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Medical Admission Fraud: मेडिकल में नामांकन कराने के नाम पर 50 लाख की ठगी, इस तरह लिया भरोसे में

कहते हैं-लालची के गांव में ठग उपवास नहीं रहता। अब इसी मामले को लें। मेडिकल में एडमिशन की गारंटी का झांसा देकर ठग ने जमशेदपुर के एक शख्स को फांसा एवं आसानी से पचास लाख रुपये एेंठ लिए। अब ठगी का शिकार व्यक्ति थाने के चक्कर काट रहा है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 11:17 AM (IST)Updated: Thu, 25 Nov 2021 11:17 AM (IST)
Medical Admission Fraud: मेडिकल में नामांकन कराने के नाम पर 50 लाख की ठगी, इस तरह लिया भरोसे में
नीट का परीक्षा कंट्रोलर बताकर ठग ने लगाया चूना।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : मेडिकल में नामांकन कराने के नाम पर जमशेदपुर की कदमा की एक छात्रा के पिता से 50 लाख रुपये की ठगी किए जाने का मामला सामने आया है। मामले में कदमा थाना क्षेत्र शास्त्रीनगर निवासी अमरनाथ खां की शिकायत पर बिष्टुपुर साइबर थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है। पुलिस का कहन है कि ठग तक पहुंचने एवं ठगी के शिकार को इंसाफ दिलाने की पूरी कोशिश की जाएगी।

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पुलिस को शिकायत में अमरनाथ खां ने बताया कि उनकी पुत्री 12 सितंबर को नीट की परीक्षा में शामिल हुई थी। इससे पहले फॉर्म भरने के बाद 20 अगस्त को उनके मोबाइल नंबर पर नीट के हेल्पलाइन नंबर, जो इंटरनेट में है उससे फोन आया था। कॉल करने वाले ने कहा कि वह नीट का परीक्षा कंट्रोलर बोल रहा है। पुत्री ने जो मनपसंद सेंटर के लिए चार विकल्प दिए थे, उसमें आपका परीक्षा केंद्र जमशेदपुर दिया जाता है। जब पुत्री का एडमिट कार्ड आया तो परीक्षा केंद्र जमशेदपुर मिला। पुत्री की परीक्षा के बाद 14 सितंबर को उनके मोबाइल पर एक दूसरे मोबाइल नंबर से फोन आया, जिसमें कॉल करने वाले ने बताया कि जो कहा था उसी अनुसार सेंटर मिला था ना। ये बोलते हुए उसने उसे विश्वास में ले लिया।

खाते में कर दिए पचास लाख ट्रांसफर

बाकायदा उनकी बेटी का पूरा दस्तावेज, जो फॉर्म भरने के लिए जमा किया था, उसे उनके वाट्सएप नंबर पर भेजा। 26 सितंबर को पत्नी का इलाज कराने सीएमसी गए थे। 30 सितंबर को उनके मोबाइल पर एक कॉल आया। कहा कि वह अंक बढ़ा सकता है, लेकिन इसके लिए 50 लाख रुपये जमा करने होंगे। झांसे में आकर फोन करने वाले ने जो खाता नंबर दिया था, उसमें 50 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। रुपये ट्रांसफर होते ही उसने उसकी बेटी का अंक 652 भेजा। विश्वास हो गया कि पुत्री को अब मनपसंद मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिल जाएगा। रिजल्ट आने पर पता चला कि पुत्री को 652 की बजाय कम मिला, जिस नंबर से कॉल आया था। उससे संपर्क करने का प्रयास किया तो मोबाइल बंद मिला।


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