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अगर नहीं चेते तो इलाज को दर-दर भटकना पड़ेगा

कोरोना के नए वैरियंट ओमिक्रोन तेजी से फैल रहा है। अन्यथा फिर वही स्थित आ जाएगी जो दूसरी लहर में देखा गया था। इलाज तो छोड़िए बेड व ऑक्सीजन भी नहीं मिल पाएगी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 Dec 2021 05:00 AM (IST)Updated: Wed, 08 Dec 2021 05:00 AM (IST)
अगर नहीं चेते तो इलाज को दर-दर भटकना पड़ेगा
अगर नहीं चेते तो इलाज को दर-दर भटकना पड़ेगा

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : कोरोना के नए वैरियंट ओमिक्रोन तेजी से फैल रहा है। अन्यथा फिर वही स्थित आ जाएगी, जो दूसरी लहर में देखा गया था। इलाज तो छोड़िए, बेड व ऑक्सीजन भी नहीं मिल पाएगी। मरीज तड़प-तड़प कर मरेंगे। ऐसे में वह स्थिति दोबारा नहीं आए, इसका ख्याल पूरे शहर को करना होगा। जिला प्रशासन भले ही पूर्ण तैयारी की दावा कर रहा है लेकिन उसमें ज्यादा दम नहीं दिखता। जो स्थिति दूसरी लहर में थी लगभग अभी भी वही है। सिर्फ अस्पतालों में बेड व ऑक्सीजन प्लांट बढ़े हैं। लेकिन, सबसे बड़ा सवाल यह है कि मरीजों को इलाज कौन करेगा। दूसरी लहर में देखा गया कि चिकित्सक, नर्स व स्वास्थ्य कर्मियों की भारी कमी पड़ने लगी। इसे देखते हुए जिले के उपायुक्त को शहरवासियों से अपील करना पड़ा, ताकि वे आगे आकर मरीजों की जान बचा सकें। इसमें डॉक्टर, समाजसेवी सहित अन्य लोग शामिल थे। ऐसे में आप सोच लीजिए कितनी भयावह स्थिति थी।

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एमजीएम कितना तैयार

कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 100 बेड का अस्थायी अस्पताल बनाया गया है लेकिन उसे अभी हैंडओवर नहीं लिया गया है। वहीं, एक पीएसए ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किया गया है। लेकिन यहां मैनपावर की भारी कमी है। कर्मचारियों की संख्या लगातार कम की जा रही है। यहां डॉक्टर से लेकर नर्स व स्वास्थ्य कर्मियों की भारी कमी है। ऐसे में कहा जा सकता है कि यहां इलाज की गारंटी नहीं है। दूसरी लहर में देखा गया था कि कोविड वार्ड में मरीजों को न तो ऑक्सीजन देने वाला था और न ही दवा देने वाला। इस दौरान कई मरीजों की मौत इलाज के अभाव में हो गई।

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सदर अस्पताल की स्थिति

परसुडीह स्थित सदर अस्पताल में कोरोना मरीजों के लिए 100 बेड लगाए गए हैं। वहीं, बच्चों के लिए 10 बेड का एक अलग से वार्ड तैयार किया गया है। वहीं, तीन पीएसए ऑक्सीजन प्लांट लगाया जा रहा है। इसमें एक प्लांट शुरू हो चुका है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल इसे चलाएगा कौन। न तो पर्याप्त डॉक्टर हैं और न ही नर्स व स्वास्थ्य कर्मी। यहां तक की एक दर्जन कर्मचारियों को भी हटा दिया गया है। ऐसे में यहां इलाज की गारंटी आर नहीं कर सकते हैं।

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मर्सी अस्पताल में लग रहा ऑक्सीजन प्लांट

मर्सी अस्पताल में 30 बेड का कोविड वार्ड बनाया गया है। वहीं, पांच वेंटिलेटर भी है लेकिन इसे चलाने वाला कोई नहीं है। दूसरी लहर में ये वेंटिलेटर का उपयोग नहीं हो सका। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि इसे चलाने के लिए विशेषज्ञों की टीम होती है जो हमारे पास नहीं है। वहीं, यहां भी एक पीएसए ऑक्सीजन प्लांट लगाया जा रहा है। उम्मीद है कि इसे स्थापित होने में एक सप्ताह का समय लगेगा।

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टीएमएच में 500 से अधिक बेड

कोरोना की पहली व दूसरी लहर में टीएमएच पर काफी अधिक लोड था। वहीं यहां बेड भी अधिक था। तीसरी लहर को लेकर यहां बड़ों के साथ-साथ बच्चों के लिए भी विशेष व्यवस्था की गई है। बच्चों के लिए अलग से वार्ड बनाया गया है। जबकि बेड की संख्या भी बढ़ाई गई है। हालांकि, इसे संचालित करने के लिए मैनपावर की जरूरत होगी, जो सबसे बड़ी चुनौती होगी।

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ओमिक्रोन तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में किसी तरह की लापरवाही नहीं बरते। सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देश का सख्ती से पालन करें।

- डॉ. साहिर पाल, जिला सर्विलांस पदाधिकारी।

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