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हाथ, पैर देख दिव्यांगों के खिले चेहरे, कहा-इससे खुशी का पल और नहीं हो सकती

कृत्रिम अंग ही सही पर दिव्यांगों के चेहरे खिले हुए थे। किसी का पैर लगाए जा रहे थे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Oct 2019 09:00 AM (IST)Updated: Mon, 14 Oct 2019 06:16 AM (IST)
हाथ, पैर देख दिव्यांगों के खिले चेहरे, कहा-इससे खुशी का पल और नहीं हो सकती
हाथ, पैर देख दिव्यांगों के खिले चेहरे, कहा-इससे खुशी का पल और नहीं हो सकती

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : कृत्रिम अंग ही सही पर दिव्यांगों के चेहरे खिले हुए थे। किसी का पैर लगाया जा रहा था तो किसी का हाथ। झारखंड से ही नहीं बल्कि बिहार से भी दिव्यांग पहुंचे हुए थे। मौका था भारतीय रेड क्रास सोसाइटी व केके एजुकेशन फाउंडेशन ट्रस्ट के आमंत्रण पर भगवान महावीर विकलांग सहायता शिविर एवं जयपुर फुट यूएसए द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय निश्शुल्क कृत्रिम अंग प्रत्यारोपण शिविर का।

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साकची स्थित रेड क्रास भवन में आयोजित शिविर में मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय उपस्थित थे। वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में राजस्थान मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन प्रकाश चंद्र टाटिया, राजस्थान के पूर्व लोकायुक्त एसएस कोठारी, झारखंड सरकार के मंत्री सरयू राय, सांसद विद्युत वरण महतो, राज्य के निश्शक्ता आयुक्त सतीष चंद्रा, जयपुर फुट यूएसए के चेयरमैन प्रेम भंडारी व भगवान महाबीर विकलांग सहायता समिति के संस्थापक डीआर मेहता उपस्थित थे। अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। कार्यक्रम में केके फाउंडेशन की ओर से नेत्रहीनों की संस्था दिव्य ज्योति को एक ई-रिक्शा दिया गया। वहीं दिव्यांगों को ट्राई साइकिल प्रदान की गई। कार्यक्रम का संचालन रेड क्रास के मानद सचिव विजय सिंह ने किया। वहीं धन्यवाद ज्ञापन केके फाउंडेशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने किया।

डॉ. महेश्वर प्रसाद व डॉ. बीपी सिंह सम्मानित किए गए : कार्यक्रम में सिविल सर्जन डॉ. महेश्वर प्रसाद व 50 हजार से अधिक मोतियाबिंद की सर्जरी करने वाले डॉ. बीपी सिंह को सम्मानित किया गया। शिविर में अबतक 850 लोगों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। पहले दिन 116 लोगों को कृत्रिम अंग प्रत्यारोपण किया गया। इसमें पैर 55, कैलीपर्स 15, हाथ 06, ट्राई साइकिल 18, वैशाखी 11 शामिल है। इस अवसर पर भाजपा नेता अमरप्रीत सिंह काले, रेड क्रास के श्याम कुमार सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।

झारखंड मेरा दूसरा घर : प्रकाश टाटिया : राजस्थान मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन प्रकाश चंद्र टाटिया ने कहा कि झारखंड उनका दूसरा घर है। वे झारखंड उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रह चुके है। उन्होंने कहा कि दिव्यांगों की चेहरे पर मुस्कान देखकर जो खुशी मिली, वह आज तक न तो किसी भाषण से मिला और न ही प्रवचन सुनकर। वहीं राजस्थान के पूर्व लोकायुक्त एसएस कोठरी ने कहा कि समाज के दिव्यांग तबके को सबसे अधिक मदद की जरूरत है, लेकिन अबतक कहीं न कहीं पीछे छूटते आया है। उनके लिए यह शिविर काफी लाभदायक है।

सरकारी कमियां को दूर कर रहा जयपुर फुट : झारखंड के निश्शक्ता आयुक्त सतीष चंद्रा ने कहा कि सरकारी प्रक्रिया के तहत कृत्रिम अंग लगाना काफी मुश्किल है। फिलहाल यह काम बंद है। वहीं जयपुर फुट की ओर से सिर्फ पांच घंटे के अंदर कृत्रिम अंग लगाकर दिव्यांगों के चेहरे पर मुस्कान लौटाई जा रही है, जो काफी सराहनीय है। हाल ही में कई दिव्यांगों अंतरराष्ट्रीय खेल-कूद प्रतियोगिता में गोल्ड जीतकर देश का नाम रौशन किया है। उन्होंने कहा कि दिव्यांगों को भी प्रधानमंत्री आवास योजना सहित अन्य सभी सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा।

दिव्यांगों को अधिक से अधिक लाभ दिलाने की होगी कोशिश : मंत्री

झारखंड सरकार के मंत्री सरयू राय ने कहा कि दिव्यांगों को अधिक से अधिक लाभ दिलाने की कोशिश होगी। उन्होंने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का जमशेदपुर आना और इस कार्यक्रम में भाग लेना सुखद संकेत है।

