Ease of Doing Business : जमशेदपुर की आधी कंपनियां नहीं दे रहीं लाइसेंस फीस, ये रही वजह Jamshedpur News
Ease of Doing Business. इज ऑफ डूइंग बिजनेस के कारण मालिकों को एकमुश्त 10 वर्षों की लाइसेंस फीस देने में परेशानी हो रही है। जमशेदपुर की आधी कंपनियां लाइसेंस फीस नहीं दे रहीं हैं।
जमशेदपुर, जासं। झारखंड में इज ऑफ डूइंग बिजनेस कंपनी मालिकों के लिए आफत बन रहा है। इसके कारण जमशेदपुर सर्किल में संचालित आधे से ज्यादा फैक्ट्री मालिकों ने जनवरी बीतने के बावजूद अब तक अपना लाइसेंस नवीकरण नहीं कराया है। वे लाइसेंस फीस भी जमा नहीं कर रहे हैं। इसके कारण सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है।
जमशेदपुर सर्किल में टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा कमिंस, टाटा ब्लूस्कोप, टिनप्लेट, इंडियन स्टील एंड वायर प्रोडक्ट सहित 432 छोटी-बड़ी कंपनियां संचालित हैं। जो कर्मचारियों की संख्या और कंपनी में इस्तेमाल किए जाने वाले हॉर्स पावर के आधार पर न्यूनतम 400 रुपये से लेकर 5.40 लाख रुपये तक लाइसेंस फीस देती हैं। कारखाना अधिनियम के तहत जिन कंपनियों को संचालित करना है, उन्हें नए वर्ष में 15 जनवरी तक फीस जमा करने के साथ अपना लाइसेंस नवीकरण कराना है। लेकिन 15 फरवरी बीतने के बाद भी 50 फीसदी कंपनियों ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की है। अधिनियम के तहत कंपनी मालिकों को 31 मार्च तक कुल फीस का 50 फीसदी जुर्माने के साथ जबकि इसके बाद से 30 जून तक 100 फीसदी जुर्माने के साथ फीस जमा करनी होगी।
इज ऑफ डूइंग कंपनी मालिकों के लिए आफत
झारखंड की पूर्व रघुवर सरकार ने इज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत कंपनी मालिकों को राहत दी कि वे एक साथ 10 वर्षों का लाइसेंस नवीकरण करा सकते हैं। लेकिन यही राहत छोटी कंपनियों के लिए आफत बन गई है। खासतौर पर उन छोटी कंपनियों के लिए जिनके पास मंदी के कारण आर्डर नहीं है या उनकी जमीन की लीज दो से तीन वर्ष ही है। लेकिन नए प्रावधानों के तहत उन्हें एकमुश्त दस वर्षो की लाइसेंस फीस जमा करनी होगी।
कानून में लचीलापन लाए सरकार : चैंबर
सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के महासचिव भरत वसानी ने इस मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग की है कि वे कारखाना अधिनियम के कानून में लचीलापन लाए। जो उद्यमी एक वर्ष का लाइसेंस चाहता है तो उन्हें एक वर्ष का और जो दो-पांच या दस वर्ष का लाइसेंस चाहता है, उन्हें उतने वर्ष की फीस लेकर लाइसेंस दे।