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रुपये के अभाव में जच्चा को नहीं ले जा सके रिम्स, मौत

महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में गुरुवार की सुबह करीब दस बजे एक जच्चा की मौत हो गई। मरीज को रांची रिम्स रेफर कर दिया गया था। रुपये नहीं होने की वजह से परिजन उसे रांची नहीं ले जा पाए।

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 08:00 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jan 2020 01:54 AM (IST)
रुपये के अभाव में जच्चा को नहीं ले जा सके रिम्स, मौत
रुपये के अभाव में जच्चा को नहीं ले जा सके रिम्स, मौत

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में गुरुवार की सुबह करीब दस बजे एक जच्चा की मौत हो गई। मरीज को रांची रिम्स रेफर कर दिया गया था। रुपये नहीं होने की वजह से परिजन उसे रांची नहीं ले जा पाए।

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पटमदा स्थित लाकड़ा कोचा निवासी भारती मोदी के शरीर में हीमोग्लोबिन पांच ग्राम था। जबकि करीब 11 ग्राम होने चाहिए। भारती का प्रसव 15 दिन पूर्व हुआ था। वह स्वस्थ थी लेकिन बीते शुक्रवार को अचानक से बेहोश होकर गिर पड़ी। इसके बाद उसे एमजीएम अस्पताल लाया गया। यहां पर दो यूनिट खून चढ़ाया गया लेकिन मरीज की स्थिति में सुधार नहीं हुआ। इसके बाद उसे रांची रिम्स रेफर कर दिया गया था लेकिन परिजन के पास रुपये नहीं होने की वजह से वह नहीं ले जा सके। इलाज के क्रम में उसकी मौत हो गई। मां की तबीयत खराब होने की वजह से नवजात को दूध भी नसीब नहीं हो रहा था। गुरुवार को इमरजेंसी विभाग के बाहर नवजात अपने दादी की गोद में जोर-जोर से रो रहा था। इसके बाद दादी पुष्पलता मोदी ने बाहर से दूध मंगाई और दूध पिलाई।

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सरकारी योजनाओं पर उठाया सवाल

नवजात व उसकी दादी की रोना देख इमरजेंसी विभाग के समीप भीड़ उमड़ पड़ी। पटमदा के लिलकू ने सरकारी योजनाओं पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि गर्भवती को विशेष पोषण देकर उसे स्वस्थ करने का दावा किया जाता है लेकिन भारती मोदी के शरीर में खून की कमी थी। इससे साबित होता है कि सरकारी योजनाओं का समूचा लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने यह भी सवाल खड़ा किया कि जन्म के अगले छह माह तक जच्चा-बच्चा की देखभाल की जिम्मेदारी गांव की सहिया की होती है लेकिन भारती के साथ कोई खड़ा नहीं हुआ।


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