बच्चों की भावनाओं को समझें माता-पिता
बच्चे तनाव में आकर गलत कदम उठा लेते हैं। उनकी भावनाओं को समझने की जरूरत है।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : बच्चे तनाव में आकर गलत कदम उठा लेते हैं। उनकी भावनाओं को समझने की जरूरत है।
उक्त बातें रविवार को टाटा मुख्य अस्पताल (टीएमएच) के मनोचिकित्सक डॉ. मनोज साहू ने कहीं। इंडियन एकेडमी ऑफ पिडियाट्रिक्स (आइएपी) की ओर से बिष्टुपुर स्थित लोयोला स्कूल में एक सेमिनार का आयोजन किया गया है। इसमें बच्चों में बढ़ रही आत्महत्या की प्रवृति पर चर्चा की गई। डॉ. मनोज साहू ने कहा कि किशोरावस्था में बढ़ रहे तनाव व अभिभावकों के साथ बच्चों का मतभेद का मुख्य तीन कारण है। इसमें परीक्षा में बच्चों से बेहतर प्रदर्शन की अपेक्षा, मोबाइल पर व्यस्त रहना व माता-पिता व बच्चों के बीच बढ़ती दूरियां शामिल हैं। इसे विस्तार से समझाने के लिए तीन सत्र में कार्यक्रम आयोजित किए गए। पहले सत्र में बच्चों को समझाया गया कि वे तनाव व उनके मन में आत्महत्या जैसे आ रही प्रवृत्ति से कैसे बच सकते हैं। इस दौरान उन्हें क्या करना चाहिए? अगर उनके मन में कोई गलत विचार आ रहा है तो उसकी जानकारी अपने माता-पिता को दें। वहीं माता-पिता को बताया गया कि वे अधिक से अधिक समय बच्चों को दें, जिससे वे अपनी हर बात खुलकर बता सकें। अभिभावकों को यह भी समझाया गया कि बच्चे किस हालात में गलत कदम उठा लेते हैं। उसके संकेत भी बताए गए। वहीं डॉक्टरों को बताया गया कि उनके पास अगर इस तरह के मरीज पहुंचें तो उनका इलाज कैसे करना चाहिए। बच्चे की अगर मानसिक स्थिति ठीक नहीं हो तो उसे बिना देर किए हुए मनोचिकित्सक के पास भेज देना चाहिए। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जॉय भादुड़ी ने कहा कि मिशन किशोर उदय वर्कशाप का आयोजन देशभर में संचालित किया जा रहा है। इसके माध्यम से अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करना और आत्महत्या जैसी प्रवृत्ति को रोकना उद्देश्य है। कार्यक्रम का उद्घाटन लोयोला स्कूल के प्रिंसिपल फादर पायस ने किया। कार्यक्रम में लखनऊ से डॉ. प्याली भंट्टाचार्य भी आई हुई थी। इस अवसर पर डॉ. बीआर मास्टर, डॉ. सुधीर मिश्रा, डॉ. आरके अग्रवाल, डॉ. संजय अग्रवाल, डॉ. गौरी भादुड़ी सहित अन्य उपस्थित थे।