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Health Tips : दिल की बीमारियों के ये हैं सात दुर्लभ लक्षण लक्षण, इन उपाय से कर सकते हैं बचाव

Health Tips आधुनिकता की अंधी दौड़ में हम अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। भारतीय फूड की जगह विदेशी फूड को तरजीह दी जा रही है। जाने-अनजाने हम ऐसा खाना खा लेते हैं जो हार्ट के लिए हानिकारक होता है...

By Jitendra SinghEdited By: Published: Tue, 30 Nov 2021 08:45 AM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 10:12 AM (IST)
Health Tips : दिल की बीमारियों के ये हैं सात दुर्लभ लक्षण लक्षण, इन उपाय से कर सकते हैं बचाव
Health Tips : दिल की बीमारियों के ये हैं सात दुर्लभ लक्षण लक्षण

जमशेदपुर : वर्तमान भाग-दौड़ भरे समय में लोगों के पास अपने लिए भी समय नहीं है। जो मिला उसे खा लिया। काम का दबाव इतना है कि रात में दो-तीन बजे सोते हैं और सुबह देर से उठते हैं। उनके इसी असंतुलित खान-पान और खराब जीवन शैली उन्हें दिल की बीमारियों के नजदीक ले जा रही है। यदि आपकी जीवनशैली भी खराब है तो हम आपको बता रहे हैं कि यदि आपके दिल में दर्द होता है तो उसके किस तरह के लक्षण है और उससे कैसे बचा जा सकता है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के डॉ. बलराम झा बता रहे हैं हार्ट की समस्या के सात दुर्लभ लक्षण.....

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1. कार्डियक सिंड्रोम (Cardiac Syndrome X) : यह दिल से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। इसमें ज्यादातर सीने में दर्द का अनुभव होता है। कुछ मरीजों पर किए गए शोध के बाद वर्ष 1973 में डा. हार्वे केम्प ने इसे सिड्रोम एक्स नाम दिया। इसे आमतौर पर माइक्रो वैस्कुलर एनजाइना के नाम से जाना जाता है। इस बीमारी में ह्दय में मौजूद छोटी धमनियों में आसामान्यता देखी जाती है। इस बीमारी में मरीज को सीने में तेज दर्द, एंजाइना और धमनियों में दिक्कत होती है।

2. प्रिंजमेंटल एंजाइना (Prinzmetal Angina) : इस बीमारी में ह्दय में खून की सप्लाई करने वाली रक्त वाहिकाओं में ऐठन, सामान्य रक्त प्रभाव के बाधित होता है। यह दिल से जुड़ी गंभीर व जटिल बीमारी है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यह बीमारी अधिक होती है। अमेरिकी डा. मायरोन प्रिंजमेटल के नाम पर इस बीमारी का नाम रखा गया है। ज्यादातर लोगों में यह समस्या असंतुलित खानपान और कोरोनरी हार्ट डिजीज के कारण होती है। इस लक्षण के रूप में सीने में तेज दर्द, रक्त वाहिकाओं में ऐठन के कारण बेहोशी और हार्ट अटैक आते हैं।

3. बार्लो सिड्रोम (Barlow’s Syndrome) : इस बीमारी में माइट्रल वॉल्व के एक या अधिक फ्लैप फ्लॉपी और इनके ठीक से बंद नहीं होने के कारण बार्लो सिंड्रोम की समस्या उत्पन्न होती है। यह एक तरह का ह्दय वॉल्व रोग है जो हमारे माइट्रल वॉल्व को प्रभावित करता है। वर्ष 1966 में दक्षिण अफ्रीका के प्रोफेसर जॉन ब्रेरेटेन बार्लो ने इस बीमारी पर रिसर्च कर जानकारी इकट्ठा की थी और उनके नाम पर ही इस बीमारी का नाम पड़ा। इसे कैनरी सिड्रोम भी कहा जाता है। इस बीमारी के लक्षण के रूप में दिल की धड़कन अनियमित होना, चक्कर आना, सांस लेने में कठिनाई, थकान व सीने में दर्द की शिकायत रहती है।

