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एमजीएम को बीमार करनेवाले साहब ... पढ़ें हफ्तेभर की हेल्‍थ लाइन की हलचल Jamshedpur News

Weekly News Roundup Jamshedpur Health line एमजीएम अस्पताल को बीमार करने वाले साहब अभी चर्चा में हैं। रहते रांची में कभी फुर्सत मिलने पर जमशेदपुर भी आ जाते हैं।

By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 10:03 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jan 2020 09:38 AM (IST)
एमजीएम को बीमार करनेवाले साहब ... पढ़ें हफ्तेभर की हेल्‍थ लाइन की हलचल Jamshedpur News
एमजीएम को बीमार करनेवाले साहब ... पढ़ें हफ्तेभर की हेल्‍थ लाइन की हलचल Jamshedpur News

जमशेदपुर (अमित तिवारी)। एमजीएम अस्पताल को बीमार करने वाले 'साहब' अभी चर्चा में हैं। लंबे अरसे से इनके जिम्मे कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की साफ-सफाई का काम है, लेकिन इनके काम करने के तरीके से मरीज ही नहीं बल्कि पूरा सिस्टम बीमार पड़ गया है। साहब रहते रांची में, कभी कभार फुर्सत मिलने पर जमशेदपुर भी आ जाते हैं।

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साफ-सफाई के बारे में वे तो शायद ही कभी जानने की कोशिश करते हैं। अगर, सक्रिय होते तो बीते शनिवार को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ. नितिन मदन कुलकर्णी को गंदगी नजर नहीं आती। उन्हें सेनेटरी इंस्पेक्टर अरविंद कुमार को बुलाने की जरूरत भी नहीं पड़ती। खैर, सच्चाई को ज्यादा दिन तक छिपाया नहीं जा सकता। बुलाने से वह आ तो नहीं सके लेकिन उनकी पूरी पोल खुल गई। अब प्रबंधन ने उनके खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। अरविंद कुमार के साथ आगे क्या होगा, यह देखने वाली बात होगी।

चर्चा में है साहब की अटैची

बीते शनिवार की बात है। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ. नितिन मदन कुलकर्णी एमजीएम अस्पताल के डॉक्टरों, कर्मचारियों और भवन निर्माण करने वाले ठेकेदारों पर खूब बरसे थे। इसके बाद चर्चा का बजार गर्म हो गया। अब भी हर जुबान पर चर्चा जारी है। साहब की अटैची छूटने और इस वजह से एक दिन ज्यादा रुकने की बात हो रही है।

धरती के भगवान यानी डॉक्टर की जुबान भी खुल गई है। मरीजों का इलाज करते-करते डॉक्टर सिस्टम को भी कोसने लगते हैं। कर्मचारी से लेकर भवन निर्माण करने वाले ठेकेदार भी इसमें सुर मिलाते नजर आते हैं। एक ठेकेदार का कहना है कि उन्हें बैठक में इसलिए फटकार लगाई जाती है कि चढ़ावा सही समय पर पहुंच जाए। वहीं, एक वरिष्ठ डॉक्टर कहते हैं कि साहब को अगर व्यवस्था ही सुधारनी होती तो मूल समस्याओं को जानने की कोशिश करते। यूं ही हवा-हवाई आदेश देकर नहीं चले जाते।

यहां कर्मचारियों का घुट रहा दम

सिविल सर्जन के कार्यालय में पांच दिनों तक बहार था। साहब शनिवार से बुधवार तक छुट्टी पर थे। इससे कर्मचारियों ने राहत की सांस तो ली ही, खूब मस्ती भी हुआ। एक दिन तो समय से पहले ही कार्यालय में ताला लटक गया। साहब गुरुवार से फिर से कमान संभाल चुके हैं।

उनकी कार्यसंस्कृति से भारी आक्रोश है। लेकिन, उनके खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत किसी में नहीं है। चूं की भी आवाज आई तो उनका तबादला तय मानिए। अब सभी उनके सेवानिवृत होने का इंतजार कर रहे हैं। साहब का समय दोपहर दो से शाम पांच बजे तक सदर अस्पताल में कटता है। उसके बाद वह अपने कार्यालय में फाइल निपटाने में जुट जाते हैं। देर शाम तक वह डटे रहते हैं। सभी कर्मचारियों को भी बिना किसी काम के रोक कर रखते हैं। इससे अधिकतर कर्मचारी तंग आ गए हैं। कब किसे बुला लेंगे, यह कोई नहीं जानता।

बच्चों की तरह बहाना बनाते हैं डॉक्टर साहब

एक सर्वे के अनुसार, स्कूल जाने से बचने के लिए बच्चे सबसे अधिक पेट दर्द का ही बहाना बनाते हैं। लेकिन, अब एमबीबीएस कर चुके सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर भी इसी बहाने की आड़ लेकर गायब रहते हैं। इसमें पटमदा के प्रभारी डॉ. समीर महंती और बहरागोड़ा के डॉ. ओपी चौधरी का नाम सबसे आगे है।

ग्रामीण केंद्रों के अधिकतर डॉक्टर ड्यूटी से गायब मिलते हैं या देर से कार्यालय पहुंचते हैं। फोन करने पर बोलते हैं कि आज पेट दर्द था, सिर दर्द था...। लेकिन हैरानी इस बात की है कि इसकी सूचना जिले के किसी आला अधिकारी को नहीं होती है। उनके द्वारा कई बार जांच में खुलासा भी हो चुका है कि बहाना बनाकर बंक मारने वाले डॉक्टर निजी अस्पतालों में ड्यूटी बजा रहे हैं। राज्य सरकार से लाखों रुपये वेतन लेने वाले धरती के इन भगवानों (डॉक्टर) को खोजने के लिए मरीजों को दर-दर भटकना पड़ता है।


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