ईद की नमाज से पहले निकालें फितरा ताकि गरीब मना सकें त्योहार
रमजान के दूसरे जुमे की नमाज में नमाजियों का मजमा उमड़ा। खुतबे में पेश इमामों ने रोजेदारों को दीन की बातें बताई। रोजे के मसले बताए गए और उनसे सब्र से काम लेने और दीन का दामन थामे रहने को कहा गया।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : रमजान के दूसरे जुमे की नमाज में नमाजियों का मजमा उमड़ा। खुतबे में पेश इमामों ने रोजेदारों को दीन की बातें बताई। रोजे के मसले बताए गए और उनसे सब्र से काम लेने और दीन का दामन थामे रहने को कहा गया। खुतबे में लोगों को समझाया गया कि वो फितरे की रकम हर हाल में ईद की नमाज से पहले निकाल कर पात्र (मुस्तहक) तक पहुंचा दें।
जुमे की नमाज साकची जामा मस्जिद, आम बगान मस्जिद, साकची की मस्जिद-ए-रहमान, धतकीडीह बड़ी मस्जिद, फैजुल उलूम की मक्का मस्जिद, शास्त्रीनगर की मस्जिद, जुगसलाई की मस्जिदों, गोलमुरी मस्जिद, टेल्को मस्जिद, मकदमपुर मस्जिद, मानगो की बारी मस्जिद, मुंशी मोहल्ला मस्जिद, ओल्ड पुरुलिया रोड की अहले हदीस मस्जिद, बारी मस्जिद, जाकिर नगर की हुसैनी मस्जिद, मस्जिद-ए-जाफरिया, इकरा कॉलोनी मस्जिद आदि में अदा की गई। बारी मस्जिद में नमाजियों की खूब भीड़ थी और नमाजी बाहर सड़क तक मौजूद थे। खुतबे में पेश इमामों ने बताया कि फितरे की रकम सभी हैसियतमंद को निकालना जरूरी है। फितरा इसलिए रखा गया है कि ताकि गरीब भी अपने बच्चों के लिए ईद का इंतजाम कर सके। इसलिए, अगर ईद की नमाज के बाद फितरा निकालने से बेहतर है कि पहले ही निकाल कर इसे मुस्तहक तक पहुंचा दें। पहले अपने पड़ोसियों और रिश्तेदारों में मुस्तहक तलाश करें। इसके बाद दूर के रिश्तेदारों और इलाकों के मुस्तहक को तलाश कर उन्हें फितरा दें। लोगों से कहा गया कि वो सब्र का बांध टूटने नहीं दें और अल्लाह पर भरोसा रखें। पैगंबर-ए-अकरम हजरत मोहम्मद स. की सुन्नत पर अमल करें और अपने बर्ताव को बेहद नर्म रखें। दरियादिली और अच्छे बर्ताव में कहीं दूसरे हम पर सबकत नहीं ले जाएं।
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हजरत खदीजा ने हर पल निभाया पैगंबर का साथ
जाकिर नगर के हुसैनी मोहल्ले में जुमा के खुतबे के बाद मजलिस हुई। इसमें पेश इमाम मौलाना मोहम्मद हसन रिजवी ने कहा कि मुहर्रम में इमाम हुसैन की याद मनाई जाती है। मुहर्रम को मिटाने की कोशिश यजीद ने की जो नाकाम हो गया। अब वक्त के यजीद भी चाहे जितनी कोशिशें कर लें वो मुसलमानों के दिलों से इमाम हुसैन अ. की याद नहीं मिटा सकते। उन्होंने कहा कि हजरत खदीजा र. ने पैगंबर-ए-अकरम का हर कदम पर साथ दिया। हजरत अबूतालिब अ. ने भी पैगंबर-ए-अकरम स. की हर कदम पर नुसरत की और अपनी जान से ज्यादा उन्हें चाहा।
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