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ई-वे बिल की बढ़ी चोरी, वसूला 20 लाख जुर्माना

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में सारी सुविधा ऑनलाइन है। इसमें परमिट-बिल या इन्वायस निकालने के लिए कारोबारी को दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते। कारोबारी खुद अपने कंप्यूटर-लैपटॉप से आवश्यकता के अनुसार बिल-इन्वायस या ई-वे बिल (रोड परमिट) निकाल सकता है, इसके बावजूद टैक्स की चोरी हो रही है। इस दिशा में पिछले दो-तीन माह से झारखंड राज्य कर (जीएसटी) विभाग सक्रिय हुआ है, जिससे चोरियां पकड़ी जा रही हैं। विभाग के जमशेदपुर प्रमंडल ने पूरे कोल्हान से जनवरी में 5030 ट्रकों की जांच की, जिसमें 4675 ट्रकों में ई-वे बिल की जांच की। इसमें 95 ट्रकों पर ई-वे बिल की गड़बड़ी के एवज में 20 लाख 32 हजार 931 रुपये जुर्माना वसूला गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Feb 2019 08:00 AM (IST)Updated: Sun, 03 Feb 2019 08:00 AM (IST)
ई-वे बिल की बढ़ी चोरी, वसूला 20 लाख जुर्माना
ई-वे बिल की बढ़ी चोरी, वसूला 20 लाख जुर्माना

वीरेंद्र ओझा, जमशेदपुर : वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में सारी सुविधा ऑनलाइन है। इसमें परमिट-बिल या इन्वायस निकालने के लिए कारोबारी को दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते। कारोबारी खुद अपने कंप्यूटर-लैपटॉप से आवश्यकता के अनुसार बिल-इन्वायस या ई-वे बिल (रोड परमिट) निकाल सकता है, इसके बावजूद टैक्स की चोरी हो रही है। इस दिशा में पिछले दो-तीन माह से झारखंड राज्य कर (जीएसटी) विभाग सक्रिय हुआ है, जिससे चोरियां पकड़ी जा रही हैं। विभाग के जमशेदपुर प्रमंडल ने पूरे कोल्हान से जनवरी में 5030 ट्रकों की जांच की, जिसमें 4675 ट्रकों में ई-वे बिल की जांच की। इसमें 95 ट्रकों पर ई-वे बिल की गड़बड़ी के एवज में 20 लाख 32 हजार 931 रुपये जुर्माना वसूला गया। इससे पहले दिसंबर में विभाग ने 2638 ट्रक पकड़े थे, जिसमें 4675 ई-वे बिल की जांच की गई। इसमें 27 ट्रक ऐसे मिले जिसमें ई-वे बिल की गड़बड़ी थी। इनसे 21 लाख 83 हजार रुपये जुर्माना वसूला गया। विभाग आगे भी ई-वे बिल की औचक जांच करेगा, ताकि इसकी चोरी पर अंकुश लगाया जा सके।

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नवंबर से तेज हुई जांच

जीएसटी जुलाई 2017 में लागू हुआ था, जबकि ई-वे बिल अप्रैल 2018 से। पहले जुलाई से सितंबर 2017 तक तक बिल-इन्वायस की चोरी धड़ल्ले से हुई, जबकि अब ई-वे बिल की चोरी हो रही है। हालांकि अप्रैल में काफी गाड़ियां पकड़ी गई थीं, लेकिन इसके बाद धीरे-धीरे इसमें कमी आती गई। जुलाई से अक्टूबर तक एकाध छोटी गाड़ियां ही पकड़ी जाती थीं, लेकिन नवंबर से बड़ी गाड़ियां पकड़ी जाने लगीं। दिसंबर से पकड़ाने वाली गाड़ियों की संख्या में काफी तेजी आई है। यह सिलसिला मार्च तक जारी रहने की उम्मीद है।

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बिना ई-वे बिल के चलते ट्रक

झारखंड राज्य कर विभाग के संयुक्त आयुक्त (प्रशासन) संजय कुमार प्रसाद ने बताया कि जितनी गाड़ियों में ई-वे बिल की गड़बड़ी पकड़ी गई है, उनमें से ज्यादातर ट्रकों में ई-वे बिल था ही नहीं। कुछ गाड़ियों में ई-वे बिल एक्सपायरी डेट की थीं, जबकि कुछ में पार्ट-बी नहीं मिला। ई-वे बिल के पार्ट-वन में ट्रक पर लदे माल का ब्योरा होता है, जबकि पार्ट-बी में ट्रक का नंबर और ट्रांसपोर्टर का नाम-विवरण दर्ज होता है। जीएसटी एक्ट में किसी भी अनियमितता पर जुर्माने का प्रावधान है। पूछताछ में पता चला है कि कुछ लोग लापरवाही की वजह से ई-वे बिल लेकर नहीं चलते। जहां से माल उठाते हैं, वहां से ई-वे बिल जारी होता है, लेकिन देरी की वजह से चालक बिना बिल लिए चल देते हैं।


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