TWU को रजिस्टर बी में दर्ज करने पर नौ जून को होगी सुनवाई, श्रमायुक्त ने भेजा पत्र
टाटा वर्कर्स यूनियन में जनवरी-फरवरी 2021 को चुनाव हुआ और नई कार्यकारिणी का गठित हुई। लेकिन चुनाव के चार माह बीतने के बाद भी यूनियन झारखंड सरकार के रजिस्टर बी में दर्ज नहीं हो पाई है। इस मामले में नौ जून को सुनवाई होगी।
जमशेदपुर, जासं। टाटा वर्कर्स यूनियन में जनवरी-फरवरी 2021 को चुनाव हुआ और नई कार्यकारिणी का गठित हुई। लेकिन चुनाव के चार माह बीतने के बाद भी यूनियन झारखंड सरकार के रजिस्टर बी में दर्ज नहीं हो पाई है। चुनाव की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए विपक्ष के कुछ सदस्यों ने मामले की शिकायत श्रमायुक्त व उप श्रमायुक्त से की थी। अब इस मामले में नौ जून को सुनवाई होगी।
झारखंड सरकार के निबंधक सह ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार की ओर से टाटा वर्कर्स यूनियन नेतृत्व सहित मामले में शिकायतकर्ता अनिल सिंह, सुनील सिंह व यूनियन के पूर्व कोषाध्यक्ष जे आदिनारायण को एक पत्र भेजा गया है। इसमें उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए नौ जून को रांची बुलाया गया है। यूनियन की ओर से अध्यक्ष संजीव उर्फ टुन्नू चौधरी, महामंत्री सतीश कुमार सिंह व चुनाव निर्वाचन पदाधिकारी संतोष कुमार सिंह शामिल होंगे। इस मामले में उप श्रमायुक्त स्तर से पहले ही सुनवाई की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और कोल्हान के उप श्रमायुक्त राजेश प्रसाद ने इसकी रिपोर्ट ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार को भेज दी थी। अब नौ जून को होने वाली सुनवाई में तय होगा कि यूनियन की वर्तमान कार्यकारिणी रजिस्टर बी में दर्ज होगी या नहीं।
विपक्ष का है आरोप, नहीं दिया गया पर्याप्त समय
बीते चुनाव में निर्वाचन पदाधिकारी संतोष कुमार सिंह का आरोप है कि उन्होंने निर्वाचन पदाधिकारी के चुनाव के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया। इसके कारण कई कर्मचारियों को प्रतिनिधित्व का मौका नहीं मिला। वहीं, यूनियन चुनाव के लिए 214 निर्वाचन क्षेत्रों का भी निर्धारण किया गया था लेकिन विपक्ष का आरोप है कि सत्ता पक्ष ने कुछ विशेष सदस्यों को खुश करने के लिए निर्वाचन क्षेत्रों का निर्धारण किया। कहीं न्यूनतम 33 सदस्यों पर एक सीट बनाई तो कहीं 99 पर भी एक सीट का निर्धारण किया गया। जबकि निर्वाचन पदाधिकारी संतोष कुमार ने सभी आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा था कि उन्होंने पूर्व की परंपरा के आधार पर चुनाव कराया था। वहीं, विपक्ष का आरोप है कि उप श्रमायुक्त ने सभी शिकायतों का निष्पादन करने के बाद ही चुनाव कराने को कहा था जबकि उनके आदेश का अनुपालन नहीं हुआ। जबकि आरओ का कहना था कि उन्होंने हर समस्या का समाधान कर कार्रवाई की सूचना उप श्रमायुक्त को भेज दी थी।