शिक्षा के क्षेत्र में फाउंडेशन का कार्य सराहनीय : स्वामी नटराज
लिलि फाउंडेशन की ओर से रविवार को काशिदा के होटल सुभाषिता रिसोर्ट में मिनी एजुकेशन कांफ्रेंस आयोजित कर फाउंडेशन की ओर से शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी गई। कार्यक्रम का उद्घाटन राम कृष्ण मठ दाहीगोड़ा के स्वामी नटराज महराज ने किया। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद के उद्देश्यों को लेकर शिक्षा के क्षेत्र में किया जा रहा कार्य सराहनीय है..
संस, घाटशिला : लिलि फाउंडेशन की ओर से रविवार को काशिदा के होटल सुभाषिता रिसोर्ट में मिनी एजुकेशन कांफ्रेंस आयोजित कर फाउंडेशन की ओर से शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी गई। कार्यक्रम का उद्घाटन राम कृष्ण मठ दाहीगोड़ा के स्वामी नटराज महराज ने किया। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद के उद्देश्यों को लेकर शिक्षा के क्षेत्र में किया जा रहा कार्य सराहनीय है। सुदूरवर्ती गांवों में गरीब बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति, कंप्यूटर समेत कई प्रकार के सहयोग फाउंडेशन की ओर से दिए जा रहे हैं। इसका श्रेय फाउंडेशन के अध्यक्ष जोगेश्वरी प्रसाद सरकार को जाता है। वे अमेरिका में रहकर भारत के पांच राज्यों में शिक्षा का अलख जगा रहे हैं। मौके पर बीईईओ केशव प्रसाद, रत्न मुखर्जी, बापीन चौघरी समेत कई उपस्थित थे। नई पीढ़ी को मातृभाषा के प्रति करें जागरुक : सालबनी गांव स्थित यामिनी कांत शिक्षा संस्थान में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास व जेके शैक्षणिक संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का आयोजन आनलाइन किया गया। कार्यक्रम में संस्कार भारती सह समर्पण निधि समिति की संगठन मंत्री डा. रागिनी भूषण उपस्थित थीं। कार्यक्रम का शुभारंभ छात्रा संचिता हांसदा ने संताली भाषा स्वागत गीत से किया। डा कल्याणी कबीर ने कहा कि वर्तमान में जरूरी यह है कि नई पीढ़ी को मातृभाषा के प्रति संवेदनशील बनाया जाए। शिक्षा, संस्कृति उत्थान न्यास की संयोजक डा. कविता परमार ने कहा कि वर्तमान में जरूरी है कि मातृभाषा के प्रति हमारा सम्मान बना रहे, क्योंकि इसी से हमारी पहचान है। तकनीकी शिक्षा केंद्रीय समिति सह उन्नत भारत अभियान के संयोजक डा. रंजीत प्रसाद ने कहा कि हम सभी की जिम्मेदारी है कि नई पीढ़ी को मातृभाषा के प्रयोग के प्रति जागरूक करें। व्याख्याता डा. मौसमी महतो ने कुरमाली भाषा का प्रयोग करते हुए व्यक्तित्व के निर्माण में मातृभाषा की भूमिका पर बात की। प्रो. रंजना आनंद ने मातृभाषा के ज्ञान को समृद्ध करने में माता की भूमिका की बात कही। साहित्यकार डा. अनीता शर्मा ने कहा कि मातृभाषा ही हमारा सांस्कृतिक व सामाजिक उत्थान करती है। नई शिक्षा नीति में प्राथमिक शिक्षण में त्रिभाषा सूत्र से मातृभाषा पर जोर दिया गया है, जो एक सकारात्मक पहल है। संताली भाषा की व्याख्याता प्रो. सुशीला ने कहा कि सभ्यता, संस्कृति व अस्मिता हमारी पहचान बनी रहे। इसके लिए जरूरी है कि हम अपनी मातृभाषा को समृद्ध करें। आनलाइन कार्यक्रम में प्रो. विजय कांत दास, क्षेत्र संयोजक, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सदस्य, बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग के अमरकांत झा, विजय कुमार सिंह, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास विश्वविद्यालय से कई शामिल थे।