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Navratri Durga Puja : कोरोना काल में नवरात्र उत्सव कैसे मनाना चाहिए, बता रही सनातन संस्था

Navratri Durga Puja 2021 झारखंड में पंडालों में प्रवेश कर माता का दर्शन या पूजन करने के लिए 25 की संख्या ही निर्धारित की गई है। प्रशासन के सभी नियमों का पालन कर सामान्य की भांति यह उत्सव मनाना असंभव है ऐसे में कुलाचार या आवश्यक अनुष्ठान अवश्य करें।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 07 Oct 2021 01:48 PM (IST)Updated: Thu, 07 Oct 2021 06:04 PM (IST)
Navratri Durga Puja : कोरोना काल में नवरात्र उत्सव कैसे मनाना चाहिए, बता रही सनातन संस्था
कलश स्थापना के साथ गुरुवार को नवरात्र का आरंभ हो गया।

जमशेदपुर, जासं। आश्विन शुक्ल प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के साथ गुरुवार को नवरात्र का आरंभ हो गया। यह महिषासुर मर्दिनी मां दुर्गा का त्योहार है। देवी ने महिषासुर नामक असुर के साथ नौ दिन अर्थात प्रतिपदा से नवमी तक युद्ध कर, नवमी की रात्रि को उसका वध किया था। उस समय से देवी दुर्गा को ‘महिषासुरमर्दिनी’ के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष सात अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक नवरात्र उत्सव मनाया जाएगा। कोरोना महामारी को लेकर सरकार की तमाम बंदिशों-प्रतिबंधों के बीच नवरात्र कैसे मनाया जाए, यह अहम सवाल है।

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झारखंड में पंडालों में प्रवेश कर माता का दर्शन या पूजन करने के लिए 25 की संख्या ही निर्धारित की गई है। प्रशासन के सभी नियमों का पालन कर सामान्य की भांति यह उत्सव मनाना असंभव है, ऐसे में सामान्य की भांति कुलाचार या आवश्यक अनुष्ठान अवश्य करें। जमशेदपुर से संस्था के सदस्य सुदामा शर्मा बताते हैं कि कोरोना काल में नवरात्र कैसे मनाना है, सनातन संस्था के प्रवक्ता चेतन राजहंस ने सभी परिप्रेक्ष्य में मार्गदर्शन किया है।

प्रश्‍न : नवरात्रोत्सव में देवी के मंदिर में जाकर गोद भरना संभव नहीं हो, तो क्या करना चाहिए?

उत्तर : नवरात्रोत्सव में देवी के मंदिर में जाकर देवी की गोद भरना संभव न हो, तो घर पर पूजाघर में स्थित कुलदेवी की ही गोद भरें। गोद के रूप में देवी को अर्पित साड़ी का उपयोग प्रसाद के रूप में किया जा सकता है।

प्रश्‍न : ललिता पंचमी मनाना संभव न हो, तो क्या करना चाहिए?

उत्तर : ‘हम ललिता देवी की पूजा कर रहे हैं’, इस भाव से घर में स्थित देवी की ही पूजा करें।

प्रश्‍न : कुमारिका पूजन कैसे करना चाहिए?

उत्तर : घर में कोई कुमारिका हो, तो उसका पूजन करें! प्रतिबंधों के कारण कुमारिकाआें को घर बुलाकर पूजन करना संभव न हो, तो उसकी अपेक्षा अर्पण का सदुपयोग हो, ऐसे स्थानों पर अथवा धार्मिक कार्य करनेवाली संस्थाओं को कुछ धनराशि अर्पण करें।

प्रश्‍न : भोंडला, गरबा खेलना अथवा घड़े फूंकना जैसे कृत्य संभव न हो, तो क्या करना चाहिए ?

उत्तर : भोंडला, गरबा खेलना अथवा घड़े फूंकना जैसे धार्मिक कृत्यों का उद्देश्य होता है देवी की उपासना करते हुए जागना। ये धार्मिक कृत्य करना संभव न हो; तो कुलदेवी का नामस्मरण अथवा पोथी वाचन, संकीर्तन (स्तुति वाचन भजन) कर देवी की उपासना करनी चाहिए।

प्रश्‍न : दशहरा कैसे मनाना चाहिए?

उत्तर : घर में प्रतिवर्ष हम जिन उपलब्ध शस्त्रों का पूजन करते हैं, उनकी तथा जीविका के साधनों की पूजा करें। एक-दूसरे को अश्मंतक के पत्ते देना संभव न हो, तो ये पत्ते केवल देवता को अर्पण करें।

दृष्टिकोण सही हो तो कोई कठिनाई नहीं

- कर्मकांड की साधना के अनुसार आपातकाल के कारण किसी वर्ष कुलाचार के अनुसार कोई व्रत, उत्सव अथवा धार्मिक कृत्य पूरा करना संभव नहीं हुआ अथवा उस कर्म में कोई अभाव रहा, तो अगले वर्ष अथवा आनेवाले काल में जब संभव हो, तब यह व्रत, उत्सव अथवा धार्मिक कृत्य अधिक उत्साह के साथ करें।

- कोरोना महामारी की पृष्ठभूमि पर आपातकाल का आरंभ हो चुका है। द्रष्टा संत एवं भविष्यवेत्ताओं के बताए अनुसार आगामी दो-तीन वर्षों तक यह आपातकाल चलता ही रहेगा। इस काल में सामान्य की भांति सभी धार्मिक कृत्य करना संभव होगा, ऐसा नहीं है। ऐसे समय में कर्मकांड के स्थान पर अधिकाधिक नामस्मरण करें। कोई भी धार्मिक कृत्य, उत्सव अथवा व्रत का उद्देश्य भगवान का स्मरण कर स्वयं में सात्त्विकता को बढाना होता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं में सात्त्विकता बढाने हेतु काल के अनुसार साधना करने का प्रयास करना चाहिए। काल के अनुसार आवश्यक साधना के संदर्भ में सनातन के आध्यात्मिक ग्रंथों में विस्तृत जानकारी दी गई है, साथ ही यह सनातन संस्था के www.sanatan.org संकेतस्थल पर उपलब्ध है।

-नवरात्रि के दिनों में देवी तत्त्व अन्य दिनों की तुलनामें 1000 गुना अधिक कार्यरत रहता है । इस समय 'श्री दुर्गादेव्यै नमः I' यह नामजप तथा देवी उपासना भावपूर्ण कर देवीतत्त्वका अधिकाधिक लाभ लेंगे I


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