्यक्ति रोगी होता है वे जरूर बाहर निकल जाते हैं और शरीर निरोगी हो जाता है।

एक-दो सप्ताह के उपवास से शरीर हो जाता स्वस्थ

बहुत से लोग सोचते हैं कि उपवास रखना तो पूरे दिन भूखे मरना है, लेकिन उनकी यह सोच बिल्कुल गलत है। शरीर में जहरीले पदार्थों के जमा होने के कारण ही व्यक्ति बीमार होता है, इसके बाद इन जमा पदार्थों से शरीर अपना काम लेने लगता है जो प्रकृति ने उसको खास मौके पर जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल करने के लिए जमा करके रखा हुआ होता है। उपवास रखने पर कमजोरी का यही मतलब होता है कि शरीर के जहरीले पदार्थ नष्ट हो रहे हैं और जीवनीशक्ति शरीर का पोषण करने लगती है और शरीर कमजोर हो जाता है। इस समय लगने वाली भूख स्वाभाविक होती है और हमारा मन करता है कि उपवास को तोड़ दिया जाए और भोजन कर लिया जाए। यह उपवास के समाप्त करने की स्थिति है, लेकिन अगर उसके बाद भी उपवास रखा जाए तो शरीर का पोषण शरीर में स्थित उन जरूरी पदार्थों से होने लगेगा, जिनसे हमारे शरीर का संगठन बना हुआ है। उपवास से कोई व्यक्ति तभी मृत्यु को प्राप्त होता है, जब शरीर में मौजूद फालतू पदार्थों के समाप्त होने के बाद उसके शरीर के जरूरी अंग भी नष्ट हो गए होते हैं।

शरीर व मन को कर देता शुद्ध

उपवास करने से न सिर्फ शारीरिक रोग दूर होते हैं, बल्कि उपवास करने वाले का मन और आत्मा भी शुद्ध हो जाती है, क्योंकि उसका रूख भगवान की तरफ होता है। उपवास शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वच्छता के लिए एक बहुत ही चमत्कारिक उपाय है। लेकिन उपवास का अच्छे तरीके से लाभ वही व्यक्ति उठा सकता है जो उपवास कला को अच्छी तरह से जानता हो। अगर उपवास के बारे में पूरी तरह से जानकारी न हो, तो इसका असर शरीर पर उल्टा भी पड़ सकता है। उपवास के नियमों का सही तरीके से पालन न करने के कारण न जाने कितने ही उपवास रखने वालों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है।

भाेजन कम करना उपवास नहीं

बहुत से लोग बोलते हैं कि भोजन कम करना भी उपवास ही कहलाता है, लेकिन यह सोच बिल्कुल गलत है। शोधों द्वारा यह बात साबित हो चुका है कि भोजन की मात्रा कम कर देना और भूख से ज्यादा भोजन न करना अलग-अलग बात है। व्यक्ति को जितनी भूख लगती है और वह उससे कम खाता है तो यह प्राकृतिक नियमों के अंतर्गत नहीं आता। एक बात और साबित हो चुकी है कि चाहे कोई व्यक्ति कितने ही दिन कम भोजन करें, लेकिन फिर भी उसे कोई खास लाभ नहीं मिल पाता। उपवास रखने के दौरान मनुष्य को शुरुआत के 2-3 दिनों तक ही परेशानी रहती है, लेकिन थोड़ा सा भोजन करने से परेशानी रोजाना समान समस्या बनी रहती है। यह बात भी पता चली है कि कम खाने से कमजोरी जल्दी आती है, लेकिन उपवास करने से ऐसा कुछ नहीं होता है। इसलिए यह बात तो माननी ही पड़ेगी कि उपवास करना और थोड़ा भोजन करना एक ही बात नहीं हो सकती।


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