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मोदी सरकार में जॉब की गारंटी नहीं

------------------- जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : अब वह समय आ गया है जब देश के मजदूरों की ना

By JagranEdited By: Published: Thu, 03 May 2018 08:33 PM (IST)Updated: Thu, 03 May 2018 08:33 PM (IST)
मोदी सरकार में जॉब की गारंटी नहीं

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जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : अब वह समय आ गया है जब देश के मजदूरों की नौकरी बचाने के लिए सभी ट्रेड यूनियनों को एक मंच पर आना होगा। केंद्र की मोदी सरकार कंपनियों के स्थायी मजदूरों को कौन कहे वह ठेका मजदूरों की नौकरी की समय-सीमा भी निश्चित करने की तैयारी में हैं। अब किसी की जॉब की गारंटी नहीं रही। मोदी सरकार में एक निश्चित समय सीमा के लिए ही किसी को नौकरी मिलेगी तो अप्रेंटिस व प्रशिक्षण पर जोर दिया जा रहा हैं। कौशल विकास के नाम पर दो-तीन साल का सिर्फ प्रशिक्षण देकर युवाओं को बेरोजगार बनाया जा रहा हैं। उक्त बातें गुरुवार को इंडियन नेशनल मेटल वर्कर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इंटक व फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी संजीवा रेड्डी ने कही। स्थानीय एसएनटीआई सभागार में सुबह साढ़े दस बजे कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ, जो साढ़े तीन बजे तक चला। इसमें वर्तमान समय में स्टील इंडिया की दशा और दिशा पर मंथन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी संजीवा रेड्डी, राजेंद्र सिंह, सचिव राकेश्वर पांडेय, टाटा स्टील एमडी टीवी नरेंद्रन, वीपी (एचआरएम) सुरेश दत्त त्रिपाठी, टीडब्ल्यूयू के अध्यक्ष आर रवि प्रसाद ने संयुक्त रूप से किया। संजीवा रेड्डी ने मेटल व स्टील कंपनियों के भविष्य व वर्तमान स्थिति पर चर्चा करते हुए कहा कि कंपनियों के साथ मजदूरों की स्थिति भी कमजोर हुई हैं। सरकार की गलत नीतियों की वजह से कंपनियां बंद हो रही है तो मजदूर भी कम हो रहे हैं। बताया कि देश में प्रतिवर्ष 70 से 80 लाख रोजगार सृजन होना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा हैं। कंपनी का आधुनिकीकरण हो लेकिन वहां काम करने वाले मजदूरों की नौकरी नहीं जाए इस दिशा में सरकार को काम करनी चाहिए।

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टाटा स्टील सभी का रखती है ख्याल : एमडी

कार्यक्रम के दौरान टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन ने कंपनी का इतिहास बताते हुए कहा कि हम दुरदृष्टि से काम करते हैं। कंपनी कर्मचारियों के अलावे शहरवासियों की सुख-सुविधा का भी ख्याल करती हैं। प्रत्येक वर्ष नागरिक सुविधा के नाम पर अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करती हैं। कहा कि 2030 के बाद टाटा स्टील के लिए काफी चुनौती हैं। माइनिंग का लीज कासमय सीमा समाप्त हो जाएगा उस समय या तो लीज का नवीकरण करना होगा या फिर कोई नई व्यवस्था करनी होगी। कंपनी आने वाले दिनों में एक सौ दस साल का और सफर पूरा करने की दुरदृष्टि रखी हुई हैं।

एमडी ने बताया कि एक समय था जब यूरोप व अमेरिका में स्टील कंपनियां स्थापित थी। उस समय जेएन टाटा साहब की पहल से साकची कालीमाटी में पहला प्लास्ट फर्नेस लगाया गया जो आज एक मिशाल है। नरेंद्रन ने फेडरेशन में आए प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए कहा कि हम भी एक कर्मचारी हैं, हमारा प्रयास कंपनी व मजदूर दोनों को समृद्ध बनाए रखना हैं। टाटा स्टील के उपाध्यक्ष (एचआरएम) सुरेश दत्त त्रिपाठी ने कहा कि किसी भी संगठन व व्यवसाय को चलाने के लिए एक सिद्धांत, दूरदृष्टि व लक्ष्य का होना आवश्यक हैं। इंटक के राष्ट्रीय महामंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह ने संगठन की मजबूती को बरकरार रखते हुए स्टील व मेटल कंपनियों के उत्थान की जरुरत बताई। फेडरेशन के राष्ट्रीय महासचिव राकेश्वर पांडेय ने कार्यक्रम का संचालन किया जबकि संस्था के वर्किंग प्रेसीडेंट आर रवि प्रसाद ने स्वागत भाषण दिया। विभिन्न प्रांतों व दूसरे जिले से आए 80 प्रतिनिधियों का स्वागत किया। कार्यक्रम के दौरान कंपनियों के उत्थान को लेकर प्रतिनिधियों से सुझाव भी लिए गए। कार्यक्रम में यूथ इंटक के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश पांडेय, फेडरेशन के सचिव बिजय खां, रघुनाथ पांडेय, इंटक नेता संजीव श्रीवास्तव, अरविंद पांडेय, सतीश सिंह, शहनवाज आलम, नितेश राज समेत टीडब्ल्यूयू के अन्य पदाधिकारी व कमेटी मेंबर मौजूद थे।

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