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Jamshedpur Founders Day : आपको पता है कैसे रखी गई भारत में औद्योगिकीकरण की नींव, जानिए

Jamshedpur Founders Day . पीएन उर्फ प्रमथ नाथ बोस ने टाटा समूह के संस्थापक जेएन टाटा को 24 फरवरी 1904 में पत्र लिखा जिसके बाद ही टाटा स्टील कंपनी की नींव कालीमाटी में रखी गइ। प्रमथ नाथ बोस ने जेएन टाटा को एक पत्र भेजा।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2021 06:16 PM (IST)Updated: Fri, 26 Feb 2021 09:31 PM (IST)
Jamshedpur Founders Day : आपको पता है कैसे रखी गई भारत में औद्योगिकीकरण की नींव, जानिए
कालीमाटी में टाटा आयरन एंड कंपनी लिमिटेड की स्थापना के पीछे एक लंबी कहानी है।

जमशेदपुर, जासं। Jamshedpur Founders Day  JN Tata वर्ष 1907 में साकची के कालीमाटी में टाटा आयरन एंड कंपनी लिमिटेड, वर्तमान में टाटा स्टील की नींव रखी गई। इस कंपनी की स्थापना के पीछे एक लंबी कहानी है। कंपनी की स्थापना से लगभग तीन साल पहले पीएन उर्फ प्रमथ नाथ बोस ने टाटा समूह के संस्थापक जेएन टाटा को 24 फरवरी 1904 में पत्र लिखा, जिसके बाद ही टाटा स्टील कंपनी की नींव कालीमाटी में रखी गइ।।

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प्रमथ नाथ बोस ने जेएन टाटा को एक पत्र भेजा। इसमें उनहोंने बताया कि मयूरभंज जिले के गोरूमहिसानी की पहाड़ियों में लोहे के अकूत भंडार है। साथ ही झरिया में कोयला भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। जबकि लगभग इसी समय सर दोराबजी टाटा ने 140 मील की दूरी पर नागपुर के पास धौली और राजहरा हिल्स में स्टील प्लांट निर्माण का निर्णय ले चुके थे। पीएन बोस का पत्र मिलने के बाद सर दोराबजी टाटा ने एसीएम वेल्ड के नेतृत्व में एक सर्वेक्षण टीम का गठन किया जो प्रमथ नाथ बोस द्वारा दी गई जानकारियों का स्थल जांच कर पुष्टि करेंगे। सीएम वेल्ड ने पीएन बोस की खोज पर अपनी मुहर लगाई, जिसके बाद साकची में देश का पहला प्लांट लगा। मयूरभंज से थोड़ी दूरी पर साकची गांव के पास दो नदियां, स्वर्णरेखा व खरखई नदी का संगम है और यह बंगाल-नागपुर रेलवे लाइन के भी करीब था।

जेएन टाटा 1882 में देखी थी रिपोर्ट

वर्ष 1882 जमशेद जी नसरवान जी टाटा ने चंदा जिले में लौह कार्य की वित्तीय संभावनाओं पर एक रिपोर्ट देखी थी। जिसका नाम था रिपोर्ट आन द फाइनांशियल प्रोस्पेक्ट्स ऑफ आयरन वर्किंग इन चंदा डिस्ट्रिक। वाॅन श्वार्ज की इस रिपोर्ट में चंदा जिले में लौह अयस्क का बड़ा भंडार होने की बात कही गई थी। पास ही वरोरा का कोयला भी था। लेकिन कोयले के परीक्षण के बाद यह अनुपयुक्त पाया गया। लेकिन इस रिपोर्ट के बाद ही जेएन टाटा को भारत में स्टील कंपनी के निर्माण करने का विचार आया थ।


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