4. एबस्टीन एनोमली (Ebstein’s Anomaly) : यह दिल से जुड़ी सबसे गंभीर और दुर्लभ बीमारी है जिसे जर्मन डा. विल्हेम एबस्टीन के नाम पर रखा गया है। वर्ष 1866 में उन्होंने इस बीमारी के बारे में शोध कर जानकारी एकत्र की। एबस्टीन एनोमली नवजात बच्चों में होने वाली समस्या है जिसमें हार्ट वॉल्व ठीक से नहीं बनने के कारण होता है। इसकी वजह से हार्ट में ब्लड लीकेज की समस्या होती है। इसके लक्षण के रूप में सांस लेने की समस्या, थकान, दिल्ली का धड़कन असामान्य होना, कम ऑक्सीजन के कारण होठों और त्वचा का नीला पड़ना है।

5. ईसेनमेंजर सिंड्रोम (Eisenmenger Syndrome) : यह बीमारी भी जन्मजात बच्चों में होती है। जिसमें दाएं से बांए ह्दय में से एक में असामान्यता देखने को मिलती है। यह समस्या दिल के कक्षों के बीच एक छेद होने के कारण होती है। इसके लक्षण के रूप में जल्दी थकान आना, सांस लेने में तकलीफ, ब्लड प्रेशर का बढ़ना और चक्कर आना सहित सीने में दर्द की शिकायत रहती है।

6. टेट्रालजी ऑफ फॉलोट (Tetralogy Of Fallot) : वर्ष 1888 में फ्रांसीसी डा. एटियेन लुई फॉलोट ने इस समस्या की खोज की थी। टेट्रॉलॉजी ऑफ फैलोट एक जन्मजात ह्दय संबंधी बीमारी है जो तब होती है जब बच्चे दिल के चार संरचानात्मक दोषों के साथ पैदा होते हैं। इस बीमारी के लक्षण के रूप में पल्मोनरी स्टेनोसिस, ओवर डाइटिंग, वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट सहित खून में आक्सीजन की कमी के कारण शरीर की त्वचा का नीला पड़ना, सांस लेने में तकलीफ, वजन बढ़ना, खेलने या व्यायाम के समय जल्दी थक जाना, चिड़चिड़ापन, लंबे समय तक रोना और बेहोशी मुख्य कारण होता है।

7. कोनिस सिंड्रोम (Kounis Syndrome) : यह बीमारी एनजाइना से जुडा हुआ है। इसे एलर्जी की प्रतिक्रिया की वजह से होने वाला हार्ट अटैक भी कहा जाता है। कोनिस सिंड्रोम को ग्रीक ह्दय रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर निकोल्स जी कोनिस के नाम पर रखा गया है। इस बीमारी के लक्षण के रूप में धमनियों में ऐठन, सांस लेने में परेशानी, दिल की धड़कन का अनियमित होना, उल्टी होना है।

दिल की बीमारी से बचने के ये हैं उपाय ((Heart Disease Prevention Tips)

यदि आपकी जीवन शैली असंतुलित और अनियमित खानपान है तो दिल की बीमारी से बचने के लिए जरूरी है कि आप कुछ उपाय करें ताकि आप इन बीमारियों से बच सके। इस बीमारी से बचाव के लिए आपको इन बातों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे :::

  • तनाव व चिंता की समस्या बढ़ने पर विशेषज्ञ डाक्टर से मिले।
  • अपने खानपान व जीवन शैली में सुधार लाएं
  • शराब व ध्रूमपान का सेवन न करें।
  • जंक फूड व प्रोसेस्ड फूठ का सेवन न करें।
  • चीनी व नमक का सेवन कम करें।
  • ताजे फल व सब्जियों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें।
  • रोजाना योग व व्यायाम करें।
  • तनाव मुक्त रहने की कोशिश करें।
  • लक्षण दिखने पर तुरंत डाक्टर से मिले।

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