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यहां मरने के बाद भी एक जंग...तब होती अंतिम संस्कार Jamshedpur News

हाय रे सिस्टम! यहां मरने के बाद भी एक जंग लडऩी पड़ रही है तब जाकर शव का अंतिम संस्कार हो पाता है। सुनकर थोड़ा अजीब सा लगता है लेकिन रविवार को इसका बानगी देखने को मिलीी।

By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Mon, 09 Dec 2019 09:41 AM (IST)Updated: Mon, 09 Dec 2019 09:41 AM (IST)
यहां मरने के बाद भी एक जंग...तब होती अंतिम संस्कार Jamshedpur News
यहां मरने के बाद भी एक जंग...तब होती अंतिम संस्कार Jamshedpur News

जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। हाय रे सिस्टम! यहां मरने के बाद भी एक जंग लडऩी पड़ रही है, तब जाकर शव का अंतिम संस्कार हो पाता है। सुनकर थोड़ा अजीब सा लगता है, लेकिन रविवार को इसका बानगी देखने को मिला। महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक मरीज की मौत हो गई।

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इसके बाद उसके शव को शमशान घाट पहुंचाने की बारी आई तो उसकी दुर्गति हो गई। सिदगोड़ा स्थित बाबूडीह बस्ती निवासी हाथीराम हेसा व लालसिंह कुकंल मोटरसाइकिल पर सवार होकर चाईबासा स्थित टोंटो गए थे। वहां से लौटते समय सरायकेला स्थित सीनी मोड़ के समीप एक कार चालक ने धक्का मारकर भाग गया।

इसके बाद दोनों को एमजीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां पर इलाज के क्रम में हाथीराम का मौत हो गयी। घटना की जानकारी मिलने के बाद बस्ती के लोग अस्पताल पहुंचे। हाथीराम के घर में कोई जिम्मेदार व्यक्ति नहीं होने की वजह से बस्ती के लोग ही उनका अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया। इसके बाद वे लोग शव को शमशान घाट ले जाने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों से शव वाहन की मांग किया। इसपर कर्मचारियों ने कहा कि यहां शव वाहन नहीं है।

निजी वाहन से ले जाना पड़ेगा, उसके लिए पैसा लगेगा। लेकिन बस्ती वाले के पास उतने पैसा नहीं था। अब सभी लोग चक्कर में फंस गए कि शव को शमशान घाट कैसे ले जाया जाए? तभी, एक युवक की नजर जंग खा रही शव वाहन पर पड़ी तो उसका आक्रोश बढ़ गया। वह तेज आवाज में कहने लगा कि एक तरफ शव वाहन जंग खा रही है और दूसरी तरफ लोग शव ले जाने के लिए आंसू बहा रहे है। यह कैसी व्यवस्था है? अंत में एक टेंपो वाले को तरस आया और उस शव को शमशान घाट पहुंचाया।

वोट देकर वापस लौट रहा था हाथीराम व लालसिंह

हाथीराम व लालसिंह दोनों मूल रूप से चाईबासा के टोंटा के रहने वाले है। वहीं का वोटर कार्ड बना हुआ है। जमशेदपुर में मजदूरी करने की वजह से वह बाबूडीह में एक किराए के मकान में रहते है। लाल सिंह के सिर में चोट आई है। लाल सिंह ने बताया कि मोटरसाइकिल वह खुद चला रहा था लेकिन हेलमेट पहनने की वजह से उसकी जान बच गई।

लाखों रुपये की तीन नए शव वाहन 

विभाग की उदासीन रवैया की वजह से एमजीएम अस्पताल में तीन नए शव वाहन जंग खा रही है। छह माह से लाखों रुपये की यह शव वाहन धूल फांक रही है। विभाग ने छह माह पूर्व एमजीएम को तीन शव वाहन उपलब्ध कराया था और इसका संचालन उपायुक्त के माध्यम से कराने का निर्देश दिया था।

उपायुक्त ने शव वाहन चलाने की जिम्मेवारी रेडक्रास सोसाइटी को सौंपी थी। लेकिन उनके द्वारा शव वाहन को चलाने से इंकार कर दिया गया। इसका मुख्य कारण शव वाहन में कई खामियां गिनाई गई है। शव वाहन में न तो एयर कंडीशन है और न ही उपयुक्त जगह। इसके साथ ही और भी कई खामियां शामिल है।


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