‘डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व’ कांफ्रेंस के विरोध में नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश सहित पूरे देश के हिंदुत्वनिष्ठों का मिल रहा साथ
हिंदू जनजागृति समिति ने ‘हिंदुत्व रक्षा बैठक’ की जिसका मकसद हिंदुत्व के विरोध में षड्यंत्रपूर्वक प्रसारित किए जानेवाले द्वेष को रोकने के लिए संगठित प्रयास करना था। इसमें भारत सहित नेपाल श्रीलंका व बांग्लादेश के 60 से अधिक संगठनों के प्रतिनिधि जुड़े।
जमशेदपुर, जासं। 10 से 12 सितंबर के बीच अमेरिका में हुई ‘डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व’ (हिंदुत्व का वैश्विक स्तर पर उच्चाटन) परिषद में वामपंथी और धर्मांध विचारधारा के वक्ताआें ने हिंदू धर्म के विरोध में वैचारिक आतंकवाद और द्वेष फैलाया। हिंदुत्व के विरोध में षड्यंत्रपूर्वक प्रसारित किए जानेवाले द्वेष को रोकने के लिए हिंदूत्वनिष्ठ संगठित प्रयास करें, इस उद्देश्य से हिंदू जनजागृति समिति ने ‘हिंदुत्व रक्षा बैठक’ किया। इसमें भारत सहित नेपाल, श्रीलंका व बांग्लादेश के 60 से अधिक हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों के प्रमुख, संत, अधिवक्ता, विचारक, लेखक आदि जुड़े।
समिति के जमशेदपुर से सुदामा शर्मा ने बताया कि समिति द्वारा प्रतिवर्ष ‘अखिल भारतीय हिंदू राष्ट्र अधिवेशन’ आयोजित किया जाता है। इस अधिवेशन के एक भाग के रूप में इस बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में हिंउुत्व के विरोध में किए जानेवाले प्रत्येक षडयंत्र का तत्काल और सभी स्तरों पर विरोध किया जाना चाहिए, ऐसा विचारक, लेखक, हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों के प्रमुख इत्यादि ने एकमत से निश्चय किया, साथ ही आगामी संगठित कार्य की दिशा भी निश्चित की गई। 12 सितंबर को रात 8.30 बजे से हुई ऑनलाइन ‘हिंदुत्व रक्षा बैठक’ में पूरे भारत के विविध राज्यों सहित नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश इन देशों के 60 से भी अधिक हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के प्रमुख, संत, अधिवक्ता, विचारक, लेखक इत्यादि सहभागी हुए थे।
हिंदू विरााधियों को बेनकाब करना जरूरी
इस बैठक में ‘डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व’ इस हिंदू विरोधी परिषद की सहायता करनेवालेे, उनके प्रायोजक, आयोजक, वक्ता और उन्हें समर्थन देनेवाली संस्थाआें के विरोध में कृति करने का निश्चय किया गया, क्योंकि ऐसे लोगों को बेनकाब करना जरूरी है। इसमें पूरे विश्व के विविध हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों द्वारा प्रदर्शन करना, पुलिस में परिवाद (शिकायत) प्रविष्ट करना, स्थानीय विधायक-सांसद, केंद्रीय मंत्री, विदेशमंत्री, राष्ट्रपति इत्यादि से भेंट कर उन्हें निवेदन देना, हिंदुत्व पर लगाए गए सभी आरोपों का वैचारिक खंडन करना, विदेश के हिंदू विद्यार्थियों की सुरक्षा के लिए अमेरिकी दूतावास को पत्र भेजना, ‘इंटरनेट मीडिया’ के माध्यम से ऐसी कांफ्रेंस का विरोध करना इत्यादि कृति करने का सभी की सहमति से निश्चय किया गया।