राजस्थान के लोग समाजसेवा में आगे : सांसद

सांसद विद्युत वरण महतो ने कहा कि राजस्थान के लोग समाजसेवा में आगे रहते है। उन्होंने कहा कि आप देश के किसी भी क्षेत्र में चले जाए वहां राजस्थान भवन जरूर मिलेगा। जमशेदपुर में भी कई राजस्थान भवन संचालित होता है। जहां पर कम राशि में कोई भी व्यक्ति ठहर सकता है। उन्होंने दिव्यांगों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि मन में ढृढ़ इच्छाशक्ति हो तो कोई भी मंजिल हासिल की जा सकती है।

सरकार मदद करें, चक्कर न लगवाएं : भंडारी

जयपुर फुट यूएसए के चेयरमैन प्रेम भंडारी ने कहा कि पुलवामा शहीदों की श्रृद्धांजलि में मेगा दिव्यांग शिविर लगाया गया है। इसके माध्यम से दिव्यांगों को बेहतर क्वालिटी वाले कृत्रिम अंग लगाकर उन्हें चलने-फिरने में सक्षम बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वह अमेरिका से निस्स्वार्थ भाव से सेवा करने के लिए भारत आते है। इसलिए यहां के सरकार उनकी मदद करें। न की चक्कर लगवाएं।

पांच किलोमीटर तक घसीटते रहा बैल

पोटका स्थित घुमरी गांव निवासी देवजनी मंडल (27) का दायां पैर कटा हुआ है। उनके घुटने के नीचे का अंग नहीं है। इससे चलने-फिरने में वह असमर्थ थी। कहीं जाने के लिए उसे किसी का सहारा लेना पड़ता था, लेकिन अब कृत्रिम पैर लग जाने से वो आसानी से चल-फिर पाएंगी। देवजनी ने बताया कि पांच माह पूर्व वह बैल को बांध रही थी, तभी उसकी रस्सी देवजनी के पैर में फंस गई और बैल भागने लगा। इस दौरान करीब पांच किलोमीटर तक बैल उन्हें घसीटता रहा। इससे उसकी जान बचाने के लिए पैर काटना पड़ा।

पटना से आया हूं, दुर्घटना में कट गया था पैर

जमशेदपुर में शिविर लगाने की सूचना मिलने पर पटना निवासी मो. वासीट (21) भी आए थे। उन्होंने बताया कि दो साल पूर्व पटना में वो मोटरसाइकिल से जा रहे थे, तभी एक टेंपो वाले ने धक्का मार दिया था। उसी दौरान उनके पैर का आधा हिस्सा कट गया था। इसके बाद चिकित्सकों ने उसे पूरा काट कर अलग कर दिया था। अब कृत्रिम पैर लगने से वह चल-फिर सकेंगे।

बचपन से ही दिव्यांग हैं चंदना मंडल

घाटशिला स्थित काराडूबा निवासी चंदना मंडल (30) बचपन से ही दिव्यांग हैं। उन्होंने कहा कि शरीर के हर अंग स्वस्थ है, लेकिन एक पैर से दिव्यांग हैं। हालांकि, उसे पूर्व में मारवाड़ी युवा मंच की ओर से कृत्रिम पैर लगाया गया था, लेकिन वह अब खराब हो चुका था। साथ ही वह काफी भारी भी था। जिससे पैर उठाने में परेशानी होती थी। जयपुर फुट द्वारा उपलब्ध कराया गया कृत्रिम पैर काफी हल्का है। इससे चलने फिरने में काफी आसानी होगी।

2008 में हुई दुर्घटना में काटना पड़ा पैर

साकची पुराना कोर्ट के समीप रहने वाले शिवा मुखी ने बताया कि वह मिनी बस में खलासी का काम करते थे। वर्ष 2008 में टेल्को में दुर्घटना हो गई थी। बस व ट्रक का टक्कर हो गई थी। उसमें उनका पैर टूट गया था और कट भी गया। इससे पैर में इंफेक्शन हो गया और पैर को काटने की नौबत आ गई। कुछ माह पूर्व ही सिदगोड़ा स्थित सूर्य मंदिर परिसर में कृत्रिम पैर लगवाया था। उसके बार से चलने फिरना आसान हो गया। हालांकि, वह थोड़ा भारी है। जिससे कुछ परेशानी हो रही है। हल्का कृत्रिम पैर लगाने के लिए आया हूं।

1974 में हुई दुर्घटना में कट गया था पैर

कदमा स्थित रामजनम नगर निवासी अजुर्न बाग का पैर 12 अक्टूबर 1974 को टाटा नगर स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर टाटा-बड़बिल ट्रेन से कट गया था। उन्होंने बताया कि ट्रेन से उतरने के दौरान उनका पैर स्लीप कर गया था। इसके कुछ साल के बाद उनका कृत्रिम पैर लग सका। उन्होंने बताया कि कृत्रिम पैर की मदद से ही वह साइकिल चलाने के साथ-साथ सभी कार्य करते हैं। उन्हें कुछ परेशानी नहीं होती है। आम व्यक्ति की तरह ही वह पैंट व शर्ट पहनते हैं। इससे उनका कृत्रिम पैर भी ढक जाता है और लोगों को पाता भी नहीं चलता।


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