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मुख्यमंत्री रघुवर दास की बहू ने भी किया हलषष्ठी व्रत, जानिए क्या है इस व्रत की महत्ता

छत्तीसगढ़ी समाज की महिलाओं ने हलषष्ठी यानी खमर छठ व्रत किया। मुख्यमंत्री रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास और पत्नी रूक्मिणी दास ने भी व्रत किया।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 21 Aug 2019 05:35 PM (IST)Updated: Wed, 21 Aug 2019 06:57 PM (IST)
मुख्यमंत्री रघुवर दास की बहू ने भी किया हलषष्ठी व्रत, जानिए क्या है इस व्रत की महत्ता
मुख्यमंत्री रघुवर दास की बहू ने भी किया हलषष्ठी व्रत, जानिए क्या है इस व्रत की महत्ता

जमशेदपुर, जेएनएन। जमशेदपुर में बुधवार को छत्तीसगढ़ी समाज की महिलाओं ने हलषष्ठी यानी खमर छठ व्रत किया। मुख्यमंत्री रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास और पत्नी रूक्मिणी दास ने भी व्रत किया। व्रत को लेकर पूर्णिमा काफी उत्साहित दिखीं। जमशेदपुर में सिदगोड़ा सिनेमा मैदान, नेहरू मैदान सोनारी समेत कई जगहों पर सामूहिक व्रत और पूजा हुई।

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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दो दिन पूर्व यह पर्व मनाया जाता है। भादो महीने के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम के जन्मोत्सव के रूप में इस पर्व का आयोजन होता है। मान्यता है कि संतान रक्षा के लिए द्वापर युग में माता देवकी ने यह व्रत किया था। बुधवार को इस पर्व पर महिलाएं निज्रला रहेंगी। सगरी में गौरी -गणेश की स्थापना कर फल, चंदन, बंदन से छठी माता की पूजा-अर्चना की। इसके बाद कथा सुनी। पूजा के दौरान पसहर चावल का इस्तेमाल किया जाता है। यह चावल अपने आप खेतों की मेड़, तालाब या पोखर में हुआ करता है। 

पुत्रवती महिलाएं ज्यादातर करती व्रत

पुत्रवती महिलाएं ज्यादातर इस पर्व को करती हैं। महिलाएं पुत्र के हिसाब से छह छोटे मिट्टी या चीनी के बर्तनों में पांच या सात भुने हुए अनाज या मेवा भरती हैं। छोटी कांटेदार झाड़ी की एक शाखा, पलाश की एक शाखा और नारी लत की एक शाखा को जमीन या किसी गमले में पूजा की जाती है। भैंस के दूध से बने दही और सूखे फूल (महुवा) को पलाश के पत्ते पर खाकर महिलाएं व्रत समाप्त करती हैं।  महिलाओं ने हल का भी पूजन किया। भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का अस्त्र हल माना जाता है, जिस कारण उसकी पूजा की जाती है।


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