इन प्रतिनिधियों ने रखे विचार
इस बैठक में नेपाल के पूर्व राजगुरु माधव भट्टराय, श्रीलंका की ‘शिव सेनाई’ के अध्यक्ष एम. सच्चिथानंदन, ‘बांग्लादेश मायनॉरिटी वॉच’ के अध्यक्ष अधिवक्ता (पू.) रवींद्र घोष, ‘शदानी दरबार’ के डॉ. (पू.) युधिष्ठिरलालजी महाराज, पश्चिम बंगाल की ‘शास्त्रधर्म प्रचार सभा’ के (पू.) शिवनारायण सेन, ‘श्रीराम सेना’ के अध्यक्ष प्रमोद मुतालिक, ‘रूट्स इन कश्मीर’ के सुशील पंडित, ‘शिवसेना’ के तमिलनाडु राज्यप्रमुख राधाकृष्णन, झारखंड के ‘तरुण हिंदू’ के डॉ. नील माधव दास, ‘यूथ फॉर पनून कश्मीर’ के राहुल कौल, ‘वारकरी पाईक संघ’ के ह.भ.प. रामकृष्ण वीर महाराज, ‘लष्कर-ए-हिंद’ के अध्यक्ष ईश्वरप्रसाद खंडेलवाल, केरल की ‘अन्नपूर्णा फाऊंडेशन’ के बिनील सोमसुंदरम्, बिहार के ज्योतिषी आचार्य अशोक कुमार, राजस्थान के दीपक गोस्वामी आदि ने विचार रखे। आरंभ में हिंदू जनजागृति समिति के पूर्वोत्तर भारत धर्मप्रचारक पू. नीलेश सिंगबाळजी ने बैठक का उद्देश्य स्पष्ट किया तथा हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे ने बैठक की प्रस्तावना रखते हुए ‘डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व’ के विरोध में अभी तक किए संघर्ष के विषय में उपस्थितों को अवगत कराया। सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता चेतन राजहंस ने इस बैठक का सूत्रसंचालन किया।
राष्ट्रीय मार्गदर्शक ने कही ये बात
हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे ने बैठक के समापान सत्र में मार्गदर्शन करते हुए कहा कि 9/11 को अमेरिका में आतंकवादी आक्रमण होने पर सभी लोग मुसलमानों की ओर संशय की दृष्टि से देखने लगे। हिंदुआें के प्रति वही दृष्टि निर्माण करने के लिए ये हिंदू विरोधी परिषद ली गई। इसीलिए हिंदुआें को सतर्क हो जाना चाहिए तथा इस षडयंत्र का वैचारिक और बौद्धिक स्तर पर अध्ययन कर सटीक प्रत्युत्तर देना चाहिए। ईश्वरीय कार्य को आशीर्वाद और सफलता प्राप्त होती ही है, केवल हमें कृति करने की देर है।
हिंदू विरोधी परिषद के पीछे ईसाई मिशनरी : नीलमाधव
इस बैठक में झारखंड के ‘तरुण हिन्दू’ के संस्थापक नील माधव दास ने कहा कि इस हिंदू विरोधी परिषद के पीछे मुख्यतः ईसाई मिशनरी है। हिंदुत्व को समाप्त करने के लिए कम्युनिस्ट और कट्टरतावादी मुसलमान उनका साथ दे रहे हैं। इसके विरोध में हिंदुआें को संगठित होकर हिंदू राष्ट्र हेतु प्रयास करना चाहिए। ज्येष्ठ विचारक और ‘रूटस् इन कश्मीर’ के सुशील पंडित ने कहा कि जिन हिंदुओं को इन परिषदों का सत्य ज्ञान नहीं, वे इस दुष्प्रचार की बलि चढ सकते हैं। इसीलिए हमें हिंदुआें को सत्य बताकर जागृत करना चाहिए। पहले प्रसार माध्यम पूर्णत: विरोधिशें के हाथों में थे। अब स्थिति बदल गई है, इसीलिए हिंदू धर्म, संस्कृति, जीवनदृष्टि के विषयों में हिंदुआें को शिक्षित करना चाहिए। विरोधियों के आरोपों को प्रमाण, तर्क और अध्ययन द्वारा सटीक उत्तर देना चाहिए।